दादा से लेकर पोता तक मज़दूरी ही कर रहे हैं, बिहार की ये विडंबना है-प्रशांत किशोर

बिहार की गरीबी और पिछड़ेपन की विडंबना ये है कि जिसके दादा मजदूर थे, उसके पिता भी मजदूर ही बने और पोता भी आज मजदूरी ही कर रहा: प्रशांत किशोर

दादा से लेकर पोता तक मज़दूरी ही कर रहे हैं, बिहार की ये विडंबना है-प्रशांत किशोर

जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के सोनपुर में एक आम सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि – बिहार में प्रति व्यक्ति आय 35 हज़ार रुपए है। वहीं देश में प्रति व्यक्ति आय है 1 लाख 45 हजार रुपये। जरा सोचिए कि बिहार में सालाना लोगों कि कमाई 35 हज़ार रुपए है, तो इससे बिहार की क्या स्थिति होगी ? इस आंकड़े से साफ समझा जा सकता है। बिहार की जनता इस 35 हज़ार रुपए में बचाएगी क्या, खाएगी क्या, और पूंजी कहां से लाएगी ? आप जरा सोच कर देखिये कि हमारे पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है, पढ़ाई के लिए स्कूल की भी व्यवस्था नहीं है, और रोजगार के अवसर पैदा हो इसके लिए पूंजी भी नहीं है, तो इतना कम प्रति व्यक्ति आय होगा ही। बिहार की गरीबी और पिछड़ेपन की विडंबना ये है कि जिसके दादा मजदूर थे, उसके पिता भी मजदूर ही बने और पोता भी आज मजदूरी ही कर रहा। आप जिसको भी वोट देना चाहें दे दीजिए, जिस जात के नेता को चुनना है चुन लीजिए ,पर याद रखिए जब तक आप जागरूक नहीं होंगे तब तक बिहार को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा पायेगा।