झारखंड में औद्योगिक विकास के लिए एक अलग आयोग का गठन जरूरी : रामाशंकर प्रसाद

झारखंड में औद्योगिक विकास के लिए एक अलग आयोग का गठन जरूरी : रामाशंकर प्रसाद

रांची। उद्योग-व्यवसाय हित के संरक्षण के लिए गठित व्यापारिक संगठन “अखिल एकता उद्योग व्यापार मंडल” की झारखंड प्रदेश इकाई के प्रवक्ता व लोकप्रिय समाजसेवी रामाशंकर प्रसाद ने कहा है कि झारखंड में उद्यमिता विकास और औद्योगिक आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए अन्य आयोगों की तर्ज पर औद्योगिक-व्यावसायिक आयोग का गठन किया जाना जरूरी प्रतीत हो रहा है। इसके साथ ही सिंगल विंडो सिस्टम को भी प्रभावी बनाना आवश्यक है। श्री प्रसाद ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा है कि सरकार को सिंगल विंडो सिस्टम को कारगर बनाने के लिए ठोस नीति बनाने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि झारखंड में औद्योगिक क्षेत्रों की आधारभूत संरचनाएं विकसित करने, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और अधिक कारगर बनाने की दिशा में सरकार को प्राथमिकता के आधार पर काम करने की जरूरत है। यह वर्तमान समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि राज्य में व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्र में विकास के लिए जटिल कानूनों का सरलीकरण किया जाना चाहिए। साथ ही मध्यम एवं लघु उद्यमियों को सुविधाएं मुहैया करने के लिए उद्योग विभाग के तहत एक अलग इकाई का गठन भी किए जाने की आवश्यकता है, ताकि एमएसएमई से जुड़े लघु एवं मध्यम उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में विकास और पर्यटकों की सुविधा के लिए सूबे के ख्यातिप्राप्त पर्यटन स्थल नेतरहाट और बेतला नेशनल पार्क में पीपीपी मोड पर होटल संचालन को बढ़ावा दिए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे और पर्यटन विकास से राज्य को राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए जीएसटी में संरचनात्मक परिवर्तन कर नया संस्करण लाने की मांग विभिन्न व्यवसायिक संगठनों की ओर से की जा रही है। इस दिशा में भी केंद्र सरकार को यथोचित कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य प्राप्ति के लिए उद्यमियों- व्यापारियों के लिए नियमों एवं कानूनों का सरलीकरण जरूरी है। इसके लिए कानून में संरचनात्मक परिवर्तन कर उसके नए संस्करण लाने की आवश्यकता है, ताकि उद्यमी और व्यवसायी अपना कारोबार सुगम तरीके से संचालित कर सकें। यह राष्ट्रहित, व्यापार हित और जनहित में जरूरी है।