आओ, चलें शिव की ओर” पुस्तक के विमोचन अवसर पर बोले पूर्व न्यायाधीश डीके सिन्हा,
"अपने आचरण और व्यवहार में शिवत्व को समाहित करें"
रांची। अपने आचरण और व्यवहार में शिवत्व को समाहित करें। भगवान शिव से प्रार्थना करें, उनका हमेशा स्मरण करें, ताकि मानव जीवन सार्थक हो। उक्त बातें झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डीके सिन्हा ने कालखंड के प्रथम शिव शिष्य श्री हरिंद्रानंद जी द्वारा रचित आध्यात्मिक पुस्तक “आओ, चलें शिव की ओर” के विमोचन के अवसर पर कही। श्री सिन्हा बसंत पंचमी के अवसर पर मंगलवार को डीबडीह स्थित कार्निवल हॉल में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में उपस्थित शिव भक्तों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिव के स्मरण मात्र से ही हमारे जीवन का उद्देश्य सफल हो जाता है। हमें अद्भुत शक्ति मिलती है। शिव शिष्य श्री हरिंद्रानंद जी द्वारा रचित आध्यात्मिक पुस्तक “आओ, चलें शिव की ओर” का विमोचन बसंत पंचमी के अवसर पर मंगलवार को राजधानी के डीवडीह स्थित “द कार्निवाल हॉल” में किया गया। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्तियां हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। श्री हरिंद्रानंद जी द्वारा लिखित पुस्तक “आओ, चलें शिव की ओर” जीवन यात्रा पर चल रहे पथिकों के लिए एक पाथेय के रूप में है।इस अवसर पर पुस्तक के लेखक श्री हरिंद्रानंद जी ने पुस्तक की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए कहा कि बनो तो शिव, रहो तो शिव और जियो तो शिव। उन्होंने कहा कि पुस्तक लिखना मेरे लिए असंभव सा प्रतीत होता था। क्योंकि विगत चार दशकों से अहर्निश मैंने शिवगुरु कार्य किया और सरकारी सेवा में भी रहा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की आपदा को महादेव ने मेरे लिए अवसर में बदल दिया। वैश्विक महामारी के दौर में पूरे देश-दुनिया में हुए लॉकडाउन ने मुझे मनचाहा समय दे दिया। “आओ चले शिव की ओर” पुस्तक निसंदेह मेरे द्वारा लिखी नहीं गई, बल्कि किसी ने मुझे कलम थमा दी और वह अविरल धारा के रूप में चल पड़ी। परिणाम “आओ, चलें शिव की ओर”पुस्तक के रूप में सबके समक्ष है।
इस अवसर पर आओ,” चलें शिव की ओर” पुस्तक की प्रकाशक श्रीमती अनुनिता ने कहा कि सामान्यतः पुस्तकें प्रकाशक और लेखक को समृद्ध करती हैं, लेकिन “आओ, चलो शिव की ओर” पुस्तक लेखक श्री हरीन्द्रानंद साहब ने अपनी पुस्तक के प्रकाशन का अधिकार देकर आखर पब्लिकेशन को प्रतिष्ठित किया है, समृद्ध किया है।
पुस्तक लोकार्पण समारोह कार्यक्रम के आयोजक अर्चित आनंद ने कहा कि “आओ, चलें शिव की ओर” पुस्तक सिर्फ पुस्तक नहीं, बल्कि एक धार्मिक ग्रंथ के रूप में है, जो मानवता को एक नई दिशा और नई उर्जा प्रदान करेगी। यह पुस्तक हमें शिव की ओर सदैव चलते रहने के लिए भी प्रेरित करेगी। शिव शिष्य हरीन्द्रानंद फाउंडेशन की अध्यक्ष बरखा सिन्हा ने हरिंद्रानंद जी की पुस्तक के कुछ अंशों को पढ़ते हुए कहा कि इस पुस्तक में जो डूबेगा,वह डूबता ही जाएगा। जो भी पुस्तक को पढ़ना शुरू करेगा, वह इसे अंतिम पेज तक पढ़ कर ही दम लेगा। भगवान शिव के गुरु स्वरूप की व्याप्ति और प्रसार हरिद्रानंद साहब की आपबीती सभी पाठकों के मन को झकझोर देगी।
समारोह में पटना से पधारे डॉक्टर अमित कुमार ने पुस्तक के अध्याय की अंतिम पंक्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहब की यह पंक्तियां यह ना जय घोष है, उद्घोष, अपितु मानव मन पर प्रहार करती है। साहब के बताए शिव के राजमार्ग पर चलने की एक विधा है। उसका क्रम है, उसकी गति है यह पुस्तक।
शिव शिष्य परिवार के सचिव अभिनव आनंद ने इस मौके पर कहा कि हरीन्द्रानंद साहब द्वारा लिखित “आओ, चलें शिव की ओर” पुस्तक हम सबों का मार्गदर्शन करेगी। धार्मिक और आध्यात्मिक शक्तियों को भी इस पुस्तक से बल मिलेगा। इसे पढ़ें, समझें और इस पुस्तक को आत्मसात करें। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम कोविड-19 प्रोटोकॉल के दिशा निर्देश के अनुसार आयोजित किया गया। कार्यक्रम में लगभग डेढ़ सौ शिव भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराईं। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सभी शिव भक्तों ने शिव शिष्य परिवार से जुड़े रहने और शिव भक्ति में लीन रहने का संकल्प लिया। मौके पर शिव शिष्य परिवार से जुड़े लोग मौजूद थे।