अखिल भारतवर्षीय जय-यादव जय-माधव महासभा ने की रेजांगला में शहीद हुए योद्धाओं की शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित
अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग
रांची। देश के लिए मर-मिटने वाले वीर सपूतों की शहादत को याद करते हुए अखिल भारतवर्षीय जय-यादव जय -माधव महासभा की झारखंड प्रदेश इकाई ने परमवीर अल्बर्ट एक्का चौक पर रेजांगला में शहीद हुए सभी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी। देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए वीर सपूतों की वीरता, उनके अदम्य साहस और हौसले की चर्चा करते हुए महासभा के पदधारी व सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार यादव ने कहा कि
भारत-चीन युद्ध में रेजांगला पोस्ट पर देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अहीरवाल के वीर शहीदों की गाथा आज भी युवा पीढ़ी में देशभक्ति की अलख जगाने का काम कर रही है। उनकी शहादत देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सदैव उन अमर शहीदों का ऋणी रहेगा। सभी वीर शहीदों को कृतज्ञ राष्ट्र का भावपूर्ण नमन, श्रद्धांजलि। दीप प्रज्वलित करने के बाद प्रेस को सम्बोधित करते हुए श्री यादव ने कहा कि लद्दाख की दुर्गम बर्फीली चोटी पर अहीरवाल के वीरों द्वारा लिखी शहादत की गाथा आज भी युवाओं के जेहन में देशभक्ति की भावना जागृत कर रही है। चीनी आक्रमण के समय आज ही के दिन 18 नवंबर 1962 को लद्दाख की बर्फीली चोटी पर स्थित रेजांगला पोस्ट पर हुए युद्ध की गौरवगाथा विश्व के युद्ध इतिहास में अद्वितीय और अविस्मरणीय है।
गौरतलब है कि वर्ष 1962 में रेजांगला पोस्ट पर हुए युद्ध में तत्कालीन 13 कुमाऊं बटालियन के 124 जवानों में से 114 जवान कुर्बान हो गये थे। इन जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था। भौगोलिक परिस्थितियों और बर्फीले मौसम के अभ्यस्त होने के बावजूद हमारे सैनिकों ने उनका डटकर मुकाबला करते हुए पराजित कर दिया। वीरों के सामने परीक्षा की घड़ी 17 नवंबर की रात तब आई थी, जब तूफान के कारण रेजांगला की बर्फीली चोटी पर मोर्चा संभाल रहे इन जवानों का संपर्क बटालियन मुख्यालय से टूट गया। विषम परिस्थितियों के बीच ही 18 नवंबर को तड़के चार बजे युद्ध शुरू हो गया, लेकिन किसी को रेजांगला पोस्ट पर चल रहे ऐतिहासिक युद्ध की जानकारी नहीं मिल पाई। तकरीबन 18 हजार फुट ऊंची पोस्ट पर हुए युद्ध में वीरता के सामने चीनी सेना कांप उठी। रेजांगला पोस्ट पर दिखाई वीरता का सम्मान करते हुए ही भारत सरकार ने कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार पदक परमवीर चक्र से सम्मानित किया था, वहीं इसी बटालियन के आठ अन्य जवानों को वीर चक्र, चार को सेना मैडल व एक को मैंशन इन डिस्पेच का सम्मान प्रदान किया गया था।
श्री यादव ने कहा कि महासभा काफी समय से अहीर रेजिमेंट की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई उचित निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने पुनः आग्रह करते हुए सरकार से अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग की है। श्रद्धांजलि सभा में सुनील यादव,अर्जुन यादव, श्यामदास सिंह, रामजी यादव, रंजन यादव, उर्मिला यादव, धनंजय यादव, प्रमोद यादव, श्रवण यादव, गौरीशंकर यादव सहित काफी संख्या में अखिल भारतवर्षीय जय-यादव जय -माधव महासभा के सदस्यगण मौजूद थे।