रोगी अधिकार घोषणा पत्र पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित
जन-जागरूकता जरूरी : सीपी सिंह
रांची. आॅक्सफैम इंडिया और लीड्स के संयुक्त तत्वावधान में रोगी अधिकार घोषणा पत्र पर राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को होटल ली लैक में किया गया.
कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि विधायक सीपी सिंह, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के पूर्व उप कुलपति प्रो.रमेश शरण और वरिष्ठ पत्रकार मधुकर ने संयुक्त रूप से किया.
इस अवसर पर ओक्सफैम इंडिया के प्रत्युष प्रकाश, निदेशक लीड्स एके सिंह एवं सच्चिदानंद विशेष रूप से मौजूद थे.
एके सिंह, निदेशक लीड्स ने कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में केन्द्र और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अब मरीजों के अधिकारों को लागू करते हुए इसका क्रियान्वयन किया जाये, ताकि प्रत्येक मरीज को उनके हक और अधिकारों की जानकारी हो और मरीज आसानी से किसी भी अस्पताल में बिना किसी भेद भाव के बेहतर इलाज करा सकें.
मुख्य अतिथि सीपी सिंह, विधायक रांची ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार बहुत कानून बनाती है, लेकिन सही मायने में क्रियान्वयन नहीं होने पर लोगों को इसकी जानकारी नहीें हो पाती है.वहीं, रोगी के अधिकारों की जानकारी लोगों तक पंहुचाने और इस तरह के जन जागरूकता कार्यक्रम कर सरकार को मदद करने पर उन्होंने आॅक्सफैम इंडिया और लिड्स संस्था का आभार जताया. उन्होंने कहा कि वे अपने स्तर से राज्य सरकार को रोगी अधिकारों के कानून को लागू करने के लिये कहेगें ताकि इस कानून के बनने से गरीब तबके के मरीजों को भी बिना भेद भाव किये बेहतर और समुचित इलाज संभव हो सकेगा. मरीज प्राईवेट अस्पतालों की महंगाई के मार से भी बचेंगे.
प्रो. आर. शरण ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे डाॅक्टरों को समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत डाॅक्टर अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकें. आज भी कई स्वास्थ कर्मी ऐसे हैं जो निस्वार्थ सेवा देना चाहते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में सेवा नहीं दे पाते हैं.
आॅक्सफैम इण्डिया के प्रत्युय प्रकाश ने कहा कि भारत स्वास्थ सूचक में विश्व का पांचवां स्थान रखता है फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है इसलिए दिन ब दिन निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ रही है. इसलिए रोगियों के जो अधिकार हैं, उनकी जानकारी जन-जन तक पंहुचाई जानी चाहिए. ताकि उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके.रोगियों के अधिकारों को अस्पतालों में बड़े – बड़े अक्षरों में प्रिन्ट कर के लगाया जाये, इससे लोगों में जागरूता बढ़ेगी और लोग अपने अधिकारों को जान पायेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार मधुकर जी ने कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए एक समान नियम-कानून होना जरूरी है, तभी सरकारी अस्पताल बेहतर हो पायेंगे. अधिकार के साथ साथ कर्तब्य भी निवर्हन करना जरूरी है.
परिचर्चा में सच्चिदानंद, शालीनी, मेरी टुडू और विभिन्न जिले से आये प्रतिभागियों ने भी अपने विचार रखे और रोगी अधिकार घोषणा पत्र को जन-जन तक पंहुचाने की बात कही.