पूर्वजों का गयाजी में पिण्डदान करने से बेटे को पितृऋण से मिलता है मुक्ति
अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है। यूं तो देश के कई स्थानों में पिंडदान किया जाता है। लेकिन बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किये थे। पिंडदान करने से बेटे को पितृऋण से मुक्ति मिलता है। श्राध्द के लिए ये 55 स्थान हैं महत्वपूर्ण बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का है अत्यंत महत्व। गया में स्वयं विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद है। इस वर्ष श्राद्ध का पखवाड़ा शुरू हो चुका है। जो 21 सितंबर से लेकर 6 अक्टूबर तक चलेगा। मान्यता है कि बिना गयाश्राद्ध किए न तो पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और न ही पुत्र को पितृऋण से मुक्ति मिलती है। रांची से पिंडदान करने के लिए आए अरविन्द कुमार सिंह ने अपने धर्मपत्नी सुमित्रा देवी के साथ देव घाट पर फल्गु के पवित्र जल से अपने पितरों को निमित तर्पण कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कियें। पंडित ने जौ, अक्षत, काला तिल, पुष्प आदि से पितृ मंत्राच्चारण पूर्वक उनके पितरों को आवाहन कर तर्पण करवाया। इस अवसर पर अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि वैदिक परंपरा और हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों के लिए श्रद्धा से श्राद्ध करना एक महान और उत्कृष्ट कार्य है। पितृपक्ष फल्गु के तट पर पितरों का विधिवत पूजन कर श्राद्ध श्रेष्यकर माना गया है। इससे उनका आशीर्वाद बना रहता है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में पूर्वजों का स्नेह और अपनत्व मिलते रहा है। इस कारण वे सदैव हमारे हॄदय में रहेंगे। उनकी कृपा सदॄिचार से हमलोग आगे बढ़ रहे हैं। आज वे नहीं है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य सहज याद आ जाते है।