अंग्रेजी हुकूमत के तानाशाही रवैये को बरकरार कर रही है बिहार सरकार:-अनंत धीश अमन
गया । एक समय था रोटी कपङा और मकान हम सभी की मुख्य जरुरत हुआ करती थी और है भी धीरे-धीरे विकास की यात्रा करते हुए बिजली पानी और सङक हम सभी के विकास के लिए मुख्य साधन के रुप में उभर कर आया और इसके आते हीं इसकी आवश्यकता हमें पङने लगी और यह किसी भी सरकार का दायित्व है की हमारी इन जरूरतों को पूरा करें। किंतु हमारे बिहार सूबे के मुखिया ने जो रवैया अपनाया है आवाज को दबाने के लिए वह अंग्रेजी हुकूमत के तानाशाही रवैये की याद दिला रही है जो बेहद हीं दुर्भाग्यपूर्ण और आक्रोशित करने वाला है कटिहार में बिजली मुहैया कराने में असमर्थ बिहार सरकार के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किया तो वह गोलियां चलाई गई क्या अपने हक एंव अधिकार के लिए आवाज उठाने हेतु स्वतंत्र भारत में गोलियां चलाई जाएगी यह चिंतन करने का विषय है। अभी कुछ दिन पहले शिक्षकों के आंदोलन को दबाने हेतु लाठियां बरसाई गई उसी तरह भाजपा के द्वारा बिहार सरकार एंव उनके नीतियों के खिलाफ विधानसभा पैदल मार्च निकाला गया उस आंदोलन को भी कुचलने हेतु भी आंसू गैस के गोले के साथ-साथ लाठियां बरसाई गई क्या यह सरकार तानाशाही का स्वरूप नहीं ले रहा है जो कभी गुलामी के दौर में कहानी और इतिहास में दर्ज है क्या यह लोकतंत्र का स्वरूप हो भी सकता है क्या। वह भी उस बिहार में जो लोकतंत्र की जन्मभूमि है जहाँ अंग्रेजों के खिलाफ गांधी जी ने किसानों के साथ हो रहे अन्याय पर मुखर होकर सत्याग्रह का आवाहन किया था जो संवाद को प्राथमिकता देते थे उनके हीं अनुयायी आज उनके विचारों को तिलांजली देकर लाठी और गोली से सरकार चला रहे है। यह भूमि तो आपातकाल के समय भी जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व लोहा लेने का काम किया और उसी आंदोलन से जन्में बिहार के मुखिया लोकतंत्र की हत्या हेतु अधीर है वह भी सिर्फ इसलिए की उनकी सत्ता बची रहे यह बेहद हीं दुर्भाग्यपूर्ण विषय है। श्रद्धेय अटल जी ने कहा था बिहार का तेवर बगावती तेवर है जुल्म और अन्याय यह भूमि सह हीं नहीं सकती यह बात सूबे के मुखिया को समझनी चाहिए और इन सब दर्दनाक कृत्यों के लिए बिहार की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए और सत्ता नहीं संभल रही है तो अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि यह भूमि बुद्ध और महावीर की भूमि है यहाँ शांति करुणा और न्याय का स्थान है लाठी-गोली की यह भूमि नहीं है इसके द्वारा यहाँ पर शासन करना इस परम पावन भूमि एंव लोकतंत्र का अपमान है।