असम में तबाही के बावजूद वहाँ के मुख्यमंत्री झारखंड में अभिनंदन समारोह मना रहे हैं

खूंटी के तोरपा में आयोजित अभिनंदन सह विजय संकल्प सभा में असम के मुख्यमंत्री झारखंड को लेकर काफ़ी चिंतित दिखाई दे रहे थे।

असम में तबाही के बावजूद वहाँ के मुख्यमंत्री झारखंड में अभिनंदन समारोह मना रहे हैं

असम के सीएम व झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने घुसपैठियों को लेकर कांग्रेस और झामुमो पर हमला किया. मंगलवार को खूंटी के तोरपा में आयोजित अभिनंदन सह विजय संकल्प सभा में असम के मुख्यमंत्री झारखंड को लेकर काफ़ी चिंतित दिखाई दे रहे थे। अपने भाषणों में उन्होंने झारखंड के आदिवासियों को लेकर काफ़ी चिंता जताई। 

Assam Flood असम में बारिश से बाढ़ आने के बाद लोगों का जीवन अस्त - व्यस्त हो गया है। अब तक 90 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। वहीं 18 जिलों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। 1342 गांव अभी भी जलमग्न हैं और बाढ़ के पानी में 25367.61 हेक्टेयर फसल क्षेत्र डूब गया है, जिससे लगभग 6 लाख लोग प्रभावित हैं।

इसके बावजूद असम के मुख्यमंत्री झारखंड में चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त हैं। अब यह तो बिलकुल बचकानी बातें हो गई की जिनके घर में ख़ुद आग लगी हुई है और वे पूरे गाँव में घूम-घूम कर आग बुझाने के तरीक़े बता रहे हैं। चलिए ये मान लिया की चुनाव प्रभारी होने के नाते आपको ऐसा करने में बिलकुल भी शरमाना नहीं चाहिए। लेकिन विवेक और समझ भी कोई चीज होती है। साथ ही असम के मुख्यमंत्री होने के नाते आपकी असम की जनता के प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी बनता है। असम में आये संकट के समय अभी आपका सबसे पहला कर्तव्य अपने प्रदेश की जनता के साथ खड़े रहना चाहिए और उनकी समस्या को तत्काल दूर करने का प्रयास करना चाहिए। आप अपनी जिम्मेवारियों से इस कदर भागते रहेंगे तो असम की जनता आपको कहीं भी अगले चुनाव में न भगा दे। झारखंड में चुनाव में अभी समय है। असम की समस्या को दूर कर आप फिर बाद में भी झारखंड आकर यहाँ की जनता को बहका सकते हैं।

लेकिन शायद आलाकमान की नाराज़गी का डर हो या इस बात का वहम की असम में तो अगले चुनाव में काफ़ी समय है, तब तक जनता इस आपदा और आपके आपदा के समय प्रदेश से दूर रहने की बात को भुला दे। लेकिन आपको यह ध्यान रखना होगा की जनता कभी भी नहीं भूलती है, और बस समय का इंतज़ार करती है। समय आने पर आपको बखूबी याद दिलाएगी यही जनता।

झारखंड में भाजपा ख़ुद अपने आपको कमजोर साबित करती दिखाई दे रही है। जब से असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वा शरमा और शिवराज सिंह चौहान को झारखंड बुलाकर चुनाव की कमान सौंपी गई है, तभी से यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या झारखंड भाजपा में कोई भी नेता इस काबिल नहीं जिसे झारखंड में होनेवाले चुनाव की कमान सौंपी जाये। इस बात को लेकर झारखंड भाजपा के भीतर भी विरोधाभास उठ रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री बनने की आस लगाये झारखंड भाजपा के कई बड़े नेताओं के चेहरे से चमक ग़ायब हो गई है।

तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा 

भाजपा पर उक्त टिप्पणी करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने कहा कि "हिमंता बिस्वा सरमा, शिवराज सिंह चौहान और लक्ष्मीकांत वाजपेई को उनके केंद्रीय नेतृत्व ने डूब रही भाजपा की नैया को पार लगाने के लिए भेजा था, लेकिन यह पूरी तरह से झारखंड में भाजपा को डूबो देंगे।" वैसे भी कहावत है "तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा" जो इन पर पूरी तरह फिट बैठता है । उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह पूरे झारखंड में घूम-घूम कर जनता के बीच धर्मांधता का बीज बोने की कोशिश कर रहे हैं, उससे जनता परिचित है और उनकी कोई कुटील चाल यहां सफल नहीं होने वाली है।
उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान देश के कृषि मंत्री हैं लेकिन उन्होंने आंदोलनरत किसानो की मांगों के संबंध में एक शब्द भी नहीं बोला है। आदिवासियों के हितों की बात करने से पहले उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि झारखंड में लाखों आदिवासी परिवार किसान वर्ग से आते हैं अगर आदिवासी समुदाय की इतनी ही चिंता है तो भाजपा को सरना धर्म कोड के बारे में गोल मटोल बातें छोड़कर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। पिछड़ों के आरक्षण को झारखंड में भाजपा सरकार ने क्यों घटाया और जातिगत जनगणना कराने में भाजपा को क्या परेशानी है, इसका जवाब जनता जानना चाहती है। हवा हवाई की बातों और आरोपो से झारखंडी मानुष भड़कने वाला नहीं है वह जमीनी हकीकत जानता है। मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले के गवाहों की हुई संदिग्ध मौत के बारे में इनका क्या ख्याल है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के हटने के संबंध में सवाल करने वाले शिवराज सिंह चौहान से झारखंड की जनता जानना चाहती है कि अगर वो मध्यप्रदेश में सफल मुख्यमंत्री थे तो इन्हें पुनः प्रदेश में मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया गया।