खस्ताहाल सड़कों के कारण होने वाली मौतों के लिए कौन जिम्मेवार ?
प्रतिवर्ष सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि होती चली जा रही है। इन सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल होने वालों की भी संख्या कम नहीं है ।

संपूर्ण देश में खस्ताहाल सड़कों और यातायात नियमों के उलंघन के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में एक वर्ष में लगभग 1 लाख 78 हजार लोगों की जानें असमय चली जाती हैं । सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। इन मौतों में 60 प्रतिशत 18 से 35 वर्ष आयु के लोग शामिल होते हैं। अब सवाल यह उठता है कि इन आखिर मौतों के लिए जिम्मेवार कौन है ? इन सड़क दुर्घटनाओं में जो लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं, उन सबों के इलाज का खर्चा खुद घायल के परिवार को ही अदा करना पड़ता है । घायलों के समुचित इलाज के लिए न केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार पैसे देती है। दुर्घटना में मरने वालों को राज्य सरकार के द्वारा तीन लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है । मृतक के परिवार को उक्त राशि प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालय और न्यायालय का बार-बार चक्कर लगाना पड़ जाता है। कई लोग तो सरकारी विभाग और न्यायालय का चक्कर लगाते - लगाते थक जाते हैं। अंत में सरकार द्वारा दिए जाने वाली राशि लेने की बात ही त्याग देते हैं ।
यह लिखते हुए बेहद तकलीफ होती है कि उक्त राज्य सरकार की राशि निकालने के लिए मृतक के परिवार को रिश्वत तक देनी पड़ जाती है। इंश्योरेंस कंपनियां भी मृतक के परिवार को खूब दौड़ाती और परेशान करती हैं। इंश्योरेंस कंपनियां मृतक के परिवार को न्यूनतम राशि प्रदान कर अपना पीछा छुड़ा लेती हैं । कई लोगों को तो इंश्योरेंस का पैसा भी नसीब नहीं हो पता है।
प्रतिवर्ष सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि होती चली जा रही है। इन सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल होने वालों की भी संख्या कम नहीं है । आज देश भर में ऐसे लाखों लोग मिल जाएंगे, जो सड़क दुर्घटना में जीवित तो बच गए, लेकिन पूरी तरह विकलांग व अपाहिज हो गए। ऐसे लोग अपने परिवार के लिए एक बोझ बन गए हैं । ऐसे अपाहिज लोगों के जीविकोपार्जन के लिए न केंद्र सरकार और न राज्य सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाता है।
भारत सरकार कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए संपूर्ण देश में सड़कों का नया जल बिछाती चली जा रही है। वहीं दूसरी ओर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में केन्द्र सरकार पूरी तरह असफल रह रही है। यह बेहद चिंता की बात है। सड़क निर्माण का यह आलम है कि सड़क नई जरूर बन जाती हैं, लेकिन एक बरसात भी ठीक से झेल नहीं पाती हैं । फिर सड़कें धीरे-धीरे कर कुछ ही महीनो में जर्जर हो जाती हैं । जर्जर सड़कों के कारण आए दिन देश भर में सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं। मेरी दृष्टि में जर्जर सड़क के कारण होने वाली मौतों के लिए परिवहन विभाग पूरी तरह जवाब देह है । भारत सरकार को इस दिशा में आवश्यक पहल करने की जरूरत है। सड़कें चुस्त दुरुस्त रहे, यह जवाबदेही भारत सरकार की है। अगर सड़कें ठीक रहतीं, तब शायद इतने लोगों की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण सड़कें बनते के साथ ही जर्जर हो जाती है। भारत सरकार को सड़क निर्माण पर सख्त कानून बनाने की जरूरत है। तभी जर्जर सड़कों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकी जा सकती हैं।
