क्या झारखंड अपने राजनीतिक अस्थिरता के कलंक को मिटा पाएगा?

झारखंड में अब तक सिर्फ एनडीए की रघुवर दास की सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाई थी ।झारखंड 22 वर्ष का जरूर हो गया है, लेकिन अस्थिरता का कलंक इसके माथे से अभी तक मिटा नहीं है।

क्या झारखंड अपने राजनीतिक अस्थिरता के कलंक को मिटा पाएगा?

विजय केसरी:

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ईडी कार्यालय पहुंचते ही मुख्य दरवाजा बंद कर दिया गया था । सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए थे । अंदर ईडी के वरीय पदाधिकारियों की टीम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ कर रहे थे। पूछताछ के दौरान झारखंड में अवैध खनन से जुड़े मामले से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबंधों के बारे में सवाल किए गए । जिसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन सभी मामलों में अपनी संलिप्तता से इंकार किया है, साथ ही इतने बड़े घोटाले की जानकारी से भी अनभिज्ञता ज़ाहिर किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के सवालों का जवाब देते हुए कहा की जिस पत्थर खनन से राज्य को 1000 करोड़ का सालाना राजस्व भी नहीं आता है, उसी पत्थर खनन में 1000 करोड़ का घोटाला कैसे संभव है? यह पूछताछ झारखंड की यूपीए सरकार की स्थिरता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। पूछताछ के दौरान अगर ईडी को कुछ ऐसी बातें हाथ लग जाती हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अवैध खनन एवं मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन भी संलिप्त हैं। तब यह यूपीए सरकार की स्थिरता पर ही ग्रहण लगने जैसा होगा।
उम्मीद थी कि दो-तीन घंटे ही ईडी द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल पूछे जाएंगे । लेकिन समय बढ़ता ही चला जा रहा है, यह किसी भी सूरत में झारखंड की यूपीए सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस जोश खरगोश के साथ अपने घर से निकल कर ईडी कार्यालय पहुंचे थे, जल्द ही ईडी के सवालों से छुटकारा पा लेंगे । लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता चला जा रहा था, यूपीए सरकार के लिए यह पूछताछ एक बड़ी समस्या बनती चली जा रही थी । जबकि हेमंत सोरेन सरकार के सारे मंत्री, विधायक गण एवं कार्यकर्ताओं में उत्साह जरूर दिख रहा था । परन्तु विलंब होने के साथ उनके उत्साह में भी कमी आती जा रही थी ।
अभी दो दिन भी नहीं बीते होंगे , जब झारखंड प्रांत ने अपना 22 वां स्थापना दिवस बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रांत के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बहुत ही बढ़ चढ़कर अपनी बातों को रखा। उन्होंने केंद्र सरकार पर यह आरोप भी मढ़ा कि उनकी सरकार को केंद्र सरकार गिराना चाहती है। साथ ही राज्य के महामहिम राज्यपाल महोदय भी उनकी सरकार को अपदस्थ करना चाहते है। इस तरह के कई और बड़े गंभीर राजनीतिक आरोप केंद्र सरकार पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लगाया । हेमंत सोरेन ने यहां तक केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ा डाला कि सरकारी एजेंसियों का घोर दुरुपयोग किया जा रहा है ।। झारखंड के स्थापना समारोह में देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदया भी आई थीं। यह झारखंड प्रांत के लिए बड़ी गर्व की बात है। यह पहला अवसर था कि झारखंड के स्थापना समारोह में देश के राष्ट्रपति शिरकत लिए हों। लेकिन देश के माननीय राष्ट्रपति महोदया सिर्फ बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलीहातू के कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं । वहां वह बिरसा मुंडा के परिवार वालों से मिलीं । उन्होंने राज्य सरकार के सरकारी कार्यक्रमों में भाग न लेकर जरूर एक राजनीतिक प्रश्न खड़ा कर चली गईं । जिसकी व्यापक चर्चा भी हो रही है । राज्य के मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री गण दबे स्वर में इस बात की चर्चा कर रहे हैं। राष्ट्रपति महोदय के स्थापना दिवस के सरकारी कार्यक्रम में भाग ना लेने से ही अंदाजा लग गया था कि स्थापना दिवस के बाद झारखंड में जरूर कुछ अनहोनी होने वाला है। और यह आशंका सच साबित हो गई । अब इस पूछताछ का क्या परिणाम सामने आता है ? कुछ ठीक से कहा नहीं जा सकता है।
