सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को सशर्त दिया बेल, आज जेल से बाहर आ सकते हैं सिसोदिया

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील से कहा कि हम जमानत तो दे रहे हैं लेकिन उन्हें कुछ अहम बातों को ख्याल रखना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को सशर्त दिया बेल, आज जेल से बाहर आ सकते हैं  सिसोदिया

दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 17 महीने के बाद कोर्ट से जमानत मिली है. उनके आज जेल से बाहर आने की उम्मीद है. सिसोदिया को 10 लाख रुपए का बॉन्ड भरना होगा. बता दें कि मनीष सिसोदिया दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते समय मनीष सिसोदिया के सामने कुछ शर्तें भी रखीं हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील से कहा कि हम जमानत तो दे रहे हैं लेकिन उन्हें कुछ अहम बातों को ख्याल रखना होगा. मनीष सिसोदिया जेल से बाहर रहते हुए इस मामले से जुड़े सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे. साथ वह किसी भी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश भी नहीं करेंगे. मनीष सिसोदिया देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकते, उन्हें अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत पर रहते हुए मनीष सिसोदिया को हर सोमवार को पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाने आना होगा.

CBI ने सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ED ने 9 मार्च को उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया। सिसोदिया को CBI और ED, दोनों मामलों में जमानत मिली है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुनाया है। बेंच ने तीन दिन पहले 6 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले 11 जुलाई को सिसोदिया की जमानत की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजय कुमार ने बेंच से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद सुनवाई टल गई थी।

सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सिसोदिया ने अपनी याचिका में कहा था कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमे में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के मामलों में मनीष सिसोदिया को जमानत दी है. कोर्ट ने जमानत देते समय ट्रायल में देरी को मुख्य आधार बताया है. कोर्ट ने लंबे समय तक प्री-ट्रायल हिरासत को भी गंभीरता से लिया है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जमानत एक नियम है जबकि जेल एक अपवाद है. हमने मनीष सिसोदिया को लंबे समय तक जेल में रखे जाने पर विचार किया है. हम उन्हें जमानत दे रहे हैं लेकिन इस मामले का ट्रायल निकट भविष्य में भी खत्म नहीं होगा.