रामलला के मूर्तिकार अरुण योगीराज को अभिनंदन
रामलला के बाल रूप की तस्वीर देखकर सब मोहित हो गए हैं। मूर्तिकार अरुण योगीराज ने एक अमर कृति को आकार दिया है।

अयोध्या में विराजमान होने वाले भगवान राम की बाल रूप मूर्ति की तस्वीर देखकर संपूर्ण देशवासी मोहित हो गए हैं। जबकि रामलला की बाल रूप मूर्ति का विधिवत प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होना है। भगवान रामलला की मूर्ति की तस्वीर चंद ही मिनटों में संपूर्ण देश में वायरल हो गई। देश के लगभग सभी अखबारों ने भगवान राम की बाल रूप मूर्ति की तस्वीर प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित किया है। टेलीविजन पर बाल रूप मूर्ति पर जमकर चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर लाखों लाख की संख्या में भगवान के इस विग्रह रूप की तस्वीरें पोस्ट की जा रही हैं । रामचंद्र भगवान की जय, जय श्री राम, जय सियाराम जैसे उद्घोष शब्दों से पूरा सोशल मीडिया भरत चला जा रहा है । यह क्रम बढ़ता ही चला जा रहा है। लोग भगवान के इस विग्रह बाल रूप को बहुत ही श्रद्धा और आनंद के साथ दर्शन कर रहे हैं। टेलीविजन पर जैसे ही भगवान रामलला के इस बाल मोहक रूप की तस्वीर आई, लोग हर काम छोड़कर टेलीविजन से चिपक गए । वही हाल अखबारों में प्रकाशित भगवान रामलला के मोहित बाल रूप को देखकर हुआ है। लोग अखबारों से रामलला की प्रकाशित तस्वीर को काटकर अपने-अपने सुरक्षित स्थानों में रख रहे हैं। इससे पूर्व राम के प्रति इतना क्रेज कभी देशवासियों में नहीं देखा गया है अयोध्या में 22 जनवरी को प्रस्तावित प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम ने समस्त देशवासियों को भगवान राम के प्रति विशेष रूप से जागृत कर दिया है।
इसे भी पढ़ें : श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलना पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों का फल: कड़िया मुंडा
त्रेतायुग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सशरीर लीला कर रहे थे । तब भगवान राम का चेहरा कुछ इस तरह था, कि जो भी जन उनको देखते थे, देखते ही रह जाते थे । उन्हें देखकर जड़ चेतन सभी मोहित हो जाया करते थे । संत तुलसीदास ने रामचरितमानस में ऐसा वर्णन किया है कि जो भी भगवान राम का दर्शन करते थे, उनके दर्शन मात्र से उस व्यक्ति के समस्त कष्ट दूर हो जाया करते थे । भगवान के राम के दर्शन के बाद व्यक्ति को उनके अलावा कुछ और दिखता ही नहीं था। भगवान राम के चेहरे का लावण्य और आभा ऐसी थी, भोगी से भोगी व्यक्ति भी पंच विकारों से मुक्त होकर भगवान राम के ध्यान में समाहित हो जाया करते थे।
रामचरितमानस मैं ऐसा वर्णन है कि भगवान राम ना बहुत गौरे थे। ना बहुत सांवले थे । उनका रंग गेंहुआ था। भगवान राम का रूप इतना मोहकथा, जिसे शब्दों में व्याखित कर पाना कठिन जान पड़ता है । भगवान राम के इस विग्रह रूप को श्याम शीला पर इस खूबसूरती के साथ आकार दिया गया है, एहसास होता है कि अब मूर्ति बोल पड़े। कर्नाटक के एक मूर्ति कलाकार अरुण योगीराज ने पूरी तन्मयता और भक्ति भाव से रामलाल की मूर्ति को आकार दिया है । मूर्ति की कारीगरी में अरुण योगीराज ने एक तरह से जान फूंक दिया है। इस तरह की कलाकृति सदियों बात बन पाती है।
कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज अपने जीवन में असंख्य मूर्तियों का निर्माण किये होंगे । आगे भी मूर्तियों का निर्माण करते रहेंगे । लेकिन शालिग्राम के इस पत्थर से जब उन्होंने भगवान राम की मूर्ति को आकार दिया, वे सदा सदा के लिए अमर हो गए ।उनकी यह कृति भी सदा सदा के लिए अमर हो गई है। कुछ ही पलों में ही करोड़ों करोड़ों लोगों ने इस मूर्ति का दर्शन कर लिया है । आने वाले कुछ ही महीने में भगवान राम के इस विग्रह मूर्ति का दर्शन करने के लिए हर दिन हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक् अयोध्या आएंगे। अरूण योगीराज मूर्तिकार की भगवान राम की यह मूर्ति सदा पूजित होती रहेगी।
इसे भी पढ़ें : श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर झारखंड में उत्साह चरम पर: डॉ बिरेन्द्र साहु
