मरीजों के लिए मसीहा से कम नहीं हैं – डॉ.अनन्त सिन्हा
पीड़ित मानवता की सेवा से होती है सुखद अनुभूति : डॉ.अनन्त सिन्हा
कहा जाता है कि चिकित्सक ईश्वर का दूसरा रूप होते हैं। इसे चरितार्थ कर रहे हैं डॉ.अनंत सिन्हा। चिकित्सा सेवा में आने के पूर्व चिकित्सक मानव सेवा की शपथ लेते हैं। कुछ चिकित्सक तो मानव सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं। पीड़ित मानवता की सेवा करना उनकी दिनचर्या में शुमार रहता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं प्रख्यात शल्य चिकित्सक डॉ.अनंत सिन्हा। डॉ.सिन्हा पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति समर्पित हैं। झारखंड के नामचीन शल्य चिकित्सकों में उनकी गणना की जाती है। मूल रूप से बिहार के सिवान जिले के निवासी डाॅ. सिन्हा की प्रारंभिक शिक्षा झारखंड में हुई। उनके पिता (स्व.देवेन्द्र प्रसाद सिन्हा, भारतीय वन सेवा) एकीकृत बिहार के समय वन विभाग में अधिकारी थे। सेवानिवृत्ति के पश्चात उनका परिवार पटना आ गया। डॉ.सिन्हा ने पटना के ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थान संत माइकल स्कूल में दाखिला लिया। वहां से मैट्रिक व प्लस टू की परीक्षा पास की। तत्पश्चात उन्होंने मेडिकल कॉलेज की ओर रुख किया। आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज ( एएफएमसी), पुणे में नामांकन हेतु उन्होंने तैयारियां शुरू की और इसमें सफल रहे। वहां से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद वह पुणे में ही प्रैक्टिस करने लगे। लगभग छह वर्षों के प्रैक्टिस के दौरान उन्होंने कई वरिष्ठ चिकित्सकों का मार्गदर्शन भी प्राप्त किया। इस क्रम में उन्होंने मास्टर ऑफ सर्जरी और एमसीएच की डिग्री भी हासिल की।
झारखंड से उनका लगाव शुरू से ही रहा। अलग राज्य गठन के बाद डॉ. सिन्हा रांची आ गए। यहां देवकमल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की। अपने अनुभव, कार्यशैली और व्यवहारकुशलता के बलबूते डॉ. सिन्हा चिकित्सा के क्षेत्र में नित नई उपलब्धियां हासिल करने लगे। आधुनिकतम सर्जरी के क्षेत्र में उन्होंने कई ऐसे उत्कृष्ट कार्य किए हैं, जो चिकित्सा क्षेत्र में अद्भुत मिसाल है। कटे होंठ और तालू की सर्जरी में डॉ. सिन्हा को महारत हासिल है। उनकी इस विशेषज्ञता के आधार पर चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रही राष्ट्रीय स्तर की संस्था “स्माइल ट्रेन” उन्हें सहयोग कर रही है।
देवकमल अस्पताल की स्थापना काल से लेकर अब तक दस हजार से अधिक मरीजों के कटे होंठ और तालू का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया जा चुका है।
देवकमल अस्पताल में अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होने की वजह से यहां झारखंड के अलावा अन्य पड़ोसी राज्यों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। मरीजों की मानें तो मृदुभाषी डॉ.अनंत सिन्हा के व्यवहार से ही उनका आधा दुख दूर हो जाता है। मरीज उन्हें अपना मसीहा मानते हैं। वह कहते हैं कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। पीड़ित मानवता की सेवा से सुखद अनुभूति होती है।
…(प्रस्तुति : विनीत कुमार)