SP लिपि सिंह फिर विवादों में घिरी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल
सरकार के खासमखास आईपीएस अधिकारी लिपि सिंह के प्रभार वाला जिला एक बार फिर से सुर्खियों में है। पहले मुंगेर और अब सहरसा।
सहरसा :
सहरसा पुलिस और एसपी लिपि सिंह पुलिस कस्टडी में कुख्यात पप्पू देव की हत्या और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सवालों के घेरे में है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद साबित हो गया कि उसकी मौत कोई सामान्य मौत नहीं है। पुलिस प्रशासन जहां हार्ट अटैक से पप्पू देव की मौत बता रही है, वहीं परिजन सहरसा पुलिस की कस्टडी में मौत का आरोप लगा रहे हैं। आखिर जमीन के झगड़े से उत्पन्न विवाद किसी की पुलिस कस्टडी में मौत में कैसे बदल सकती है। आखिर किसने कोसी के इस डॉन की डेथ स्क्रिप्ट लिखी, इसके पीछे कई सवाल ही नहीं रहस्य भी घिरे हुए हैं।
अपराध की दुनिया में पप्पू देव के नाम का सिक्का चलता था। पुलिस थानों में विभिन्न धाराओं में उसपर 38 केस दर्ज हैं, जिसमें 35 में उसपर आरोप सिद्ध नहीं हो सका था। उन मामलों में वह बरी हो चुका था। पप्पू देव करीब 20 वर्ष जेल में गुजार चुका था। मगर उसकी मौत को लेकर पुलिस की ओर से जो दलील दिए जा रहे हैं, उसे लेकर लोगों में शक पैदा हो रहा है। स्थानीय लोगों की दलील है कि पप्पू देव की हत्या हिरासत में हुई है। वह सत्ताधारी दल के एक मंत्री के लिए चुनौती बना हुआ था। वह सहरसा से एमएलसी बनना चाहता था। उसकी हत्या के पीछे राजनीतिक साज़िश की बू दिख रही है।
पुलिस ने सामान्य मौत की कहानी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी :
हालांकि पुलिस की कहानी है कि पप्पू देव की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मगर पुलिस की पिटाई के सबूत लिए लोग घूम रहे हैं। पुलिस का कहना है कि पप्पू देव मुठभेड़ के दौरान भाग रहे थे, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और इसी दौरान हार्ट अटैक आ गया। गिरफ्तारी के बाद पुलिसवाले अस्पताल ले गए, जहां उनकी मौत हो गई। मुठभेड़ के वक्त उसके साथी भी साथ में थे। हालांकि, लोगों का आरोप है कि पुलिस हिरासत में पप्पू देव की मौत सामान्य घटना नहीं है, इसके लिए पुलिस ही जिम्मेदार है। जबकि पुलिस कस्टडी में मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि पोस्टमार्टम की पूरी प्रक्रिया मेडिकल टीम के साथ विडियो कैमरे की निगरानी में होनी चाहिए थी, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। यहां तक कि पुलिस उसके शव को आनन-फानन में ठिकाने भी लगाने में लग गई थी।
कैसे हुई पप्पू देव की गिरफ्तारी:
बताया जा रहा कि सहरसा के सराही रोड में डेढ़ बीघा जमीन, जिसकी कीमत लगभग 20 करोड़ रुपए है, वहीं से पूरे विवाद की शुरुआत हुई। जमीन के बारे में कहा गया कि सहरसा के बंपर चौक के रहने वाले राकेश दास की जमीन से पप्पू देव ने एग्रीमेंट कराया था। उस पर सहरसा और आसपास के जिलों के भू-माफिया की भी नजर थी। मगर पप्पू देव ने बाजी मारी। अपनी मौत से तीन दिन पहले तक वो जमीन में मिट्टी भराई का काम करा रहे थे। अचानक पुलिस पहुंची और मिट्टी की भराई करा रहे तीन लोगों को उठाकर थाने लाई। दरअसल सराही के रहनेवाले उमेश साह के एप्लीकेशन पर पुलिस पहुंची थी। आवेदन में उन्होंने दावा किया था कि ये जमीन उनकी है। इसके बाद 18-19 दिसंबर की रात सहरसा से आए 50 से अधिक पुलिसवाले पप्पू देव के गांव बिहरा में छापेमारी करने पहुंचे। घर पर पप्पू देव नहीं मिले। पता चला कि वो पास में उमेश ठाकुर के घर भोज करने गए हैं। पुलिस वाले वहां पहुंचे तो पप्पू देव को दो निजी गार्ड समेत गिरफ्तार कर लिया । पप्पू देव के साथ दो निजी गार्डों में से एक के पास रायफल और दूसरे के पास पिस्तौल होता था। पहले दोनों को पुलिसवालों ने पप्पू देव से अलग कर दिया। फिर पप्पू देव को दूसरी गाड़ी से सहरसा लाए। ये सबकुछ रात को एक बजे से तीन बजे के बीच हुआ था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुए सनसनीखेज खुलासे :
पप्पू देव की मौत से सम्बंधित पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सहरसा एसपी लिपि सिंह के दावों की धज्जियां उड़ाकर रख दी है। सहरसा के तीन डाक्टरों की टीम ने पप्पू देव का दोबारा पोस्टमार्टम किया। इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मेडिकल टीम ने सनसनीखेज खुलासा किया है। पप्पू देव के सिर पर गंभीर चोट के कारण ब्रेन के अंदर का नस फट गया था, जिसके कारण हार्ट अटैक आया। उसके शरीर पर चालीस से अधिक जख्म के निशान भी थे। मेडिकल टीम के अनुसार ब्रेन में हेमाटोमा के कारण कार्डियो रेस्पिरेटरी सिस्टम फेल हो गया था। यहां तक कि उसे बर्बर तरीके से पीटे जाने के भी सारे तथ्य सामने आ चुका है।
हालांकि पुलिस कस्टडी में पप्पू देव की मौत का आरोप वहां के डीएसपी पर लगा है। जिसमें डीएसपी की गर्दन फंसनी ही है। लेकिन एसपी लिपि सिंह कहीं न कहीं राजनीतिक रूप से बलि का बकरा बनते दिख रहे हैं। यहां तक कि विपक्ष ने भी पप्पू देव की पुलिस हिरासत में मौत मामले में एसपी लिपि सिंह की बर्खास्तगी और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।