शब्दाक्षर ने मनाया डॉ. कुँअर बेचैन का जन्मोत्सव: ‘आपकी अनुपस्थिति में आपकी उपस्थिति’

शब्दाक्षर ने मनाया डॉ. कुँअर बेचैन का जन्मोत्सव: ‘आपकी अनुपस्थिति में आपकी उपस्थिति’

अमरेन्द्र कुमार सिंह

गया । राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ द्वारा प्रसिद्ध गीतकार व ग़जलकार डॉ. कुँअर बेचैन का ‘आपकी अनुपस्थिति में आपकी उपस्थिति’ शीर्षक के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। इस कार्यक्रम में आस्ट्रेलिया से जुड़े डॉ कुँअर बेचैन के सुपुत्र प्रगीत कुँअर व पुत्रवधू कवयित्री डॉ भावना कुँअर, शब्दाक्षर के संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष कवि महावीर सिंह ‘वीर’, तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष केवल कोठारी ने डॉ कुँअर बेचैन की जीवनी एवं उनकी साहित्यिक विशिष्टताओं पर चर्चा करते हुए अपनी-अपनी भावभीनी स्वरचित पंक्तियाँ समर्पित कीं तथा डॉ बेचैन द्वारा लिखे यादगार गीतों/ग़जलों को अपने स्वर में सुनाया। कार्यक्रम के संयोजक कवि रविप्रताप सिंह ने “चलो प्रेम का गीत कोई गाया जाए, आहत मन को थोड़ा बहलाया जाए। बीच सफ़र में हमको छोड़ गए हैं जो, उनकी यादों को ना बिसराया जाये”..पंक्तियाँ पढ़ कर डॉ बेचैन के स्नेहिल सानिध्य को याद किया। उन्होंने बताया कि डॉ. बेचैन ने ही उनके ग़जल-संग्रह ‘सन्नाटे भी बोल उठेंगे’ की भूमिका लिखी है, जिसके लिए वे उनके प्रति आजीवन कृतज्ञ रहेंगे। इस ग़जल संग्रह का विमोचन तमिलनाडु में 6 अगस्त से 8 अगस्त, 2022 तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में होना प्रस्तावित है। श्री सिंह ने डॉ बेचैन की प्रसिद्ध ग़ज़लों को भी सस्वर सुनाया।

महावीर सिंह ‘वीर’ ने अपने मुक्तक “सितारे, चाँद, गुल, गुलशन, घटाएँ याद करती हैं, कुँअर वो दीप थे, जिनको हवाएँ याद करती हैं…” तथा “धरा पर चल नहीं सकते, गगन की बात करते हैं, गुलों को रौंदने वाले चमन की बात करते हैं…” पंक्तियों द्वारा डॉ. बेचैन को श्रद्धासुमन अर्पित किया। श्री कोठारी ने स्वर्गीय डॉ. बेचैन जी को याद करते हुए ‘अरमानों, अहसासों के आयाम नये लिख जाएँगे। दिल के खाली पन्नों में पैगाम नये लिख जाएँगे..” पंक्तियों को पढ़ा, तो वहीं कवयित्री डॉ भावना कुँअर ने “बरसते बादलों का ग़म समझता ही नहीं कोई, है आँसू उसकी आँखों के यही हम भूल जाते हैं..” जैसी भावपूर्ण पंक्तियों द्वारा अपने व्यक्तिगत दुःखों को अभिव्यक्ति दी। प्रगीत कुँअर ने पिता डॉ. बेचैन की “माना कुछ भी नहीं बताएगी, मौत कुछ सोच कर तो आएगी..” पंक्तियों से श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का संचालन शब्दाक्षर दिल्ली की प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ. स्मृति कुलश्रेष्ठ ने किया। उनकी ग़जल “लोग मिलते हैं बहुत आग लगाने वाले, पर नहीं मिलता कोई आग बुझाने वाला..” पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। शब्दाक्षर के केन्द्रीय पेज से जुड़ी संस्था की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के अनुसार, ‘शब्दाक्षर’ का साहित्यिक कारवाँ निरंतर ही आगे बढ़ता चला जा रहा है। देश के पच्चीस प्रदेशों में डेढ़ सौ से अधिक जिलों में संस्था की इकाइयाँ विभिन्न साहित्यिक आयोजनों में संलग्न हैं। इन्हीं आयोजनों में से एक शब्दाक्षर के केन्द्रीय पेज से जानी मानी अन्तरराष्ट्रीय कवयित्री डॉ. कीर्ति काले का साहित्यिक साक्षात्कार अत्यंत अविस्मरणीय रहा, जिसका लाभ अनेक साहित्यप्रेमी दर्शकों ने उठाया।

ज्ञात हो कि शब्दाक्षर द्वारा आयोजित इस साहित्यिक वार्ता में डॉ. कीर्ति काले ने अपने विभिन्न साहित्यिक विचारों तथा अनुभवों को साझा करते हुए अपने अनुपम गीतों और ग़ज़लों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर डाला। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा से कुछ न कुछ नया करना अच्छा लगता है। इस साहित्यिक वार्ता में कार्यक्रम के दिग्दर्शक-सह-शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह सत्य, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दया शंकर मिश्र, राष्ट्रीय सचिव सुबोध कुमार मिश्र, राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, राष्ट्रीय उपसचिव सागर शर्मा आजाद, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी निशांत सिंह गुलशन, उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिंह ‘वीर’, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष श्यामल मजूमदार, प. बंगाल अध्यक्ष जय कुमार रुसवा, तेलंगाना प्रदेश अधिक ज्योति नारायण, तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष केवल कोठारी, गोवा प्रदेश अध्यक्ष वंदना चौधरी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज मिश्र, मध्य प्रदेश अध्यक्ष राजीव खरे, डॉ. स्मृति कुलश्रेष्ठ, पं बालकृष्ण, शशिकांत मिश्र सहित अनेक दर्शकों की अॉनलाइन उपस्थिति रही।