बिहार के सरकारी स्कूल : मंदिर परिसर में पढ़ाई और भैसों के बथान में बनता है भोजन

महंत बाबा के भैंसों को यहां बंधा जाता था । यहीं पर मवेशियों का चारा (भूसा) भी रखा जाता है। यहीं खाना बन रहा है। एक महीने से लगभग यहां खाना बन रहा है- रसोइया।

बिहार के सरकारी स्कूल : मंदिर परिसर में पढ़ाई और भैसों के बथान में बनता है भोजन

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर हर दिन नये कारनामे उजागर हो रहे हैं। जबकि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के प्रति गंभीरता के दावे करता है। अभी कुछ दिनों से स्कूलों में छुट्टियों को लेकर सरकार की फ़ज़ीहत हो रही है। तो वहीं अब बच्चों को स्कूल की बजाए मंदिर प्रांगण में बैठकर पढ़ने को विवश होना पड़ रहा है। मामला है समस्तीपुर ज़िले के एक सरकारी विद्यालय का। जहां के पहली से लेकर पांचवीं तक के बच्चे एक मंदिर परिसर में बैठकर पढ़ाई करते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चों के लिए एक तबेले (पशुओं को रखने की जगह) में भोजन तैयार किया जाता है। जानिए पूरा वाक़या…….

बथान में बनता है भोजन :

आपको जानकर आश्चर्य होगा की समस्तीपुर ज़िले के कल्याणपुर प्रखंड के कोयला कुंड में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय की कक्षाएँ एक मंदिर परिसर में चल रही है। उस मंदिर परिसर में पहली कक्षा से लेकर पांच तक के सैकड़ों बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। वहीं सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि इन मासूम बच्चों को खिलाने वाला मध्याह्न भोजन मवेशी के बथान में बनाया जा रहा है। मध्याह्न भोजन बनाने वाली सेविका (अनीता देवी, रसोईया) ने बताया कि विगत एक महीने से विद्यालय का मध्याह्न भोजन मवेशी के बथान में बनता है। महंत बाबा के भैंसों को यहां बांधा जाता था । यहीं पर मवेशियों का चारा (भूसा) भी रखा जाता है। यहीं खाना बन रहा है। एक महीने से लगभग यहां खाना बन रहा है।

भवन बना है लेकिन अभी साफ़-सफ़ाई हो रही है 

इस विद्यालय में दो सहायक शिक्षक एवं एक प्रधानाध्यापक पदस्थापित हैं। जिस विद्यालय से शिक्षा एवं स्वच्छता का संदेश पूरे समाज में जाना चाहिये वहीं शिक्षा एवं स्वच्छता के नाम पर मजाक किया जा रहा है। इसकी चिंता ना तो यहां के जनप्रतिनिधियों को है और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को। इस संबंध में जब यहां के प्रधानाध्यापक से बात की गई तो प्रधानाध्यापक अनिल कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि आसपास में ही कहीं विद्यालय का भवन बना है। जब तक उसमें विद्यालय नहीं शिफ्ट होता है, तब तक मंदिर परिसर में ही विद्यालय को चलाया जा रहा है।वान से फाइव तक की क्लास चलती है। विद्यालय भवन बन गया है लेकिन अभी साफ़ सफ़ाई चल रही है। फ़िलहाल मंदिर प्रांगण में ही लगभग 8-10 दिनों से क्लास चल रहा है। यहाँ 147 बच्चे पढ़ रहे हैं।

अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार एक तरफ शिक्षा को बेहतर करने एवं स्वच्छता को लेकर जो दावा करती है उसकी जमीनी हकीकत क्या है।