सामाजिक बदलाव की बयार बहाने में जुटे हैं मोती लाल चौधरी

कुप्रथाओं को समाप्त करना और नशामुक्त समाज निर्माण है लक्ष्य

सामाजिक बदलाव की बयार बहाने में जुटे हैं मोती लाल चौधरी

रांची। समाज में व्याप्त कुरीतियां/कुप्रथाएं सामाजिक विकास में सबसे बड़ी बाधा है। स्वस्थ और समृद्ध समाज के लिए सामाजिक समरसता बनाए रखना भी जरूरी है। इसके साथ ही नशामुक्त समाज का होना भी आवश्यक है। यह धारणा झारखंड सरकार (सचिवालय सेवा) से अवर सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए अधिकारी मोतीलाल चौधरी की है। श्री चौधरी मूल रूप से बिहार के सिवान जिला अंतर्गत चैनपुर ग्राम निवासी हैं और संप्रति वे एचईसी आवासीय परिसर स्थित आवास संख्या बी- 1885 में रह रहे हैं। उनका जन्म चैनपुर गांव में 23 जनवरी 1953 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। बचपन में ही उनके सिर से मां-पिता का साया उठ गया। दादी के स्नेहांचल में उनकी परवरिश हुई। साथ ही उनके अग्रज और भाभी के सानिध्य में उनका बचपन बीता। बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेजतर्रार श्री चौधरी ने मैट्रिक के परीक्षा गांव स्थित हाई स्कूल से पास की और उसके बाद प्राइवेट से इंटरमीडिएट की शिक्षा हासिल की। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी झंझावातों को झेलते हुए संघर्षशील जीवन बिताने का संकल्प लिया और इस में सफल रहे। इस दौरान अपनी पारिवारिक समस्याओं, समाज में व्याप्त नशा पान का प्रचलन और स्वास्थ्य कारणों से वह काफी परेशान रहा करते थे। कुसंगति और नशे की लत की वजह से उनका सामाजिक जीवन भी प्रभावित होने लगा। अपने दोनों बेटों के प्रवेशिका परीक्षा में सफल होने की सूचना मिलने के बाद उन्होंने अकस्मात नशा का परित्याग कर देने का संकल्प लिया।आज उनका ज्येष्ठ पुत्र जितेंद्र कुमार चौधरी केंद्रीय डाक सेवा में पदस्थापित हैं और कनिष्ठ पुत्र डॉ. ऋषभ चौधरी जेएनयू, दिल्ली से बायोटेक में एमटेक, एमफिल और पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर आज न्यूयॉर्क अमेरिका में विश्व के सूचीबद्ध अस्पताल में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं। जबकि उनकी छोटी बेटी पूजा एमटेक कर एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं।
श्री चौधरी ने वर्ष 1998 में शाकाहारी रहने का संकल्प लिया। जिसे वह निभा रहे हैं। उनका मानना है कि मनुष्य बुरी संगत और वातावरण के कारण अपनी सारी अच्छाइयां और सोचने समझने की क्षमता और विवेक खो बैठता है। बुराई के प्रति सहज ही आकर्षित हो जाता है। वह यह भी मानते हैं कि स्वार्थी और चरित्रहीन की संगति किसी को भी अवनति की तरफ धकेल देती है। कम उम्र के बच्चे बुरी संगति का शिकार होकर अपनी सारी अच्छाइयां खो देते हैं। श्री चौधरी कहते हैं कि अच्छे लोगों का साथ और मेल मिलाप मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न करता है। कुशाग्र बुद्धि श्री चौधरी की पत्नी चंद्रावती देवी भी उन्हें सत्कर्म की ओर अग्रसर रहने में हर संभव सहयोग करती हैं। उनके त्याग, तपस्या और कर्तव्य परायणता के कारण वह राजपत्रित पदाधिकारी के रूप में अवर सचिव के पद से साफ-सुथरी छवि के साथ सेवानिवृत्त हुए। उनका मानना है कि गलत व्यसनों से छुटकारा पाने से ही मनुष्य तरक्की कर सकता है। इससे सामाजिक समृद्धि संभव है। विनाशकारी शक्तियों का नाश और सामाजिक सौहार्द बरकरार रखने के लिए मनुष्य को हर संभव कोशिश करने की आवश्यकता है।
फिलवक्त मोती लाल चौधरी सामाजिक नव निर्माण की दिशा में लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं। साथ ही सामाजिक समरसता बरकरार रखने के प्रति भी धर्म-अध्यात्म के प्रति लगाव रखते हुए लोगों को प्रेरित करते रहते हैं।