नोबल पुरस्कार विजेताओं के प्रयोगशाला में गया का चैतन्य करेगा कृत्रिम मस्तिष्क की जटिलता पर शोध
स्वीटजरलैंड के ज्यूरिख में है अंतरराष्ट्रीय भौतिक विज्ञान शोध व प्रयोगशाला केंद्र,दिल्ली आईआईटी से एमटेक है चैतन्य
गया से वरिष्ट पत्रकार सुनील सौरभ की रिपोर्ट
गया : भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में चार नोबल पुरस्कार विजेताओं के शोध व प्रयोगशाला केंद्र में गया का चैतन्य “आर्टिफिशियल ब्रेन विद नैनोवायरस टू फंक्शनिंग आफ ब्रेन”की जटिलता पर शोध करेंगे। चैतन्य आर्य दिल्ली आईआईटी से एमटेक हैं। इसके पूर्व चैतन्य सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का इंटर्न रहें हैं।फिलवक्त चैतन्य जापान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में बतौर इंटर्न के रुप में रिसर्च कर रहे हैं।
चैतन्य आर्य ने बताया कि उन्हें अमेरिका के आईबीएम रिसर्च एंड डेवलपमेंट शाखा की ओर से पीएचईडी के लिए स्वीटजरलैंड के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शोध व प्रयोगशाला केंद्र में चयन किया गया है। आईबीएम का 170 देशों में ब्रांच है।छह उप महाद्वीप में 12 अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध और प्रयोगशालाएं है।
चैतन्य आर्य “समाज के लिए समाज के द्वारा” एवं सुपर 30 के जनक बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभयानंद के मार्गदर्शन में संचालित मगध सुपर 30,गया का छात्र रहा है।
चैतन्य आर्य का कहना है कि उसे फिजिक्स और मैथ्स को लेकर अभयानंद सर के पढ़ाने का तरीका इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मददगार साबित हुआ है। चैतन्य आर्य बताते हैं कि जब भी वो या उसके साथी अभयानंद सर से किसी प्रश्न को लेकर सवाल करते थे।तब अभयानंद सर सीधे प्रश्न का जबाव न देकर और सवाल करने लगते थे। ऐसे में सवाल-जबाव के क्रम में पहले प्रश्न का न केवल जबाव मिल जाता था।बल्कि एक ही सवाल को कई तरह से सोचने और उसका उत्तर भी सामने आ जाता था। जिसके कारण फिजिक्स जैसे जटिल विषय में और दिलचस्पी स्वत: जागृत हो गई।
गया जिला के बोधगया प्रखंड के मोचारिम गांव के वित्तरहित शिक्षक डा.स्व.मिथिलेश कुमार और सरिता देवी के ज्येष्ठ पुत्र चैतन्य का छोटा भाई भी आईआईईएसटी, शिबपुर से सिविल ब्रांच से बीटेक कर रहा है। चैतन्य आर्य बताते हैं कि उनके पिता स्व.मिथिलेश कुमार हमेशा उन्हें बड़ा सपना देखने को कहते थे। चैतन्य आर्य कहते हैं कि एक साधारण और अल्प आय परिवार की पृष्ठभूमि के कारण शायद बहुत बड़ा सपना देखने की इच्छा शायद पूरी नहीं हो पाती। यदि समाज के सहयोग से गुरुकुल परंपरा के तहत संचालित मगध सुपर 30 और फिजिक्स विषय के गुरु अभयानंद सर का सानिध्य नहीं मिला होता।
चार भौतिक शास्त्र के वैज्ञानिकों को मिला है नोबल पुरस्कार
स्वीटजरलैंड के ज्यूरिख शोध व प्रयोगशाला केंद्र के भौतिक विज्ञान के गर्ड बीनिंग और हेनरिक रोहर्र को 1986 में इंवेंशन आफ स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप पर शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।
वहीं,इसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति के शोध और प्रयोगशाला केंद्र के भौतिक शास्त्र के वैज्ञानिक जार्ज बेडनोर्ज और एलेक्स मूल्लर को 1987 में हाई टेम्प्रेचर सुपर कंडक्टिविटी पर शोध के लिए नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
अभयानंद सहित कई ने दी बधाई
मगध सुपर 30 के मार्गदर्शक और पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा है कि चैतन्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर के भौतिक विज्ञान केन्द्र में शोध के लिए चयन युवाओं को भविष्य में वैज्ञानिक बनने के लिए प्रेरित करेगा। इससे देश लाभान्वित होगा।
वहीं, मगध सुपर 30 के अध्यक्ष गीता कुमारी, उपाध्यक्ष अखौरी निरंजन प्रसाद, सचिव पंकज कुमार, कोषाध्यक्ष लालजी प्रसाद,डा.कौशलेंद्र प्रताप,डा.अनूप केडिया एवं शिक्षक बीएन सिंह, डा.बीरेंद्र कुमार, पंकज कुमार, बृजबिहारी शर्मा,प्रमोद कुमार सहित कईयों ने चैतन्य की उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।