निर्मल जैन लुहाड़िया के निधन पर शोक की लहर
उनके निधन से समाज ने एक महत्वपूर्ण व्यवसायी को खो दिया है। उनका जाना समाज के लिए अपूर्णिया क्षति के समान है। वे जीवन भर खुद खुश रहकर लोगों के बीच खुशियां बांटते रहें थे।
हजारीबाग नगर के प्रतिष्ठित वस्त्र व्यवसायी सह समाजसेवी निर्मल जैन लुहाड़िया का अठहत्तर वर्ष की उम्र में 3 दिसंबर की रात को बंगाली कॉलोनी स्थित अपने अपार्टमेंट में निधन हो गया। वे लिवर कैंसर से ग्रसित थे। हजारीबाग खिरगांव स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ । उनके पुत्र पंकज कुमार लुहाड़िया ने मुखाग्नि दिया। वे अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र, चार पुत्रियां, नाती - पोता सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए। उनकी शव यात्रा में परिवार के सदस्यों, व्यवसायियों सहित नगर के कई गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।
उनका जन्म 1947 में हजारीबाग में हुआ था। वे अपना व्यवसाय करते हुए विभिन्न व्यावसायिक और सामाजिक संगठनों से जुड़कर कार्य करते रहे थे। वे हजारीबाग खुदरा खाद्यान्न व्यवसाय संघ, हजारीबाग चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज और मेन रोड व्यवसायी संघ के संस्थापक सदस्यों में एक थे। इसके साथ ही वे हजारीबाग की एक संस्था सागर भक्ति संगम से जुड़कर प्रतिदिन सैकड़ो लोगों को अपने चुटकुले और कविताओं से लोटपोट कर दिया करते थे।
उनके निधन पर हजारीबाग चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष राजकुमार जैन टोंग्या ने कहा कि उनके निधन से समाज ने एक महत्वपूर्ण व्यवसायी को खो दिया है। उनका जाना समाज के लिए अपूर्णिया क्षति के समान है। वे जीवन भर खुद खुश रहकर लोगों के बीच खुशियां बांटते रहें थे।
हजारीबाग चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव विजय केसरी ने
कहा कि वे एक सफल व्यवसायी के साथ एक अच्छे मित्र भी थे। उनके कुशल व्यवहार के कारण उनके मित्रों की सूची बहुत लंबी थी। वे एक जिंदा दिल इंसान थे। उनका जाना व्यवसाय जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति के समान है।
हजारीबाग चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संस्थापक अध्यक्ष राजेंद्र लाल ने कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी खुशी और हंसी को कभी भी गायब नहीं होने दिया। उनके निधन से हजारीबाग के व्यवसायियों ने एक कर्मठ व्यवसाई को खो दिया है।
