छू लो आसमान… बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं वर्षा दास
चक्रधरपुर की 12 वर्षीय छात्रा वर्षा दास मूर्ति निर्माण ,थर्मोकोल कटिंग, नम्बर प्लेट, फाईन आर्ट, हैंडीक्राफ्ट, नृत्य, पढ़ाई और संगीत में भी उसकी गहरी रूचि है। उनके पिता बादल दास और माता रेणुका दास वर्षा की प्रतिभा निखारने और तराशने में भरपूर सहयोग करते हैं।
रांची : प्रतिभावान कलाकारों की प्रतिभा छिपाए नहीं छिपती, दबाए नहीं दबती है। प्रतिभा प्रदर्शित करने में उम्र कोई मायने नहीं रखता। इसे सच साबित कर दिखाया है चक्रधरपुर की 12 वर्षीय छात्रा वर्षा दास ने। वर्षा चक्रधरपुर स्थित एस ई रेलवे इंग्लिश मीडियम स्कूल की सातवीं कक्षा की छात्रा है।
बचपन से ही पढ़ने-लिखने में तेज-तर्रार वर्षा को हस्तकला में निपुणता हासिल है। छह वर्ष की उम्र से ही उसकी रूचि हस्तकला में रही है। मूर्ति निर्माण ,थर्मोकोल कटिंग, नम्बर प्लेट, फाईन आर्ट, हैंडीक्राफ्ट, नृत्य, पढ़ाई और संगीत में भी उसकी गहरी रूचि है। उनके पिता बादल दास और माता रेणुका दास वर्षा की प्रतिभा निखारने और तराशने में भरपूर सहयोग करते हैं।
हस्तकला के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को देखकर उसके सहपाठी भी उनके प्रतिभा का लोहा मानते हैं। वर्षा के पिता बादल दास चक्रधरपुर शहर में दास आर्ट प्रतिष्ठान का संचालन करते हैं। काफी कम उम्र में वर्षा ने हस्तकला के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की है, उसे उनके माता-पिता ईश्वरीय देन मानते हैं। पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वर्षा कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल कर ऊंचाइयों के शिखर पर पहुंचने के लक्ष्य को लेकर सतत प्रयासरत है। कला के अतिरिक्त उनकी इच्छा देश सेवा करने की भी है। वर्षा रक्षा क्षेत्र में अपना कैरियर संवारना चाहती है।
वर्षा दास का लक्ष्य डिफेंस में जाना है। बचपन से ही वर्षा एक बार किसी चीज को देखने के बाद उसकी कॉपी करने में दक्ष है। उसकी इस विशेषज्ञता को माता-पिता सहित उनके सहपाठी भी ईश्वर की देन मानते हैं। वर्षा का कहना है कि देश सेवा सबसे बड़ा धर्म है। कला के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करते हुए नई उपलब्धियां हासिल कर रही वर्षा देश प्रेम के जज्बे से भी ओतप्रोत है। शायद यही वजह है कि उसने अपने जीवन का लक्ष्य रक्षा क्षेत्र में जाकर देश सेवा करने को निर्धारित किया है। वह कहती हैं कि जब हौसला हो उड़ान का,तो क्यूं कद नापें आसमान का? अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार पहल, कर्तव्यनिष्ठा और लगन हो, तो मंजिलें भी आसान हो जाती है। इसी जज्बे और जुनून के साथ वर्षा आसमान छूने की तमन्ना रखती है।