एक हजार करोड़ के खनन घोटाले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज दोपहर करीब 11.50 बजे से हिनू एयरपोर्ट रोड स्थित ईडी आफिस पहुंचे। सीएम के अंदर जाते ही ईडी आफिस का गेट बंद कर दिया गया था। अंदर कार्यालय में ईडी के अफसरों ने उनसे पूछताछ शुरु कर दी। जानकारी के अनुसार श्री सोरेन से साहेबगंज में हुए खनन घोटाले में उनके विधायक प्रतिनिधि की संलिप्तता से लेकर कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल के साथ उनके व्यवसायिक रिश्ते से जुड़े दर्जनों प्रश्न हेमंत सोरेन से किये गये। पूछताछ के बीच में ही सीएम हाऊस से खाना मंगवाकर हेमंत सोरेन ने दोपहर का भोजन भी लिया। इस दौरान हिनू चौक से लेकर सीएम हाऊस तक झामुमो कार्यकर्ता जुटे रहें। सीएम के पहुंचने के पहले ईडी आफिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। ईडी गेट से हिनू चौक तक सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है। रात्रि लगभग 9.45 बजे ईडी की पूछताछ ख़त्म होने के बाद हेमंत अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ गाड़ी में बैठकर ईडी के दफ़्तर से बाहर निकले।
अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुई पूछताछ
हेमंत सोरेन के तार अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ने का आरोप है। 8 जुलाई को ईडी ने हेमंत सोरेन के करीबी पंकज मिश्रा के घर पर छापेमारी की थी। यहां से एजेंसी को हेमंत सोरेन की बैंक पासबुक, साइन किए हुए दो चेक और चेक बुक मिली थी । सितंबर में चार्जशीट दाखिल करते हुए ईडी ने बताया था कि जांच में उसे अवैध खनन में एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की हेराफेरी होने के सबूत मिले हैं।
उम्मीद थी कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। लेकिन उस पर ग्रहण लगने की संभावना ज्यादा दिख रही है । यह झारखंड के लिए दुर्भाग्य की बात है । झारखंड 22 वर्ष का जरूर हो गया है, लेकिन अस्थिरता का कलंक इसके माथे से अभी तक मिटा नहीं है। झारखंड, अलग प्रांत निर्माण के बाद 14 वर्षों तक राजनीतिक अस्थिरता में बीता था। झारखंड में अब तक सिर्फ एनडीए की रघुवर दास की सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाई थी । लोगों को उम्मीद थी कि हेमंत सोरेन की यूपीए सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी।‌ लेकिन इस पर भी ग्रहण लगने के आसार दिख रहे हैं ।
जिस तरह से ईडी हेमंत सोरेन पर आरोप मढ़ी है, इससे प्रतीत होता है कि उसके पास हेमंत सोरेन के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। चूंकि हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं । ईडी इस बात को बखूबी जानती है । मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए आरोप लगाना ,पूछताछ करना, बड़ी बात होती है। बहुत ही सोच समझ कर यह कार्य ईडी कर रही है। एक तरफ उनके ऊपर ईडी द्वारा संगीन आरोप लगाए गए हैं। वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग के बंद लिफाफे में क्या पैगाम है ? यह पैगाम क्या गुल खिलाएगा ? यह भी देखना बाकी है । मिलाजुला कर यूपीए सरकार के लिए ये सारी घटनाएं कोई गंभीर संकट और चुनौती की ओर इशारा कर रही है। इधर झारखंड के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है कि “अवैध खनन को लेकर हेमंत सोरेन से पूछताछ हो रही है, जबकि यह अवैध खनन रघुवर दास के कार्यकाल में ज़्यादा की गई थी, फिर रघुवर दास से अभी तक पूछताछ क्यूँ नहीं की गई?” जानकारों का कहना है कि झारखंड की यूपीए सरकार में भारी फेरबदल होने की संभावना है।‌ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपनी कुर्सी गंवानी भी पड़ सकती है। वहीं दूसरी ओर इस मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन काबिज होंगे ? इस पर भी अटकलें लगनी शुरू हो गई है। इस राजनीतिक चर्चाओं के बीच झारखंड के माथे लगे राजनीतिक अस्थिरता की लकीरें और भी लंबी होती चली जा रही है। यह प्रांत के लिए अच्छी बात नहीं है । किसी प्रांत के मुख्यमंत्री रहते हुए उस प्रांत के ही राजधानी में उनके खिलाफ एक केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पूछताछ की जा रही हो, राज्य की राजनीति के लिए बेहद दुःख की बात है। इससे प्रांत की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है । अब यह सब कुछ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जवाब पर निर्भर करता है कि प्रांत के माथे लगे इस कलंक को कैसे धो पाते हैं।