जीबीएम कॉलेज में हिन्दी विभाग की ओर से “कविता का पाठ कैसे करें” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

जीबीएम कॉलेज में हिन्दी विभाग की ओर से “कविता का पाठ कैसे करें” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

जीबीएम कॉलेज में हिन्दी विभाग की ओर से “कविता का पाठ कैसे करें” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

गया जी। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल के निर्देशानुसार विभिन्न विभागों द्वारा छात्रा उन्मुखीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत एवं आईक्यूएसी के तत्वावधान में आयोजित किये जा रहे शैक्षणिक एवं सह-शैक्षणिक कार्यक्रमों की श्रृंखला की कड़ी के रूप में हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी पखवाड़ा के तहत “कविता का पाठ कैसे करें” विषय पर कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ प्यारे मांझी, डॉ सुनीता कुमारी एवं डॉ सुरबाला कृष्णा के संयोजन में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जगजीवन कॉलेज गया के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार, प्रो सहदेब बाउरी, प्रो अफ्शां सुरैया, डॉ. शगुफ्ता अंसारी, डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, डॉ माँझी, डॉ.सुरबाला, डॉ सुनीता, डॉ फरहीन वज़ीरी, डॉ रुखसाना परवीन, डॉ प्रियंका कुमारी व अन्य प्रोफेसरों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया। अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र प्रदान करके किया गया। 

अध्यक्षीय भाषण में डॉ सहदेव बाउरी ने कहा कि हिन्दी कविता हमारे जीवन धारा की तरह है। हमें इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ. प्रदीप ने कविता की संवेदनाओं पर विचार रखते हुए कहा कि काव्य पाठ में नाटकीयता का होना बहुत जरुरी होता है। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘कृष्ण की चेतावनी’ का भावपूर्ण पाठ किया। डॉ. अफशां नाहिद ने हिन्दी उर्दू की अविरल परम्परा पर प्रकाश डाला। डॉ. दीपिका ने गुप्त जी की कविता ‘सखि वे मुझसे कहकर जाते’ का पाठ किया। डॉ रुखसाना परवीन ने ‘पिता’ पर कविता पढ़ी। । डॉ. प्यारे मांझी ने भी स्वरचित कविता ‘ मुझे ब्याहना उस घर’ का पाठ किया। छात्रा शैली पाठक ने मधुशाला काव्य की प्रस्तुति दी। दिव्यांशी ने ‘रील बनाने वाली लड़की’ कविता की सच्चाई को काव्य के माध्यम से बताया। 

कार्यक्रम में प्रथम, तृतीय एवं पंचम सेमेस्टर की छात्राओं ने एक से बढ़कर एक कविता का पाठ किया, कुछ छात्राओं ने लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। छात्रा दीपशिखा मिश्रा, स्नेहा, आँचल, रितिका, अनुष्का, अनुराधा, शाजिया परवीन, शैली पाठक, सुहानी, शालिनी, शिखा, सोनम, कृतिका, दिव्यांशी सिन्हा ने भी गीत, नृत्य, वक्तव्य एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुंदर प्रस्तुति दी। संगोष्ठी को गया कॉलेज के हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रवि कुमार ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में डॉ वीणा जायसवाल, डॉ विजेता लाल, डॉ आशुतोश कुमार पांडेय, डॉ फातिमा, डॉ नुद्रतुन निसां, डॉ अफशां नाहिद की उपस्थिति रही।