राज्य की पुलिस इन दिनों लोगों को भयाक्रांत कर भयादोहन के काम में लगी हुई है – बाबूलाल मरांडी।

झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राज्य पुलिस के द्वारा हाल के दिनों में किए गए कारनामों पर जवाब माँगा है ।

राज्य की पुलिस इन दिनों लोगों को भयाक्रांत कर भयादोहन के काम में लगी हुई है – बाबूलाल मरांडी।

राँची : राज्य में पुलिस प्रशासन द्वारा हाल के दिनों में किए गए कारनामों पर चिंता व्यक्त करते हुए झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कार्रवाई की माँग की है । श्री मरांडी के द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र अक्षरशः :

माननीय मुख्यमंत्री जी,

झारखंड में पिछले दिनों की घटित कुछ घटनाओं से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य की पुलिस इनदिनों लोगों को भयाक्रांत कर भयादोहन के काम में लगी हुई है। मिहिजाम के शराब कारोबारी के यहां 15 जुलाई 2020 को हुई कार्रवाई ऐसी ही घटना का हालिया उदाहरण है। इसके पूर्व भी लाॅकडाउन के दौरान बीते 25 अप्रैल को जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर मामले में भी ऐसा ही देखा गया था। वहां कारोबारियों को जेल भेजने, होटल को सील करने आदि में पुलिस की जल्दबाजी और तत्परता देखने को मिली थी। सरकार और पुलिस के द्वारा कार्रवाई का तरीका समाज में दहशत पैदा करने का काम कर रही हैं। (आपके अवलोकनार्थ जमशेदपुर प्रक्ररण में भुक्तभोगी अलकोर होटल के मालिक श्री राजीव सिंह दुग्गल की धर्मपत्नी जी की तरफ से मुझे दी गई जानकारी से संबंधित पत्र की प्रतिलिपि संलग्न कर रहा हूं )
जमशेदपुर वाली घटना से अल्पसंख्यक सिख समुदाय पूरी तरह आहत और मर्माहत है। इन्हें लग रहा है कि कुछ स्वार्थी तत्वों की मिलीभगत से उनके साथ अन्याय व घिनौनी साजिश की गई है। लिहाजा इनके मन में पुलिस-प्रशासन के प्रति अविश्वास कायम है।
मिहिजाम की घटना के बाद इसको लेकर अखबारों में जो खबरें आई हैं, वह गंभीर चिंता का विषय है। साथ ही इस प्रकार की दुर्भावनाग्रस्त कार्रवाई से राज्य को अराजकता की ओर धकेलने का संकेत भी स्पष्ट दिख रहा है। इस प्रवृत्ति को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। पुलिस के द्वारा विभिन्न विभागों के सहयोग से एक साथ 70 जगहों पर तलाशी करना और उस तलाशी में कुछ पाया नहीं जाना, यह इस बात का साफ संकेत है कि यह निश्चित रूप से दुर्भावना से ग्रस्त होकर केवल डराने-धमकाने और भयादोहन करने के उद्देश्य से की गई कार्रवाई है। इस मामले में कारोबारी योगेन्द्र तिवारी को शुबह आठ बजे से बुलाकर मिहीजाम थाने, फिर जामताड़ा थाने में रात 12 बजे तक बैठाकर रखा जाता है। इस दरम्यान थाने में मीडिया तक को न तो घुसने दिया जाता है न कुछ बताया जाता है। पूछने पर देर शाम तक जामताड़ा के एसपी मीडिया को बताते हैं कि उन्हें कुछ भी जानकारी नहीं है। सबकुछ ऐसे फिल्मी अंदाज में रहस्यमय तरीके से किया जाता है, मानों पुलिस ने किसी बड़े उग्रवादी/आतंकवादी को दबोच लिया हो। जाहिर है कि भयाक्रांत एवं भयादोहन करने की ऐसी दुस्साहसिक कारवाई पुलिस बिना कहीं-ना-कहीं बडे़ संरक्षण या सह के करने की बात दूर, सेाच भी नहीं सकती है।

