प्राइवेट स्कूलों में अभिभावकों के शोषण पर रोक लगाए सरकार : राकेश सिंह
रांची. झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य व शहर के जाने-माने समाजसेवी राकेश कुमार सिंह ने निजी स्कूलों में अभिभावकों के शोषण पर रोक लगाने की मांग सरकार से की है. उन्होंने निजी स्कूलों के संचालकों की ओर से लगातार की रही शुल्क वृद्धि पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. श्री सिंह ने कहा है कि निजी स्कूलों के संचालक सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. उनके द्वारा अभिभावकों का शोषण बदस्तूर जारी है. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा गठित झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण भी नख-दंत विहीन हो गया है. निजी स्कूलों के खिलाफ न्यायाधिकरण में दर्ज कराई गई शिकायतों से संबंधित कई संचिकाएं धूल फांक रही है. कुछ मामलों में न्यायाधिकरण के आदेश भी निजी स्कूल संचालकों पर बेअसर है. निजी स्कूलों के संचालक सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी मनमानी पर आमादा हैं. उन्होंने कहा कि एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान मध्यमवर्गीय परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं. वहीं, दूसरी तरफ निजी स्कूलों के संचालक अभिभावकों पर और अधिक आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं. स्कूल फीस आदि तो मनमाने ढंग से जबरन वसूल किया ही जा रहा है, किताब-कॉपी की खरीदारी में भी अभिभावकों की जेबें ढीली हो रही है. स्कूल प्रबंधन और किताब दुकानदारों के बीच कमीशनखोरी के खेल में भी अभिभावक बुरी तरह पिस रहे हैं. अपने बच्चों का भविष्य देखते हुए अभिभावक कुछ भी आवाज नहीं उठाते हैं. निजी स्कूल प्रबंधन इसका जमकर लाभ उठा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से निजी स्कूलों में किताब-कॉपी, ड्रेस आदि की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया गया. स्कूल संचालकों ने इसके लिए दूसरा उपाय कर लिया. अभिभावकों को स्कूल की ओर से निर्धारित दुकान से ही किताब-कॉपी आदि खरीदने का निर्देश दिया जाता है.
श्री सिंह ने कहा कि सरकारी आदेशों से बेपरवाह कुछ निजी स्कूल संचालक शिक्षण शुल्क के अलावा एनुअल चार्ज, मिसिलेनियस चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज आदि के नाम पर भी अभिभावकों से राशि वसूल रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. सरकार को इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है.