लाॅकडाउन में कैटरिंग का धंधा पड़ा मंदा, तीन सौ करोड़ के व्यवसाय पर लगा ग्रहण

हमारी भी सुनें सरकार : राहुल कश्यप

लाॅकडाउन में कैटरिंग का धंधा पड़ा मंदा, तीन सौ करोड़ के व्यवसाय पर लगा ग्रहण

विनीत कुमार की रिपोर्ट

रांची। झारखंड में लागू लॉकडाउन और सरकारी प्रतिबंधों की वजह से कैटरिंग व्यवसायियों के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कैटरिंग से जुड़े लगभग ढाई सौ करोड़ का व्यवसाय प्रभावित हुआ है।
वहीं, इस व्यवसाय से जुड़े सूबे के तकरीबन तीन लाख लोगों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। इस पेशे से जुड़े विशेषकर मजदूर, कारीगर, वेटर आदि रोजगार के लिए अन्य विकल्प की तलाश कर रहे हैं।
इस संबंध में झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल कुमार अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान शादी-ब्याह सहित अन्य कार्यक्रमों पर प्रतिबंध होने की वजह से कैटरिंग व्यवसाय पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। धंधा लगभग ठप है। राज्य सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इससे परेशानियां बढ़ गई हैं।
वहीं, झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के महासचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि पिछले लगभग एक साल से कैटरिंग व्यवसाय लगभग ठप पड़ गया है। लाॅकडाउन के प्रतिबंधों के कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के समक्ष जीविकोपार्जन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने बताया कि कैटरिंग व्यवसाय का धंधा लगभग ठप हो जाने से अधिकतर मजदूर व कारीगर जीविकोपार्जन के लिए अन्य रोजगार की तलाश में जुट गए हैं।
इस संबंध में झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता राहुल कुमार कश्यप ने कहा कि सिर्फ राजधानी रांची में छोटे-बड़े मिलाकर लगभग डेढ़ हजार से अधिक कैटरर्स हैं। प्रत्येक के साथ प्रत्यक्ष रूप से तकरीबन 10 से 15 मजदूर/कारीगर जुड़े हुए हैं। इस प्रकार लगभग 60 हजार परिवार सिर्फ रांची में सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैटरर्स के पेशे में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मजदूर, कारीगर,ग्रॉसरी शॉप,वेटर सर्विस, टेंट,फूल माला, लाइट-बत्ती, बैंड-बाजा, शहनाई,डीजे, ऑर्केस्ट्रा आदि भी जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि शादी-ब्याह के लगन और सीजन के समय सिर्फ राजधानी में एक सौ करोड़ से ऊपर का व्यवसाय होता है. वहीं, पूरे झारखंड में लगभग तीन सौ करोड़ से ऊपर का व्यवसाय लगन और सीजन में होता है। पिछले लगभग एक साल से लॉकडाउन के कारण व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
श्री कश्यप ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शादी-ब्याह में मात्र 11 लोगों के शामिल होने की अनुमति देने संबंधी तुगलकी फरमान हास्यास्पद ही नहीं, सरकार की अदूरदर्शिता का परिचायक भी है। शादी समारोह में कौन-कौन शामिल होंगे, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
श्री कश्यप ने कहा कि एक तरफ सरकार ने बाजार व सब्जी मंडी खोलने की अनुमति दी है। ढाबा और रेस्टोरेंट को भी कुछ छूट दी गई है, वहीं, दूसरी ओर कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए कोई सहूलियत नहीं दी गई है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी ई-पास की सुविधा उपलब्ध कराई जाय। ताकि इस व्यवसाय से जुड़े लोग अपनी आजीविका चला सकें। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया, तो तीन लाख से ऊपर लोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।