यूक्रेन में फँसे भारतीयों का “सटीक” आँकड़ा नहीं है सरकार के पास, अभी भी “अनुमान” लगाया जा रहा है……

भारत के विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा, "जब हमने पहली एडवाइजरी जारी की थी तो उस समय हमारा अनुमान था कि 20,000 छात्र-छात्राएं यूक्रेन में हैं।

यूक्रेन में फँसे भारतीयों का “सटीक” आँकड़ा नहीं है सरकार के पास, अभी भी “अनुमान” लगाया जा रहा है……

गिरीश मालवीय

कल सुबह भारतीय छात्रों को युक्रेन की राजधानी कीव से तुरंत निकलने की एडवाइजरी जारी की जाती है, और इसके ठीक 12 घण्टे बाद भारत में बैठे हुए विदेश सचिव श्रृंगला कहते हैं कि “हमारे सभी नागरिकों ने कीव छोड़ दिया है, हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक कीव में हमारे और नागरिक नहीं हैं, वहां से हमें किसी ने संपर्क नहीं किया है……” इसके तुरंत बाद यह खबर आती है कि यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय दूतावास को बंद कर दिया गया है। संभवतः इसे समीपवर्ती शहर लीव में शिफ्ट किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय दूतावास को यह सुनिश्चित करने के बाद बंद कर दिया गया है कि वहां अब कोई भारतीय नहीं रह गया है। यानि हमारे विदेश सचिव की बातों का मतलब यह है कि कीव से हमसे किसी भारतीय ने सम्पर्क नहीं किया इसका मतलब यह है कि उन्होंने कीव छोड़ दिया है ?…. चलिए ठीक है मान लेते हैं कि ऐसा ही हुआ हो , मानने के अलावा हमारे पास कोई चारा भी नही है। कल एक और आश्चर्यजनक दावा किया गया है कि विदेश सचिव ने कहा, “जब हमने पहली एडवाइजरी जारी की थी तो उस समय हमारा अनुमान था कि 20,000 छात्र-छात्राएं यूक्रेन में हैं। उस समय से लगभग 12,000 लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं, जो कि यूक्रेन में हमारे नागरिकों की कुल संख्या का 60 प्रतिशत है।” मुझे समझ नहीं आता कि इस बयान मे ‘अनुमान’ जैसे शब्द की क्या जरुरत है? बिना पासपोर्ट बिना वीजा के कोई भारतीय छात्र वहाँ की यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है क्या ?….. आपको एग्जेक्ट मालूम होना चाहिए कि कौन छात्र कहाँ है? किस हाल में है? किस शहर में है? किस रास्ते पर चल रहा है?..आप कह रहे हैं कि 12,000 लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। अभी तक आपने मुश्किल से 3000 लोगों को अपने देश में पुहंचाया है। आपके ही हिसाब से अभी भी आपको 9000 लोगों को पड़ोसी देशों से भारत लाना है। उसके बावजुद हमारे 8000 बच्चे भयानक बमबारी झेल रहे हैं। तीन हजार से ज्यादा बच्चे खारकीव में हैं, उन्हें वहाँ से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए 1100 किलोमीटर का सफर करना है ……।

समझ में नहीं आता कि कोई मीडिया चैनल यह पूछने की हिम्मत क्यूँ नहीं कर रहा है कि मोदी सरकार बताए कि युक्रेन में हमारे कितने छात्र लापता हैं? अभी तक कोई ऑफिशीयल आंकड़ा नहीं है, अनुमान लगाए जा रहे हैं। जबकि कई छात्राओं के अगवा किए जाने की बात सामने आई है। आज तक के संवाददाता गौरव सावंत युक्रेन में मौजूद है। क्या वे उन छात्रों से जाकर वहां मिल नहीं सकते? उन्हें दिलासा नहीं दे सकते !…दो दिन पहले जब एक भारतीय छात्र ने उनके लाईव फीड में आकर अपनी बात रखने का प्रयास किया तो उन्होंने उसे दुत्कार दिया कि मुझे अपना काम करने दीजिए….. बड़ा सवाल : क्या फंसे हुए भारतीय छात्र छात्राओं को हो रही परेशानी को दिखाना मीडिया का काम नहीं है ?