कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल पारित होना उपभोक्ताओं के हित में : राकेश कुमार सिंह

रांची। काफी लंबे इंतजार के बाद भारत सरकार द्वारा कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट के कुछ प्रावधान 20 जुलाई से प्रभावी होंगे। यह उपभोक्ताओं के लिए हितकर साबित होगा। उक्त बातें झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य और शहर के जाने-माने समाजसेवी राकेश कुमार सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से उपभोक्ताओं का हित संरक्षण संभव हो सकेगा और उनके अधिकारों सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि
उपभोक्ताओं के हित के लिए बहुप्रतीक्षित बिल लोकसभा और राज्य सभा में पारित किया जाना सराहनीय व उपभोक्ता हित में है। इसे पहली बार तत्कालीन केन्द्र सरकार ने वर्ष 2015 में सदन में पेश किया था। लेकिन कतिपय कारणों से यह विधेयक पारित नहीं हो सका था। वर्तमान केन्द्र सरकार ने जनवरी 2018 में कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल 2018 लोकसभा में लाया और 20 दिसंबर 2018 को बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया। श्री सिंह ने इस बिल के पारित होने के पश्चात कुछ प्रावधानों का 20 जुलाई से लागू होने पर खुशी का इजहार किया। उन्होंने कहा कि कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 अधिनियम समय के अनुरूप काफी पुराना हो चुका था।इसकी प्रासंगिकता लगभग मृतप्राय हो चुकी थी। अब बाजार की प्रकृति , बाजार की स्थिति और बाजार का प्रकार में काफी बदलाव आया है। इस बिल के तहत आज के परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ता ठगा महसूस कर रहे थे। नए बिल के लिए देश भर के विभिन्न उपभोक्ता संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया था। झारखंड में उपभोक्ता के क्षेत्र में काम करने वाले अग्रणी संस्था सिटीजन एक्शन ग्रुप ने भी इस संबंध में अनेक बार प्रयास किया। राकेश कुमार सिंह ने विगत सितंबर में पूरी (ओडिशा) में आयोजित सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाया था। इस विधेयक के लागू होने से देश भर के उपभोक्ताओं के हित में काम करने वाली संस्थाएं काफी गर्व महसूस कर रहे हैं। सरकार ने उनकी मांगों को माना और देशहित में उपभोक्ताओं के हित में कदम उठाया। जहां सभी वस्तुओं को सम्मिलित किया गया था वहीं कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल 2019 वस्तुओं और सेवाओं के साथ साथ टेलीकॉम, हाउसिंग निर्माण और सभी प्रकार के ट्रांजैक्शन चाहे वह ऑनलाइन हो या टेलिशाॅपिंग, इसको भी कानून के दायरे में लाया गया है। कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 में जहां प्रोडक्ट लायबिलिटी में किसी तरह का प्रोविजन नहीं था। 2019 के बिल में प्रोडक्ट लायबिलिटी को भी शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत मैन्यूफैक्चर सर्विस प्रोवाइडर और सेलर भी आएंगे। अनफेयर कांट्रैक्ट्स के संबंध में कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल 1986 मौन है। लेकिन कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल 2019 के अनुसार अनफेयर कांट्रैक्ट को परिभाषित किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत राज्य केंद्र और जिला स्तरीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद के गठन की बात कही गई थी, जबकि उपभोक्ता संरक्षण बिल 2019 के अंतर्गत सेंट्रल प्रोटक्शन काउंसिल (सीपीसी) का गठन किया जाना है। सीपीसी भारत सरकार की सलाहकार समिति रहेगी, जो कंज्यूमर राइट्स के प्रमोशन और प्रोडक्शन के लिए काम करेगी। सीपीसी का गठन डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल पर भी होगा। उन्होंने कहा कि यह बिल उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और संरक्षण करेगा व उपभोक्ताओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा।