भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जन को एक जुट खड़े होने की जरूरत है
( 9 दिसंबर, 'अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस' पर विशेष )
भ्रष्टाचार एक ऐसा दीमक है, जो देखते ही देखते किसी भी देश को खोखला बना देता है। जिस प्रकार लकड़ी में अगर एक बार दीमक का कीड़ा लग जाए तो उसे जड़ से हटाए बिना उसकी रक्षा नहीं की जा सकती है। भ्रष्टाचार भी दीमक के कीड़े के समान है। समय रहते अगर इसका इलाज कर लिया गया, तभी देश को आर्थिक तंगी और बदहाली से बचाया जा सकता है। विश्व में लगभग दो सौ देश, देश की श्रेणी में सूची बद्ध हैं। क्या इन दो सौ देश में से कोई एक देश यह दावे के साथ कर सकता है कि उसका देश भ्रष्टाचार से मुक्त है ? किसी न किसी रूप में सभी देशों में भ्रष्टाचार व्याप्त है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर भ्रष्टाचार होता क्या है ? भ्रष्टाचार की परिभाषा यह है कि देश, राज्यों और सरकारी पदों पर आसीन व्यक्ति, व्यक्तिगत स्वार्थ और दूसरे को लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का इस्तेमाल करता है, यह सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है । वहीं दूसरी ओर कोई आमजन भी अपनी सेवा के बदले अधिक राशि का दोहन करता है, तो यह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। अब विचारणीय यह है कि हम सब भ्रष्टाचार की किस श्रेणी में खड़े हैं ? इस पर विचार करने की जरूरत है। अगर हम सच्चे अर्थों में भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं, तो सबसे पहले खुद को बदलने की जरूरत है। नैतिकवान और ईमानदार बनाने की जरूरत है। तभी भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है । भ्रष्टाचार पर बोलना और लिखना बहुत आसान है। खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा करने के लिए नैतिकवान और ईमानदार बनाना जरूरी है। तभी भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है, जिससे विश्व के लगभग सभी देश त्रस्त हैं। विश्व के लगभग आधा से ज्यादा देश भ्रष्टाचार के कारण आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं । उन देशों की प्रति व्यक्ति आय दिन प दिन घटती जा रही है। ऐसे देशों में असमानता की दरें ज्यादा बढ़ती चली जा रही है । यहां लिखना जरूरी हो जाता है कि विश्व के जिन देशों में भ्रष्टाचार ज्यादा है,उन देशों में असमानता की दरें ज्यादा बढ़ती हुई होती हैं । पिछले दिनों बांग्लादेश और नेपाल में आम नागरिकों का जो गुस्सा फूटा, फलस्वरुप दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने पद से इस्तीफा देकर सत्ता से अलग होना पड़ा था । इसके जड़ में भ्रष्टाचार ही रहा था । ऐसे देशों में सत्ता और सरकारी पदों पर बैठे अधिकारियों के पास भ्रष्टाचार से कमाई गई अकूत संपत्ति जमा हो जाती है। वहीं दूसरी ओर आमजन की हक की कमाई भी उससे दूर चली जाती है। रोजी - रोजगार की काफी दिक्कतें उत्पन्न जाती है। महंगाई चरम पर चली जाती हैं । आमजन को दो जून की रोटी जुगाड़ करने में भी काफी परेशानियों का सामना करने पड़ता है। देश पर देशीय बैंकों, अन्य देशों सहित विश्व बैंक का कर्ज इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि देश का संचालन करना भी कठिन हो जाता है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का उदाहरण हम सबों के सामने है। पाकिस्तान में भ्रष्टाचार इतना बढ़ा हुआ है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन बीते कई वर्षों से समय पर नहीं दिए जा रहे हैं । महंगाई इतनी बड़ी हुई है कि रोजमर्रा की चीजें भी लाइन पे खड़े होकर लोग लेने के विवश हैं।
आज भ्रष्टाचार एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है। कोई भी देश भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। ऐसा नहीं की भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाजें बुलंद नहीं हो रही हैं । लेकिन इन तमाम उठती आवाजों के विरुद्ध भी भ्रष्टाचार अपनी बुलंदी पर है। इस विश्व व्यापी समस्या को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संगठन ने 31 अक्टूबर 2003 में एक भ्रष्टाचार-निरोधी समझौता पारित किया था। इसके तहत विश्व भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए हर 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार