मानवता की अनूठी मिसाल छह हजार से अधिक शवों के अंतिम संस्कार में शामिल हो चुके हैं- तुषार कांति

अपने स्तर से कराई दर्जनों लावारिस लाशों की अंत्येष्टि

मानवता की अनूठी मिसाल छह हजार से अधिक शवों के अंतिम संस्कार में शामिल हो चुके हैं- तुषार कांति

रांची। कहते हैं समाजसेवा का जुनून कुछ लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। ऐसे ही एक शख्सियत हैं राजधानी स्थित निवारणपुर मोहल्ला निवासी तुषारकांति शीट। श्री शीट पीड़ित मानवता की सेवा में समर्पित रहते हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए देश की दर्जनाधिक नामचीन संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। फिलवक्त श्री शीट ख्यातिप्राप्त सामाजिक संस्था श्रीरामकृष्ण सेवा संघ के सहायक सचिव हैं। मानव सेवा के प्रति उनकी अभिरुचि बचपन से ही रही है। छात्र जीवन से ही उन्होंने मानवसेवा के क्षेत्र में बढ़ -चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया। स्कूली शिक्षा प्राप्त करते समय ही उन्होंने आगे चलकर समाज सेवा करने का संकल्प लिया। विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यों को बखूबी निभाते हुए वह मृत्योपरांत शवों के अंतिम संस्कार में भी भाग लेते रहे हैं। वह बताते हैं कि अबतक
लगभग 6000 शवों के अंतिम संस्कार में शामिल हो चुके हैं। वहीं, अपने स्तर से दर्जनों लावारिस लाशों की अंत्येष्टि कराकर उन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है। मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्थित गोविंदपुर गांव निवासी श्री शीट इस संबंध में बताते हैं कि स्कूल लाइफ में सहपाठियों की एक टीम थी। गांव में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी, तो उसके अंतिम संस्कार में उपयोग में आने वाली सामग्री को सब मिलजुल कर इकट्ठा करते थे और संबंधित घर के परिजनों को उपलब्ध करा देते थे। उनकी शव यात्रा में भी शामिल होते थे। पढ़ाई के दौरान गांव में यह सिलसिला लगातार जारी रहा। तत्पश्चात नौकरी की तलाश में वर्ष 1990 में रांची आ गए। यहां पहले हिंदपीढ़ी मुहल्ले में किराए के एक मकान में रहना शुरू किया। वहां पर कर्मठ, निष्ठावान और ईमानदार सामाजिक कार्यकर्ता रंजीत दास से मुलाकात हुई। यहां भी आसपास में यदि किसी के यहां किसी व्यक्ति की मौत हो जाती थी, तो उनके अंतिम संस्कार के लिए सामान जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे। तत्पश्चात निवारणपुर में रहना शुरू किया। इस बीच अपने पारिवारिक और व्यावसायिक कार्यों को बखूबी निभाते हुए समाज सेवा के क्षेत्र में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना जारी रहा। इस दौरान कहीं उन्हें पता चलता कि किसी व्यक्ति की मौत हो गई है और उसके परिजन उसका अंतिम संस्कार करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं, आर्थिक रूप से बेहद गरीब हैं, तो वैसे लोगों को भी उन्होंने मदद पहुंचाना शुरू किया। वहीं, कई लावारिस लाशों की अंत्येष्टि उन्होंने अपने खर्च पर कराई। श्री शीट बताते हैं कि अबतक 70 लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार वह अपने खर्च पर कर चुके हैं। पीड़ित मानवता की सेवा के इस कार्य में समाजसेवी राजीव रंजन, आनंद रंजन घोष, हीरक दत्ता, राकेश कुमार सिंह सहित अन्य सहयोगी भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पीड़ित लोगों के बीच राशन सामग्री मुहैया कराते हुए उनके भोजन की व्यवस्था की। इस दौरान उन्होंने कई परिवारों को अपने सहयोगियों की मदद से खाद्य सामग्री सहित अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया। श्री शीट पर्यावरण प्रेमी और पशु प्रेमी भी हैं। लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर घूमते लावारिस जानवरों के लिए भी उन्होंने निवाले का इंतजाम किया। अपने मोहल्ले और आसपास सड़कों पर विचरण करते लावारिस जानवरों को सुबह -शाम वह खाना खिलाते रहे। वे बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहता है। शहर स्थित कई शैक्षणिक संस्थानों में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य पौधरोपण कार्यक्रम चलाया। जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। श्री शीट कहते हैं कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इंसानियत का तकाजा भी यही है।