5101 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ का आयोजन 22-23 अगस्त को
आध्यात्मिक भजनों की प्रस्तुति से गुंजायमान होगा यज्ञ स्थल। विहंगम योग के प्रणेता श्री सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की मनाई जाएगी 137 वीं जन्म जयंती, साथ ही संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज का होगा दिव्य प्रवचन। इसे लेकर एचईसी परिसर के प्रभात तारा मैदान धुर्वा में महायज्ञ की तैयारियां पूरी कर ली गई है।
रांची। विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफलदेव जी महाराज की 137वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर 5101 कुंडीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ का आयोजन 22 और 23 अगस्त को राजधानी रांची के प्रभात तारा, धुर्वा मैदान में किया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ 22 अगस्त को सद्गुरू उत्तराधिकारी पूज्य संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज के कर कमलों द्वारा 'अ' अंकित श्वेत ध्वजा फहराकर किया जाएगा। तदोपरांत राष्ट्रीय स्तर के भजन गायकों द्वारा आध्यात्मिक भजनों की प्रस्तुति की जाएगी। इसके बाद पूज्य संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की स्वर्वेद आधारित संगीतमयी दिव्य वाणी होगी।
उक्त जानकारी विहंगम योग संदेश पत्रिका के संपादक सुखनंदन सिंह सदय ने दी।
कार्यक्रम से संबंधित सूचना को लेकर सोमवार को धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया था। प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए सुखनंदन सिंह सदय ने बताया कि 23 अगस्त को प्रातः 6 बजे से प्रभात तारा मैदान के सभा मंडप में आसन-प्राणायाम प्रशिक्षण सभा का शुभारम्भ प्रशिक्षित योग शिक्षकों द्वारा किया जाएगा। इस क्रम में स्वास्थ्य चेतना सम्बन्धी विशेष जानकारी भी दी जाएगी।
स्वास्थ्य,सुख और शांति का संगम है विहंगम योग : सुखनंदन सिंह सदय
उन्होंने बताया कि विहंगम योग स्वास्थ्य, सुख और शांति का संगम है। सेवा,सत्संग और साधना की त्रिवेणी विहंगम योग है। विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने कहा कि एक साधक जब सिद्धासन में बैठकर अपनी चेतना को गुरु उपदिष्ट भूमि पर केंद्रित करता है तो वह मानसिक व आत्मिक शांति का अनुभव करता है। मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है।
इस महायज्ञ में गुरुकुलम वाराणसी के विद्यार्थी भी होंगे शामिल
समारोह के दूसरे दिन 23 अगस्त को प्रातः 10 बजे मैदान परिसर में विराट यज्ञ कुण्डों पर हजारों यज्ञमानों द्वारा विश्व शान्ति वैदिक महायज्ञ पूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के संरक्षण में गुरूकुलम वाराणसी के विद्यार्थियों द्वारा सम्पन्न कराया जाएगा। 'यज्ञो वै श्रेष्ठतम कर्म' की साकार प्रतिमा इस महायज्ञ में मूर्तिमान हो उठेगी।
बता दें कि ब्रह्म विद्या विहंगम योग के प्रणेता अध्यात्म मार्तंड महर्षि सदाफल देव जी महाराज ने एक दिसम्बर 1924 को वृत्तिकूट आश्रम पकड़ी, बलिया, उत्तर प्रदेश में विहंगम योग संत समाज की स्थापना की थी। इसी परिप्रेक्ष्य में विहंगम योग संत समाज का 100 वां वार्षिकोत्सव स्वर्वेद महामन्दिर परिसर, वाराणसी में विगत 17, 18 दिसम्बर 2023 को मनाया गया था, जिसके मुख्य अतिथि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थे।
शताब्दी समारोह महोत्सव 7-8दिसंबर को वाराणसी में
इस दिव्य और भव्य आयोजन के साथ ही यह 'संत समाज' अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष (2024) में प्रवेश कर गया है। इसी उपलक्ष्य में संस्थान आगामी 7, 8 दिसम्बर 2024 को शताब्दी समारोह महोत्सव वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर परिसर में आयोजित किया जाएगा।
प्रेसवार्ता में संस्था (विहंगम योग) के ललित सिंह, कमलेश श्रीवास्तव, अखिलेश शर्मा, डॉ.अनिल कुमार शर्मा, उपेंद्र मिश्रा, बसंत सिन्हा, जितेंद्र सिन्हा, सचिदानंद शर्मा सहित अन्य मौजूद थे।