रामनवमी महासमिति के पहले अध्यक्ष थे स्व गुरु सहाय ठाकुर

1918 में स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर ने अपने पांच साथियों के साथ मिलकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जयंती पर चैत्र नवमी के दिन पहला महावीर झंडा निकाला था।

रामनवमी महासमिति के पहले अध्यक्ष थे स्व गुरु सहाय ठाकुर

सन 1950 में स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर हजारीबाग रामनवमी के पहले अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। महासमिति की यह बैठक हजारीबाग नगर स्थित बड़ा अखाड़ा मंदिर में हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता बड़ा खड़ा मंदिर के तत्कालीन महंत ने किया था। बड़ा अखाड़ा के महंत ने ही गुरु सहाय ठाकुर का नाम अध्यक्ष के रूप में प्रस्तावित किया था। बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि हजारीबाग नगर में शहर एवं गांव से आने वाले जुलूसों को एक सीधी पंक्ति में कर समय से विसर्जन कर देना था। जुलूस पूरी तरह मर्यादित रहे। जुलूस को पंक्तिबद्ध करने के महासमिति के आदेश को शहर एवं गांव के सभी जुलूस धारी मानेंगे। तब से लेकर अब तक यह प्रक्रिया अनवरत आज भी जारी है । उस कालखंड में रामनवमी महासमिति एक पर्चा जारी कर नगर वासियों से अपनी अपनी दुकानें बंद कर जुलूस में शामिल होने के लिए अपील जारी करती थी। 1960 -61 के बाद महासमिति ने दुकान बंद कर जुलूस में शामिल होने संबंधित कोई भी पर्ची जारी नहीं की। तब की रामनवमी और अब की रामनवमी में यह बड़ा फर्क देखने को मिलता है।
1950 से लेकर अब तक रामनवमी महासमिति के अधिकांश बैठकें बड़ा अखाड़ा में ही संपन्न हुई। कुछ बैठकें स्थानीय राधा कृष्ण पंच मंदिर में भी हुई थी । इसके साथ ही भगवान राम के विचार को जन-जन तक पहुंचाने एवं सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किए जाते थे । हिन्दू धर्म में नवजागरण एवं हिंदू एकता के भी प्रस्ताव पारित होते थे। बाद के कालखंड में यह परंपरा बंद हो गई थी। 1968 – 69 से सिर्फ महासमिति के अध्यक्ष का चुनाव होता आ रहा है । शहर एवं गांव से आने वाले जुलूसों को कैसे नियंत्रित किया जाए ? इसकी जवाबदेही महासमिति की होती है। रामनवमी महासमिति बीते 50 – 55 वर्षों से प्रशासन के सहयोग से रामनवमी के जुलूस को नियंत्रित करने में महती भूमिका अदा करती चली आ रही है।
1918 में स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर ने अपने पांच साथियों के साथ मिलकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जयंती पर चैत्र नवमी के दिन पहला महावीर झंडा निकाला था। तब शायद किसी ने कल्पना भी ना की थी कि गुरु साहब ठाकुर द्वारा निकाला गया यह पहला महावीर झंडा जुलूस एक दिन इंटरनेशनल रामनवमी के रूप में तब्दील हो जाएगा। 1928 तक आते-आते गुरु साहब ठाकुर द्वारा निकाला गया महाविरी झंडा एक बड़े जुलूस में परिवर्तित हो चुका था । धीरे-धीरे कर नगर के कई गणमान्य लोग इस जुलूस से जुड़ते चले गए थे । बाद के कालखंड में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी इस रामनवमी के जुलूस से जुड़ गए थे। देश की आजादी तक पहुंचते – पहुंचते रामनवमी का यह जुलूस एक बड़ा रूप धारण कर लिया था। रामनवमी का यह जुलूस आमजन के बीच काफी लोकप्रिय हो चुका था। इस जुलूस में हजारों हजार की संख्या में राम भक्त जुड़ने लगे थे । नगर के प्रमुख चौक चौराहों पर शस्त्र प्रदर्शन होने लगा था।
श्री चैत्र रामनवमी महासमिति एक अपंजीकृत संस्था है। रामनवमी महासमिति के गठन के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक कोई नियमावली नहीं बन पाई है ।
 महासमिति का सन् 1956 में जारी एक पर्चा के अवलोकन से  जानकारी मिलती है कि उस कालखंड में केन्द्रीय महासमिति का नाम ‘श्री चैत्र रामनवमी महावीर झंडा महोत्सव’ और ‘श्री महावीर मंडल हजारीबाग’ के नाम से जाना जाता था । पर्चा में दर्ज है कि उस समय नवमी का जुलूस दोपहर के एक बजे तक बड़ा अखाड़ा के पास आ जाता था। इस तरह का निर्देश केंद्रीय महासमिति द्वारा जारी किया जाता था। ‌ रामनवमी के सभी जुलूस एक-एक कर बड़ा अखाड़ा पहुंच जाते थे।  इसके पश्चात जुलूस पूरे नगर का भ्रमण कर बड़ा अखाड़ा में वापस लौट जाया करता था। इस तरह नवमी के जुलूस का समापन होता था। दूसरे दिन दसवीं को भी सभी जुलूस एक बजे दोपहर में बड़ा अखाड़ा आ जाता था। इस जुलूस में दुर्गा प्रतिमाएं सम्मिलित होती थीं। नवमी की तरह ही दसवीं का जुलूस भी पूरे नगर का भ्रमण कर संध्या बड़ा अखाड़ा वापस आ जाता था।  फिर जुलूस समापन की घोषणा हो जाती थी। सिर्फ दुर्गा प्रतिमाएं  बड़ा अखाड़ा नहीं आती थीं। इन प्रतिमाओं का विसर्जन स्थानीय छठ तलाब में हुआ करता था। 