सवाल अहम है कि यह किसके शह पर हो रहा है? इसके पीछे कौन सी ताकतें हैं ? कोई अनाड़ी भी इसे समझ सकता है। किसी भी पुलिस अधिकारी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह बगैर किसी ताकतवर संरक्षण के इस तरह की इतनी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दे सके। साथ ही यह अचानक की गई कार्रवाई भी प्रतीत नहीं होती है। ऐसा लग रहा है कि पिछले कुछ दिनों से इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि तैयार की गई हो कि इसको कब और कैसे अंजाम देना है। यह एक प्रतिघातक प्रवृति है। अगर ऐसी प्रवृत्ति व परंपरा जारी रही तो आगे भी इस प्रकार की घटना की पुनर्रावृति देखने को मिलेगी। जहां पर व्यवसायियों, साहूकारों, कारोबारियों, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, सत्ता के विरोधी विचारधारा से जुड़े लोगों का भयादोहन करने या उन्हें इस प्रकार की पुलिसिया कार्रवाई से प्रताड़ित करने की कार्रवाई की जा सकती है। यह इस बात का साफ संकेत है कि राज्य में कुछ पुलिस अधिकारियों, गुंडों, दलालों, बिचैलियों, अपराधियों और छोटे नेताओं का एक गिरोह तैयार हो गया है, जो इस प्रकार के कृत्य को अंजाम दे रहा है या दिलवा रहा है। ऐसे मामलों मे लोगो की मानसिक व सामाजिक रूप से जो प्रताड़ना की जा रही है, इसकी जिम्मेवारी आखिर कौन लेगा ?
राज्य में अपराधी भी फिरौती नहीं मिलने पर सुपारी दे रहे हैं, शहर के बगल में उग्रवादी क्रेशर माइंस से पैसा वसूली के लिए पोस्टर साट रहे हैं। इसको देखने और इस पर लगाम लगाने की चिंता पुलिस को रत्ती भर भी नहीं है। काश ऐसी तत्परता सरकार और पुलिस राज्य की विधि-व्यवस्था दुरूस्त करने और जनहित के कार्यो में लगाते ?
मुख्यमंत्री जी, आपसे आग्रह होगा कि राज्य में इस प्रकार की परिपाटी ठीक नहीं है। यह किसी के हित में नहीं है। बेहतर होगा आप इस प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पुलिसिया कार्रवाई पर तत्काल विराम लगाएं। साथ ही S.I.T. गठित कर इन दोनों मामलों के साथ ही इस प्रकार के सभी मामलों की तत्काल जांच करवाएं। अन्यथा भारतीय जनता पार्टी मजबूर होकर इसे मुहिम बनाकर सड़क पर उतरेगी। भाजपा इस राज्य को किसी कीमत पर चंद लोगों के स्वार्थ सिद्धि के लिए अराजकता की ओर अग्रसर होने नहीं देगी। राज्य में ऐसे गिरोह को चिन्ह्ति कर उनपर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, जो ब्लैकमेलिंग,भयादोहन और साजिशपूर्ण तरीेके से गोरखधंधा चला रहे हैं और जिनका केवल और केवल मकसद राज्य को अराजकता की आग में झोंकना भर है। आप स्वयं सारी चीजों को बेहतर तरीके से समझते हैं। उम्मीद है, इस दिशा में आप तत्काल उचित कदम उठायेंगे। इसी आशा और विश्वास के साथ

सधन्यवाद !

(बाबूलाल मरांडी)

प्रतिलिपि:-

  1. भारत सरकार, नई दिल्ली।
  2. मुख्य सचिव, झारखंड सरकार को सूचनार्थ एवं आवश्यक क्रियार्थ प्रेषित।
  3. गृह सचिव, झारखंड सरकार को सूचनार्थ एवं आवश्यक क्रियार्थ प्रेषित।
  4. प्रभारी पुलिस महानिदेशक, झारखंड सरकार को सूचनार्थ एवं आवश्यक क्रियार्थ प्रेषित।