मगध विवि और जापान के कियो विवि के बीच हुआ एमओयू, शुरू हुआ बौद्धिक संपदा के विकास का नया स्वर्णिम अध्याय

गया से अमरेंद्र सिंह की रिपोर्ट
गया : मगध विश्वविद्यालय के इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अध्याय के रूप में जुड़ गया है। गुरुवार को मगध विश्वविद्यालय, बिहार और भारत-जापान लेबोरेटरी, कियो विश्वविद्यालय,जापान के बीच ज्ञान-विज्ञान, बौद्धिक संपदा, आपदा न्यूनीकरण व अनेक विषय- बिंदुओं को संयुक्त रूप से अध्ययन व आदान-प्रदान करने के लिए आपसी समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इंडिया-जापान, कियो विश्वविद्यालय, जापान के निदेशक प्रो राजीब साव तथा मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ जितेंद्र कुमार ने सहमति पत्र(MoU) पर हस्ताक्षर किये। आनलाइन आयोजित इस अवसर पर मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच केवल ज्ञान और बौद्धिक संपदा का आदान-प्रदान ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन होगा। भारत और जापान ने अलग-अलग तरह के प्राकृतिक एवं मानव-कृत आपदाओं का सामना किया है। इनसे निपटने के तरीके और कार्यनीति का आदान-प्रदान अत्यंत उपयोगी होगा। अपने उद्बोधन में कुलपति प्रो प्रसाद ने यह कहा कि हम ज्ञान युग में रह रहे हैं जिसमें ज्ञान के सृजन, संचय और विस्तार के प्रति भारत पूर्णरूपेण गंभीर है। इस दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के अनुरूप भारत एक बहुविषयक शिक्षा प्रणाली के विकास में लगा हुआ है। इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली के विकास में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज के समय में जबकि वैश्विक स्तर पर अध्ययन-अध्यापन, शोध और नवाचार की आवश्यकता है तो उसके लिए मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और इंडिया-जापान लैबोरेट्री, कीओ यूनिवर्सिटी, जापान के बीच हस्ताक्षरित एमओयू मील का पत्थर ।सिद्ध होगा । इससे दोनों विश्वविद्यालयो में विद्यार्थियों और शिक्षकों के परिभ्रमण और आदान-प्रदान के लिए शुभ अवसर प्राप्त होगा। खास तौर पर आपदा न्यूनीकरण, मानव सुरक्षा, उद्यमिता, बौद्ध अध्ययन तथा समाज विज्ञान और मानविकी समाजकी और विज्ञान के विभिन्न विषयों में सहयोग की अपार संभावनाएं होंगी। इस प्रकार मगध विश्वविद्यालय का भारत की बहुआयामी समृद्धि और विकास में योगदान बढ़ता जाएगा।
भारत-जापान लैबोरेट्री, कियो विश्वविद्यालय , जापान के निदेशक डॉ. राजीव शाह ने कहा कि 1858 में स्थापित कियो विश्वविद्यालय ने जापान के उद्योग जगत के कई सफल प्रबंध-निदेशक के साथ-साथ कई उद्योगपति दिए हैं, इसका हमें गर्व है । उन्होंने कहा की मगध विश्वविद्यालय बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति की पावन भूमि बोधगया में अवस्थित है जो जापान के लिए लिए पर्यटन व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। जापान ने दुनिया में सबसे ज्यादा आपदा झेला है और अपने तरीके से इससे निपटने में सफलता प्राप्त की है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री आबे शिंजो के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि भारत और जापान के बीच ज्ञान-विज्ञान, बौद्धिक संपदा, तकनीक और अनेक बिंदुओं को साझा करेंगे। यह तब हुआ था जब भारत के पीएम मोदी जापान आए थे। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो निजी क्षेत्रों का भी सहयोग लिया जाएगा और इसकी पहल कियो विश्वविद्यालय, जापान करेगा। मौजूदा समय में कियो विश्वविद्यालय में 33 हजार छात्र विभिन्न विभिन्न संकायों में अध्ययनरत हैं। इस महत्वपूर्ण समझौते के सूत्रधार इराइज इंडिया के सीईओ ब्रिगेडियर डीके खन्ना ने कहा की भविष्य में दोनों विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों पर अत्याधुनिक द्विपक्षीय अनुसंधान करने तथा उच्च शिक्षा सहयोग को बढ़ावा देने में कारगर सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि यह एमओयू विभिन्न विषयों में हुए विकास और संयुक्त प्रकाशन एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन के क्षेत्र में अत्यंत कारगर सिद्ध होगा। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ डॉ शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि एमओयू के लिए आयोजित ऑनलाईन कार्यक्रम में प्रो आरपीएस चौहान ने इसके महत्व पर चर्चा करते हुए सभी लोगों क़ा स्वागत किया ।संचालन डॉ सुमित कुमार ने की। सीसीडीसी प्रो एसएनपी यादव दीन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके ‘अराइज इंडिया’ के सीईओ ब्रिगेडियर बीके खन्ना,जापान में सीनियर फेलो यूक्यों तकियारी, समाजशास्त्री प्रो दीपक कुमार,तकनीकीं सहयोग डॉ संजय कुमार,ने कीं ।इस समारोह क़े साक्षी बने प्रो विनय कुमार , प्रो बृजेश राय ,डॉ के के मिश्र सहित दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षकगण व प्रशासनिक पदाधिकारी शामिल हुए।