भारत सरकार हर वर्ष यातायात नियमों में जागरूकता पैदा करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर देती है। इतनी राशि खर्च कर देने के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में कोई कमी नहीं आ पा रही है। विचारणीय पक्ष यह है कि सड़क दुर्घटनाओं में इतनी मौतें होने के बावजूद केन्द्र सरकार मौन क्यों है ? हर साल लाखों माताओं की गोद सूनी हो जा रही हैं। सड़क दुर्घटनाओं में कई परिवारों के मुखिया की मौत हो जाने से पूरे परिवार के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या खड़ी होती है। ऐसे परिवारों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विशेष आर्थिक मदद देने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है । ऐसे परिवारों को केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा एक मुश्त मुआवजा राशि देने की नियम जरूर है। लेकिन इस मुआवजा राशि को हासिल करना कोई आसान काम भी नहीं है। जिस कारण ऐसे परिवारों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भारतवर्ष में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं उत्तर प्रदेश में घटित होती हैं। देश का सड़क दुर्घटना कानून इतना पेचीदा है कि मृतक के परिवार वालों के समक्ष परेशानियों का अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है। हम सब झारखंड प्रांत में रहते हैं। झारखंड में प्रतिवर्ष 4000 से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। घायलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है । झारखंड चूंकि एक पठारी इलाका है । झारखंड की सड़कें टेढ़ी-मेढ़ी, घुमावदार और कटीली होने के कारण आए दिन इस प्रांत में दुर्घटनाएं घटती रहती है। उदाहरण के तौर पर हजारीबाग जिले को रखकर सड़क दुर्घटनाओं की पीड़ा को इंगित करना चाहता हूं। हजारीबाग जिले में पिछले एक साल में 270 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई हैं। वहीं 174 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जबकि 66 व्यक्ति सामान्य रूप से घायल हुए हैं। कुल मिलाकर इस जिले में पिछले एक साल में 510 लोग सड़क दुर्घटना से प्रभावित हुए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि हजारीबाग वासी सड़क सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं। यही कारण है कि 270 परिवार का चिराग एक साल में सड़क हादसे में बुझ गया । वहीं दूसरी ओर हजारीबाग जिले में केंद्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से सड़क सुरक्षा को लेकर आए दिन जागरूकता अभियान चलाती रहती है। वहीं यातायात पुलिस के साथ नागरिक पुलिस भी सड़क सुरक्षा को लेकर चेकिंग करने के साथ चालान काटने का कार्य करती है। इन सबके बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।
पिछले दिनों सड़क दुर्घटनाओं पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खराब सड़क निर्माण को गैर-जमानती अपराध बनाने की मांग की है। आगे उन्होंने कहा कि दोषी ठेकेदारों और इंजीनियरों को सड़क दुर्घटनाओं के लिए जेल भेजा जाना चाहिए। गडकरी ने चिंता जताई कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। उन्होंने बताया कि 2023 में 5 लाख दुर्घटनाओं में 1.72 लाख लोगों की जान गई। इनमें से ज्यादातर युवा थे। गडकरी ने हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने को भी मौतों का बड़ा कारण बताया। सरकार ब्लैक स्पॉट्स ठीक करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। गडकरी ने ड्राइवरों की कमी दूर करने के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोलने का आह्वान किया। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि घटिया सड़कें बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि इसे गैर-जमानती अपराध बनाया जाए। गडकरी ने कहा कि अगर सड़क ठेकेदार और इंजीनियर लापरवाही बरतते हैं तो उन्हें जेल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं। नितिन गडकरी ने स्वीकार किया है कि कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। यह चिंता की बात है। आगे उन्होंने कहा, 'दोषपूर्ण सड़क निर्माण को गैर-जमानती अपराध बनाया जाना चाहिए। सड़क ठेकेदारों और इंजीनियरों को दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और जेल भेजा जाना चाहिए।'
अब सवाल यह उठता है कि जर्जर सड़क बनाने वाले ठेकेदारों और इंजीनियरों के विरुद्ध कानून कब बनेगा ? सड़क निर्माण कार्य में रिश्वत लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ कब कानून बनेगा ? इन सड़क हादसों में हर साल देशवासी लाखों लोगों को कब तक गंवाते रहेंगे ?