पारस HEC हॉस्पिटल रांची में 76 वर्षीय मरीज़ का सफ़ल CRT-D इम्प्लांटेशन, हृदय रोगियों के लिए एक नई उम्मीद
भारत में हार्ट फेल के लगभग 25 प्रतिशत मरीज 45 वर्ष से कम उम्र के हैं
राँची:
पारस HEC हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग में रांची निवासी, 76 वर्षीय मरीज़ का सफ़ल CRT-D इम्प्लांटेशन कर क्रोनिक हार्ट फेलियर का इलाज़ किया गया। ग़ौरतलब है कि मरीज़ काफी गंभीर हालत में पारस HEC हॉस्पिटल के इमरजेंसी विभाग में पंहुचा था। जाँच में पता चला की मरीज़ की मरीज़ की दिल का बायाँ हिस्सा बहुत कम काम कर रहा था, उनका LVEF (Left ventricular ejection fraction) में फंक्शन मात्र 25 % था। मरीज़ के परिजनों को CRT – D इम्प्लांटेशन करवाने की सलाह दी गयी। पारस HEC हॉस्पिटल के कंसलटेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ महेश कुशवाहा ने इस सफल सर्जरी को अंजाम दिया ।
डॉ महेश कुशवाहा ने बताया, “अब मरीज़ पहले से काफी बेहतर हैं और अपनी दिनचर्या में आ रहे हैं।“
डॉ महेश कुशवाहा के अनुसार जीवन शैली में बदलाव करके, नमक का सेवन कम करके, स्वस्थ आहार लेकर, सभी प्रकार के नशा (शराब, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, खैनी, इत्यादि) को बंद करके, वजन को सामान्य रख कर, शारीरिक सक्रियता बढ़ा कर, ब्लडप्रेशर(BP), डायबिटीज (SUGAR) , थायराइड (Thyroid), किडनी को बेहतर रखकर हृदय रोग से बचा जा सकता है। आज के समय में 65 वर्ष से अधिक के लोगों (पुरुष और महिला) के अस्पताल में भर्ती होने का सबसे आम कारण हार्ट फेल होना ही माना जा रहा है। “
डॉ महेश कुशवाहा ने बताया, “भारत में हार्ट फेल के लगभग 25 प्रतिशत मरीज 45 वर्ष से कम उम्र के हैं। वहीं 67 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं, जिनकी उम्र 55 साल से कम है और उनमें हार्ट फेल होने के जोखिम की पहचान की गई। सामान्यतः रोगी में हार्ट फेल होने की संभावना और उसके जोखिम को कम किया जा सकता है। लेकिन भारत में इस बीमारी के विकास, लक्षण और इलाज के बारे में जागरूकता कम है। इलाज कराने से बेहतर है कि हार्ट फेल होने के कारकों का पता लगाकर उनकी रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जाएं। यदि किसी व्यक्ति का हार्ट फेल नहीं हुआ है, लेकिन उसमें जोखिम है, तो उसे समय पर दवाएं देकर और लाइफ स्टाइल में बदलाव करके जोखिम कम किया जा सकता है ।“
मेडिकल डायरेक्टर एंड वाइस चेयरमैन न्यूरो साइंसेज़, डॉ संजय कुमार ने कहा,” यह हमारे लिए बहुत ख़ुशी की बात है की अब लोगों को गंभीर ह्रदय से जुड़े बीमारियों के इलाज़ लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बड़े महानगरों में उपलब्ध अत्यधिक खर्च वाले इलाज के मुक़ाबले CRT D का शुभारंभ पारस HEC हॉस्पिटल में कम लागत में किया हैं ।“
फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नितेश कुमार ने बताया की “अभी तक क्रोनिक हार्ट फेल्योर के मरीजों को अत्याधुनिक इलाज के लिये आधुनिक हॉस्पिटल और विशेषज्ञ डॉक्टर्स की अनुपलब्धता के कारण राज्य से बाहर जाना पड़ता था। समाज के सभी वर्गों के लिए विश्व स्तरीय हृदय रोग चिकित्सा उपलब्ध कराना ही हमारा उद्देश्य है।”