मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने आयुष स्टार्टअप ‘निरोगस्ट्रीट’ के कार्यों को सराहा
रांची/ नई दिल्ली। आयुर्वेद चिकित्सकों के देश के सबसे बड़े मंच ‘निरोगस्ट्रीट’ की ख्याति राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ़ रही है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निरोगस्ट्रीट के कार्यों की सराहना की और अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन्होंने बाकायदा संस्थान का नाम लिया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हेल्थकेयर इकोसिस्टम में निरोगस्ट्रीट एक अनूठा कॉन्सेप्ट है। इसका टेकनोलॉजी आधारित प्लेटफ़ॉर्म , दुनिया-भर के आयुर्वेद डॉक्टरों को सीधे लोगों से जोड़ता है। 50 हजार से अधिक प्रैक्टिसनर इससे जुड़े हुए हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में अबू धाबी के मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट ‘इनसेड’ में भी निरोगस्ट्रीट की केस स्टडी को प्रस्तुत किया गया था । यह ऐसा पहला मौका था जब किसी आयुर्वेद के लिए काम करने वाले संस्थान के कार्यों को बतौर केस स्टडी ‘इनसेड’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पेश किया गया। इस मौके पर कई देशों के कॉरपोरेट से जुड़े लोग भी शामिल हुए। निरोगस्ट्रीट की तरफ से कंपनी के संस्थापक राम एन कुमार कार्यक्रम में शामिल हुए थे और संस्थान के लक्ष्यों को दुनिया के सामने रखा था।
प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में संस्थान का नाम लेने पर प्रतिक्रिया देते हुए निरोगस्ट्रीट के संस्थापक राम एन कुमार ने कहा कि ये प्रसन्नता का विषय है कि निरोगस्ट्रीट के कार्यों की स्वयं प्रधानमंत्री मोदी जी ने सराहना की। आयुर्वेद हेल्थकेयर इकोसिस्टम के लिए हम आगे भी अनवरत काम करते रहेंगे। प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण के माध्यम से आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर सशक्त बनाना और आयुर्वेद उपचार को लोगों की पहली प्राथमिकता बनाने के लिए हम कृतसंकल्प हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इसके पहले अपने उद्बोधन में संस्कृत के श्लोक ‘जीवेम शरदः शतम्’ का उल्लेख करते हुए कहा की हमारी संस्कृति में सबको सौ-वर्ष के स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएँ दी जाती हैं। हम 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाएंगे। आज पूरे विश्व में स्वास्थ्य को लेकर भारतीय चिंतन चाहे वो योग हो या आयुर्वेद, इसके प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है। अभी आपने देखा होगा कि पिछले ही सप्ताह कतर में एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें 114 देशों के नागरिकों ने हिस्सा लेकर एक नया स्थापित किया। इसी तरह से आयुष इंडस्ट्री का बाजार भी लगातार बड़ा हो रहा है। 6 साल पहले आयुर्वेद से जुड़ी दवाइयों का बाजार 22 हजार करोड़ रुपए के आसपास का था। आज आयुष मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुँच रही है, यानि इस क्षेत्र में संभावनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। स्टार्टअप वर्ल्ड में भी, आयुष, आकर्षण का विषय बनता जा रहा है।
उन्होंने आयुर्वेद के कई और स्टार्टअप का जिक्र करते हुए कहा कि ये लिस्ट बहुत लंबी है। ये भारत के युवा उद्यमियों और भारत में बन रही नई संभावनाओं का प्रतीक है। मेरा हेल्थ सेक्टर के स्टार्टअप्स और विशेषकर आयुष स्टार्टअप्स से एक आग्रह भी है। आप ऑनलाइन जो भी पोर्टल बनाते हैं, जो भी कंटेंट बनाते हैं , वो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त सभी भाषाओँ में भी बनाने का प्रयास करें। दुनिया में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहाँ अंग्रेजी न इतनी बोली जाती है और ना ही इतनी समझी जाती है। ऐसे देशों को भी ध्यान में रखकर अपनी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें। मुझे विश्वास है, भारत के आयुष स्टार्टअप्स बेहतर क्वालिटी के उत्पादों के साथ, जल्द ही, दुनिया भर में छा जायेंगे।