निरोधी दिवस के रूप में बनाने का फैसला लिया गया। तभी से विश्व भर में यह दिवस मनाया जाता रह रहा है। यह दिन भ्रष्टाचार के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम के लिए वैश्विक स्तर पर काम करने के उद्देश्य से मनाया जाता है । इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार खत्म हो। इसे लेकर कई देशों में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं ताकि लोगों के बीच एक सकारात्मक पहल हो और लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा न दें बल्कि उन लोगों को बेनकाब करने जो भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार एक सामाजिक समस्या के खिलाफ संघर्ष का एक हिस्सा है इसका उद्देश्य एक मात्र ईमानदार और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में कदम उठाना है।
भ्रष्टाचार खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और इसे स्थापित करने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन कई लोग अलग-अलग कार्यक्रमों और आयोजनों में हिस्सा लेते हैं। ऐसे में अगर आपके इलाके में ऐसा कोई आयोजन होगा तो आपको भी जरूर शामिल होना चाहिए ताकि आपको पता चलें कि आखिर कैसे भ्रष्टचारियों से निपटना है, तो इसके साथ ही ये भी जान लेते हैं कि अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस किस दिन से मनाया जाता है। आज कई लोग भ्रष्टाचार निरोधी दिवस को दिखावे के दिवस के रूप में भी आरोप लगाने से चूकते नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि सिर्फ आरोप लगाने से देश अथवा राज्यों को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सकता है ? इसका एक ही जवाब है। कदापि नहीं। भ्रष्टाचार दिवस का मुख्य उद्देश्य यह है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा की जाए। जिस देश के लोग ज्यादा जागरुक हैं, वैसे देशों में भ्रष्टाचार की जड़े उतनी फैल नहीं पा रही है। ऐसा नहीं कि ये देश भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्त हैं। लेकिन ऐसे देशों में भ्रष्टाचार की जड़े जम नहीं पा रही हैं । जिन देशों के नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ जागृत नहीं हैं, वैसे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत तेजी से फैलती चली जा रही है। और देश को खोखला बनाती चली जा रही हैं।
भ्रष्टाचार निरोधी दिवस का मुख्य उद्देश्य है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन के प्रति केंद्र और राज्य की सरकारें सजग रहकर ईमानदार और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में कार्य करें। विश्व के हर देशों में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर एंटी करप्शन विभाग कार्यरत हैं। इस एंटी करप्शन विभाग का काम यह कि जो सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी भ्रष्टाचार के लेनदेन में संलग्न हैं,उसे रंगे हाथों पकड़ना और जेल की सलाखों के पीछे ढकेल देना है। ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सजा न्यायालय द्वारा देने का भी प्रावधान है। ताकि भ्रष्टाचार को फैलने से रोका जाए।
भ्रष्टाचार निरोधी दिवस के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में एकजुटता पैदा की जाती है। यह दिन भ्रष्टाचार को रोकने और समाज में ईमानदारी और न्याय को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में भ्रष्टाचार को लेकर कई कदम उठाए गए हैं। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण कदम शामिल हैं, जैसे कि डिजिटली भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ई-गवर्नेंस के अनुप्रयोग, आंतरिक और बाह्य जांच एजेंसियों के गठन, भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई, लोकतंत्र की स्थापना और सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देना। भारत सरकार ने आईपीसी और जीएसटी जैसे कई बड़े रिफॉर्म्स को शुरू किया है, जिनसे अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद है और जो भ्रष्टाचार को कम करने में मदद कर सकते हैं। सरकार ने लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अनेक तरह के योजनाओं की शुरुआत की है। ये सभी कदम भ्रष्टाचार को कम करने और समाज में ईमानदारी और न्याय को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
