राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा ने सदन में झारखंड की 5 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग रखी
डॉ प्रदीप वर्मा ने सदन में कहा कि झारखंड में कुड़माली, खोरठा, मुंडारी, नागपुरी और हो जैसी महत्पपूर्ण भाषाएं बोली जाती है। जो ना केवल लाखों लोगों की मातृभाषा है बल्कि उनकी सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान भी है।
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झारखंडी भाषा को लेकर आज सदन में बीजेपी के सांसद प्रदीप कुमार वर्मा ने अपनी बातों को रखा । झारखंड में बोली जानेवाली पाँच प्रमुख भाषाओं को लेकर सदन में उन्होंने कहा कि कुड़माली, मुंडारी, नागपुरी, खोरठा और हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर मैं खड़ा हुआ हूं। 22 फरवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात में कहा था कि जैसे हमारे जीवन को मां गढ़ती है वैसे ही मातृभाषा भी हमारे जीवन जीवन गढ़ती है। आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वंद में जी रहे हैं जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे और अपने खान पान को लेकर एक संकोच होता है, जबकि विश्व में कहीं भी ऐसा नहीं होता है। हमारी मातृभाषा है, हमें गर्व के साथ उसे बोलना चाहिए। मैं आपके माध्यम से सरकार का ध्यान झारखंड राज्य की समृद्ध भाषायी एंव सांस्कृतिक धरोहर की ओर आकर्षित करना चाहता हूं।
भगवान बिरसा के उलगुलान की भाषा मुंडारी थी
उन्होंने कहा कि झारखंड में कुड़माली, खोरठा, मुंडारी, नागपुरी और हो जैसी महत्पपूर्ण भाषाएं बोली जाती है। जो ना केवल लाखों लोगों की मातृभाषा है बल्कि उनकी सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान भी है। भगवान बिरसा मुंडा के आंदोलन उलगुलान की भाषा भी मुंडारी थी। जिसकी अपनी समृद्ध पृष्ठभूमि रही है। यह भाषा मुंडा समुदाय की पहचान है। जिनका झारखंड के इतिहास और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हो भाषा सिंहभूम क्षेत्र में विशेष रूप से बोली जाती है। और इसके बोलने वाले हो जनजाति के लोग बड़ी संख्या में है। इसी तरह कुड़माली भाषा का संबंध बंगाल एंव झारखंड के राढ़ सिविलाइजेशन से है। कुड़माली भाषा झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़िसा के कुड़मी समुदाय द्वारा बोली जाती है। इसका साहित्यक और सांस्कृतिक महत्व भी अधिक है। नागपुरी भाषा भी झारखंड की राजधानी सहित पूरे राज्य में व्यापक रूप से संवाद की मूल भाषा है।
केंद्र एवं राज्य सरकार से विशेष अनुदान की मांग
नई शिक्षा नीति के तहत भी स्थानीय भाषाओं का स्कूली शिक्षा में प्रयोग व्यापक रूप से हो ऐसा आग्रह किया गया है। इन भाषाओं का संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल ना किये जाने से इनका उस स्तर तक प्रयोग नहीं हो पाता है जितना होना चाहिए। इन भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और शिक्षण में कई बाधाएं आती है। कुड़माली, मुंडारी, खोरठा और हो भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया जाए। इन भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन विकास एंव अध्ययन हेतू केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा विशेष योजना और अनुदान प्रदान किया जाए जिससे इसका विकास हो सके।