उस जमाने में भी सभी अखाड़ा धारियों के लिए लाइसेंस बनाना अनिवार्य था।‌ पुलिस प्रशासन द्वारा लाईसेंस मांगे ने जाने पर अखाड़ा धारियों को लाइसेंस भी दिखाने का निर्देश उक्त पर्चा में दर्ज है।  इस अवसर पर महासमिति सर्वसाधारण से जुलूस में  शामिल होने वाले आगंतुक अतिथियों को इत्र, गुलाब जल, शरबत, मीठा जल,पान, फूल मालाओं से स्वागत करने का आग्रह करती थी। महासमिति लोगों से महावीरी झंडा वितरण करने की भी  आग्रह थी। महासमिति के उक्त आग्रह के आलोक नगरवासी तन, मन धन से सहयोग किया करते थे। सन् 1956 में रामनवमी जुलूस 19 अप्रैल और दशमी का जुलूस 20 अप्रैल को निकाला गया था। उक्त पर्चा में यह भी है कि महासमिति  सर्वसाधारण से आग्रह करती थी कि नगरवासी दो  दिनों तक अपने – अपने कारोबार को बंद रखकर इस उत्सव में सप्रेम सम्मिलित होकर जुलूस की शोभा बढ़ाएं। 
रामनवमी का जुलूस उस जमाने में भी इतना लोकप्रिय था कि लोग अपने अपने कारोबार दो दिनों तक बंद कर जुलूस में शामिल होकर नाचते -गाते थे । इसके साथ ही महासमिति ने दर्ज किया था कि ‘धर्म और अटल संगठन को दृढ़ रखें जो समय पर राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु काम आ सकें।’
श्री चैत्र रामनवमी महासमिति के प्रथम अध्यक्ष गुरु सहाय ठाकुर के चुनें बाद बाद कई वर्षों तक बड़ा अखाड़ा के  मंहत ही सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाते थे। बाद में नगर के विशिष्ट लोग महासमिति के अध्यक्ष बनते रहे थे। 
श्री चैत्र रामनवमी महासमिति के पूर्व पदाधिकारियों, बड़ा अखाड़ा के महंत विजय दास एवं कई अन्य लोगों से बातचीत कर श्री चैत्र रामनवमी महासमिति के पूर्व अध्यक्ष की एक सूची तैयार की गई है।  श्री चैत्र रामनवमी महासमिति  के अध्यक्ष की सूची बनाने में पूर्ण सावधानी बरती गई है, इसके बावजूद त्रुटि से इनकार नहीं किया जा सकता। श्री चैत्र रामनवमी महासमिति के अध्यक्षों की पहली सूची में 45 नाम अंकित कर पाया हूं।। यहां यह लिखना जरूरी हो जाता है कि महासमिति के कई अध्यक्ष, दो -तीन बार भी बनें थे ।  रामनवमी महासमिति के प्रथम अध्यक्ष स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर,स्वर्गीय महंत बलराम दास, स्वर्गीय महंत रामदुलार दास, स्वर्गीय महंत गोमती दास, स्वर्गीय महंत रामेश्वर दास, स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर, स्वर्गीय यादो बाबू, स्वर्गीय हीरालाल महाजन, स्वर्गीय पाचू गोप, स्वर्गीय टीभर गोप, स्वर्गीय कन्हाई गोप, स्वर्गीय महेश्वरी बाबू, स्वर्गीय अखौरी ब्रजेश (बच्चन बाबू), स्वर्गीय प्रशांत सहाय, स्वर्गीय दीपचंद जैन, स्वर्गीय काली साल, स्वर्गीय काली दास केसरी, स्वर्गीय राजकुमार लाल, स्वर्गीय बी.बी.लाल अधिवक्ता, स्वर्गीय सुरेश प्रसाद केसरी, स्वर्गीय काशी अग्रवाल, स्वर्गीय सुधीर सिन्हा, स्वर्गीय गणेश प्रसाद गुप्ता, इन्द्र गोप, वकील महतो, राजकुमार यादव, प्रमोद यादव, मंजीत यादव, सुनील केसरी, विजय साव, अमरदीप यादव, बबलू गुप्ता, बिगन लाल गुप्ता, यदुनाथ पांडेय, पवन लाल अग्रवाल, अनमोल कुमार साव, मनीष गोप, रंजन सहाय, विरेंद्र कुमार वीर,  सुधीर कुमार यादव, राजेश गोप, शशि केसरी, राजेश यादव, पवन गुप्ता, कुणाल यादव एवं वर्तमान अध्यक्ष जीतू यादव है ।
इस वर्ष 22 जनवरी को अयोध्या में रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। संपूर्ण देश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिन पर बड़े ही हर्ष के साथ रामनवमी का त्यौहार में मनाया जाना है। हजारीबाग की बात तो निराली ही है। यहां की रामनवमी तो विश्व विख्यात है। हजारीबाग की रामनवमी इंटरनेशनल रामनवमी के नाम से जानी जाती है। इस वर्ष श्री चैत्र रामनवमी महासमिति के नेतृत्व में बड़े ही धूमधाम से रामनवमी का त्यौहार मनाने का निर्णय लिया गया है। महासमिति के पदाधिकारी गण रामनवमी का जुलूस शांति और सौहार्द के वातावरण में संपन्न कराए जाने की निमित्त सक्रिय हैं।