रेलवे के निजीकरण से बढ़ेगी बेरोजगारी : आशीष सिंह
बख्तियारपुर (पटना)।
रेलवे के निजीकरण से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां खत्म होंगी। निजी क्षेत्र के उद्योगपति/पूंजीपति कम लोगों से ज्यादा काम करवाकर अधिकाधिक लाभ अर्जित करने में लगे रहेंगे। उक्त बातें पटना जिलांतर्गत बख्तियारपुर प्रखंड के करनौती ग्राम निवासी छात्र आशीष सिंह (पिंकू) ने कही। वे केंद्र सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण करने के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। आशीष ने मगध विश्वविद्यालय के अधीनस्थ राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय, बख्तियारपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की है और फिलवक्त सरकारी नौकरी के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। आशीष का मानना है कि रेलवे के निजीकरण किए जाने से काफी संख्या में युवा बेरोजगार हो जाएंगे। निजी क्षेत्र के उद्योगपति अपने हिसाब से मानव संसाधन विकसित करेंगे। इसमें उनका एकाधिकार होगा। सरकार का उन पर नियंत्रण नहीं होगा। इस वजह से अपनी मनमानी करेंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न रेल मार्गों पर निजी क्षेत्र के अधीन ट्रेन के परिचालन को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, रेलवे के द्वारा संचालित होने वाली ट्रेनों के परिचालन के प्रति उदासीनता बरते जाने की भी संभावना रहेगी। उन्होंने कहा कि
इस बात की भी संभावना रहेगी कि प्राइवेट ट्रेनों को क्लियर सिग्नल दिया जाये, जिससे वो ट्रेनें समय पर पहुंचेंगी और सरकारी ट्रेनें स्टेशन के बाहर खड़ी होकर सिग्नल का इंतजार ही करती रहेंगी। आशीष ने कहा कि
निजीकरण का सबसे अधिक प्रभाव मध्यम और निम्न वर्गीय लोगों पर पड़ेगा। निजी क्षेत्र के ट्रेन संचालक रेल किराया अपने हिसाब से तय करेंगे, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के यात्रियों को काफी आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा। ऐसा कहा जा सकता है कि रेलवे का निजीकरण का ठीक वैसा ही परिणाम सामने आयेगा, जैसा कि सरकारी और निजी स्कूलों व अस्पतालों का है। सरकारी स्कूलों में पढाई होती नहीं है और निजी स्कूलों की फीस इतनी ज्यादा है कि हर कोई अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है। आशीष ने कहा कि कुल मिलाकर रेलवे के निजीकरण करने का केंद्र सरकार का निर्णय छात्र हित और युवाओं के हित में नहीं है।