रामलला की मूर्ति को हिंदू शास्त्र नियमों के अनुसार गर्भ गृह में स्थापित कर दिया गया है। भगवान राम की मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित कर दी गई है, यह खबर जैसे ही देश में फैली, संपूर्ण देश में जय श्री राम, जय सियाराम के उद्घोष से गुंजित हो उठा। सर्व विदित है कि भगवान राम का त्रेता युग में चैत्र मास के शुक्ल नवमी के दिन प्रादुर्भाव हुआ था। तब जिस तरह खुशियां मनाई गई थी, आज संपूर्ण देश में उसी तरह की खुशी की लहर देखी जा रही है । संपूर्ण देश राममय हो उठा है। देश भर के हर के मंदिरों की सफाई की जा रही है। हर मार्ग झाड़ू से साफ किये जा रहे हैं । हर पूजा घर साफ हो रहे हैं। चंहुओर बिजली के बल्ब लगाई जा रहे हैं। हर चौक चौराहों पर त्वरण द्वार लगाएं जा रहे हैं विभिन्न प्रकार के मिष्ठान बनाए जा रहे हैं । देशवासी इस पल का इंतजार कर रहे हैं कि कब भगवान रामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा हो। उस पाल को देखने के लिए संपूर्ण देशवासी ललाईत हैं। ऐसा अवसर सदियों बाद आता है। देशवासी ऐसा महसूस कर रहे हैं । सबों को लग रहा है कि 22 जनवरी को प्रभु श्री राम फिर से इस धरा पर पधार रहे हैं। ऐसी अनुभूति सभी श्रद्धालु राम भक्त कर रहे हैं।
अभी भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी है। 22 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मोहक रामलला की मूर्ति की आंखों की पट्टी हटाकर प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। मूर्ति के संबंध में बहुत ही दिलचस्प बात यह है कि मूर्ति श्याम शीला से बनाई गई है। जिसकी आयु हजारों साल होती है ।मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं हो सकता है। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा । मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4. 24 फीट है ।जबकि चौड़ाई 3 फिट है । कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति के हाथ में तीर और धनुष है । कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है । मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक ऊं,चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान है । रामलला के चारों ओर आभामंडल है। श्री राम की भुजाएं घुटनों तक लंबी है । मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है मूर्ति में भगवान विष्णु के दस अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक और भगवान राम के आनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है। मूर्ति में 5 साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है । मूर्तिकार अरुण योगीराज ने अपनी मूर्ति कला की संपूर्ण कल को रामलाल की मूर्ति पर ऊपर दिया है।
संत तुलसीदास ने जिस भक्ति भाव से रामचरितमानस की रचना की थी, मूर्तिकार अरुण योगीराज ने भी उस भक्ति भाव से रामलाल की मूर्ति को आकार दिया है। मेरा ही नहीं करोड़ों राम भक्तों का ऐसा मानना है कि जो भी अयोध्या में विराजमान हो रहे भगवान राम की इस विग्रह मूर्ति का दर्शन करेंगे, उसके समस्त कष्ट, रोग और दुख मिट जाएंगे। मूर्तिकार अरुण योगी राज की यह कृति सदा अमिट रहेगी। संत तुलसीदास ने रामचरितमानस में दर्ज किया है कि ‘हरि अनंत हरि कथा अनंता /कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता /रामचंद्र के चरित सुहाए /कलप कोटि लगि जाहिं न गाए ॥’ इसका अर्थ है कि हरि अनंत हैं उनका कोई पार नहीं पा सकता है। उनकी कथा भी अनंत ही है। सभी संत लोग उस कथा को बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। साथ ही ये पक्तिंया कहती हैं कि भगवान श्री रामचंद्र के सुंदर चरित्र का कोई बखान नहीं कर सकता क्योंकि सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते। भगवान राम का चरित्र जितना उत्कृष्ट और मर्यादित है ।
उनका दिव्या चेहरा भी उतना ही मोहक है। उनके रूप को देखकर एक बार समय को भी ठहर जाने का मन हो जाता है। लेकिन नियति समय के साथ आगे बढ़ती रहती है, समय की इस मांग को नियती पूरा नहीं कर सकती है । आज संपूर्ण देशवासियों को इस तरह के दुर्लभ दृश्य देखने का अवसर प्राप्त हुआ है। भगवान राम सदियों पूर्व जिस जगह पर प्रकट हुए थे। आज उसी गर्भगृह में फिर से विराजमान होने जा रहे हैं । निश्चित तौर पर ऐसे दृश्य को देखने के लिए सदियां बीत जाती हैं । हम सब बहुत भाग्यशाली है कि ऐसे जीवंत दृश्य को 22 जनवरी को देखने जा रहे हैं।