हमारी सतर्कता ही कोरोना से सुरक्षित रख सकती हैः डॉ रश्मि
इस संकट से निपटने के लिए हम सब को सामूहिक उत्तरदायित्व का पालन करना जरूरी है तभी इस वैश्विक आपदा कोरोना से जंग जीत सकते हैं.
गया : गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय गया की अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा कि कोरोना-संकट की दूसरी लहर ने पूरे भारत में उत्पात मचा रखी है। प्रतिदिन कोविड-19 विषाणु की चपेट में आने से कितनी ही मासूम ज़िंदगियाँ काल-कवलित होती जा रहीं हैं। ऑक्सीजन की कमी से साँसे टूट गई। अस्पतालों में मरीजों की कतारें हैं। मृत्यु कोरोना का रूप धरकर हर जगह अपना शिकार ढूंढ रही है। इस संकट से निपटने के लिए हम सब को सामूहिक उत्तरदायित्व का पालन करना जरूरी है तभी इस वैश्विक आपदा कोरोना से जंग जीत सकते हैं। ऐसे में हम सब की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि हम इस लॉकडाउन को सफल बनाने हेतु अपनी तरफ से यथासंभव योगदान दें। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें। खाने-पीने अथवा दैनिक ज़रूरतों की सामग्रियों को जुटाने हेतु जिन्हें बाहर निकलना ही पड़े, वे मास्क लगाकर ही निकलें। वर्तमान में कोरोना के बढ़े संक्रमण के मध्येनज़र डबल मास्क का प्रयोग करना भी ज़रूरी होता जा रहा है। हाथों को स्वच्छ रखने हेतु साबुन तथा सैनेटाइजर का भलीभांति प्रयोग करें। परिजनों, परिचित-अपरिचितों जिनसे भी बात करें, परस्पर दूरी कायम रखें। यदि बातचीत या बैठक मोबाइल से ही अॉनलाइन कर ली जाए, तो एक-दूसरे के घरों में अनावश्यक गपशप करने मत जाएं। अपने-अपने कार्यस्थल से लौटकर पहने गये वस्त्रों को धोना न भूलें। भलीभांति स्नान करें। अपनी आदतों में स्वच्छता के गुणों को शामिल करें। पौष्टिक भोजन लें तथा नशासेवन तो भूल कर भी मत करें। ये आदतें कोरोना-संकट के टल जाने पर भी कायम रखनी चाहिए। कोरोना के लक्षणों का संदेह होते ही स्वयं को क्वारन्टीन कर लें तथा अपनी बारी आने पर कोरोनारोधी वैक्सीन लेना बिल्कुल न भूलें। यह ध्यान रहे कि हम सब को स्वस्थ और सुरक्षित रखने हेतु ही अनेक डॉक्टर्स, नर्सें, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी जान को जोखिम में डालकर अपने कर्तव्य-पंथ पर डंटे हुए हैं। उनके इस त्याग और कर्मनिष्ठा को व्यर्थ न जाने दें। हमारी सतर्कता ही हमें सुरक्षित रख सकती है। यदि हम स्वयं अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने लगें कोरोना से, तो नि:संदेह कोरोना-संक्रमण के मामलों में कमी आएगी और कोरोनायोद्धाओं को भी सहयोग मिलेगा। हमारी लापरवाहियों ने ही आज भारत को इस दयनीय अवस्था में पहुंचा दिया है। आज विश्व में 100 कोरोना-संक्रमित मरीजों में से 53 भारतीय हैं, जो अत्यंत डरा डालने वाला आंकड़ा है। यदि कोरोना की दूसरी लहर का यह विनाशकारी प्रभाव है, तो कोरोना की तीसरी लहर आने पर क्या होगा? खैर, कुछ भी हो जाए, डरना कतई भी नहीं है, अपितु कोरोना को रोकने हेतु जारी किए जा रहे सभी सरकारी चिकित्सीय दिशानिर्देशों का पालन करना है।