जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं में सहायक अध्यापकों की विशेष नियुक्ति हो-“झारखंडी भाषा बचाओ संघर्ष समिति”।

झारखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से वर्तमान में जो सहायक अध्यापक की बैकलॉग नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। उस पर तत्काल रोक लगाते हुए इन बैकलॉग पदों को सामान्य के साथ शामिल करते हुए रोस्टर को दोबारा बनाया जाए।

जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं में सहायक अध्यापकों की विशेष नियुक्ति हो-“झारखंडी भाषा बचाओ संघर्ष समिति”।

रांची :

‘विश्व आदिवासी दिवस’ के अवसर पर झारखंडी भाषा बचाओ संघर्ष समिति का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल कांग्रेस भवन,रांची में झारखंड सरकार के मंत्रियों- डॉ रामेश्वर उरांव,श्री आलमगीर आलम,श्री बादल पत्रलेख एवं राज्यसभा सांसद श्री धीरज प्रसाद साहू से मिला एवं झारखंड राज्य की जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण एवं विकास की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न भाषाओं के भाषाविद् एवं संस्कृति कर्मी शामिल थे,जिन्होंने एक स्वर में माननीय मंत्रियों से आग्रह किया की झारखंड राज्य में राज्य की अपनी ही भाषाओं का हाल बेहाल है। द्वितीय राजभाषा घोषित होने के बावजूद इन भाषाओं की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। पिछले 40 वर्षों में स्थायी सहायक अध्यापकों की बहाली इन भाषाओं में नहीं की गई है जो दुर्भाग्यपूर्ण है ,जबकि इसी काल में दो- दो बार अन्य विषयों में बहाली की गई।