सूर्य नमस्कार: विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का आसान समाधान-श्री सर्बानंद सोनोवाल

संक्रांति शब्द : संक्रमणकालीन गति, अपने अंतर्मन व बाहरी दुनिया को बेहतर बनाने की गति तथा ब्रह्मांडीय स्तर के साथ-साथ ज्योतिष राशियों में ‘परिवर्तन’ का प्रतीक है।

सूर्य नमस्कार: विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का आसान समाधान-श्री सर्बानंद सोनोवाल

14 जनवरी को मकर संक्रांति पर सूर्य का उदय थोड़ा उत्तर दिशा में होगा- यह अवसर देश भर में अपने साथ कई सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कृषि संबंधी संदेश लेकर आएगा। संक्रांति शब्द : संक्रमणकालीन गति, अपने अंतर्मन व बाहरी दुनिया को बेहतर बनाने की गति तथा ब्रह्मांडीय स्तर के साथ-साथ ज्योतिष राशियों में ‘परिवर्तन’ का प्रतीक है। यह सम्पूर्ण जगत का मंथन है और यह मंथन मानव शरीर-अंतर्मन-चेतना तथा बाहरी दुनिया, दोनों में होना चाहिए। दोनों प्रक्रियाएं साथ-साथ चलनी चाहिए। इस अवसर की सुंदरता है कि यह प्रक्रिया इस विषय के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करती है।

आयुष मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि इस अवसर का उपयोग सूर्य नमस्कार- ‘सूर्य को प्रणाम’ करने के योग आसन– के माध्यम से मानवता तक पहुंचने के लिए किया जायेगा और इसके जरिये स्वयं को फिर से जीवंत बनाने का एक विशेष और सामयिक संदेश भी लोगों तक पहुँचाया जाएगा। सदियों से योग मानवता की सेवा करता रहा है, लेकिन जब से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पहल की है, योग ने इतने बड़े पैमाने पर वैश्विक स्वीकृति प्राप्त की है, जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सितंबर, 2014 में अपने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण में, विश्व समुदाय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग का उत्सव मनाने का आग्रह किया था। उनकी अपील के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है।

दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण में फिर से आयी तेजी ने इसे और अधिक प्रासंगिक बना दिया है कि हम अपने शरीर-अंतर्मन-चेतना को स्वास्थ्य पर आने वाले किसी भी तरह के खतरे का सामना करने के लिए तैयार रखें। हममें से अधिकांश लोगों ने सूर्य नमस्कार के बारे में अवश्य सुना होगा, लेकिन नियमित रूप से इसका अभ्यास करने वालों की संख्या बहुत कम होगी। योग आसनों की इस श्रृंखला का महत्व सूर्य को नमस्कार करने तक सीमित नहीं है। इसका मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जब नियमित रूप से व सही तरीके से इसका अभ्यास किया जाता है, तो सूर्य नमस्कार न केवल हमारी जीवन शक्ति और प्रतिरक्षा बल में सुधार करता है, बल्कि यह तेज गति से चलने वाली और तनाव पैदा करने वाली आधुनिक दुनिया में मानसिक संतुलन को भी बनाए रखने में मदद करता है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए यह कार्यक्रम भारत की आजादी के 75वें साल पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए शुरू किया गया है। आयुष मंत्रालय ने सामूहिक प्रदर्शन के इस कार्यक्रम में न सिर्फ अन्य मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों, बल्कि वैश्विक योग समुदाय के सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल किया है। योग का सार्वभौमिक आकर्षण सूर्य नमस्कार में और अधिक परिलक्षित होता है। जिस प्रकार सूर्य सभी सजीव प्राणियों की जीवन शक्ति का स्रोत है,  उसी तरह सूर्य नमस्कार मानवीय जीवन शक्ति की बिना दुष्प्रभाव वाली एक निश्चित खुराक है। दुनिया यह महसूस कर रही है कि कोविड-19 के संक्रमण के दोबारा उभार से निपटने के लिए जीवन शक्ति और मजबूत आंतरिक प्रतिरोधक क्षमता सबसे जरूरी आवश्यकताएं हैं और इस वजह से, सूर्य नमस्कार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यही कारण है कि हमने इस कार्यक्रम के लिए केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और सभी प्रमुख योग संस्थानों एवं योग गुरुओं सहित सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल किया है। हमारा दृष्टिकोण सिर्फ एक बार के कार्यक्रम तक सीमित नहीं है क्योंकि आयुष मंत्रालय कार्य संबंधी रणनीतियों के डिजाइन और कार्यान्वयन, दोनों के बीच तालमेल और निरंतरता पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए एक स्थायी प्रभाव पैदा करने में विश्वास करता है। 14 जनवरी को होने वाला योग प्रदर्शन का यह कार्यक्रम भी एक किस्म की निरंतरता का हिस्सा है और यह बात मैंने हैदराबाद में भी उस समय कही थी जब हमने हाल ही में 75 करोड़ सूर्य नमस्कार के आयोजन की पहल की थी।

सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किए जाने वाले आठ आसनों का एक संयोजन है। इन आसनों की खूबी यह है कि इन्हें सभी आयु वर्ग के लोग बिना किसी कठिनाई के कर सकते हैं और इन 12 चरणों के नियमित अभ्यास से मानव शरीर की संपूर्ण प्रणाली स्वास्थ्य पर होने वाले बाहरी हमलों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हो जाती है। मैं यहां नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से होने वाले लाभों के विस्तार में नहीं जाऊंगा, लेकिन सिर्फ इतना याद दिलाना चाहूंगा कि सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने वाला मेरे जैसा व्यक्ति पूरे दिन खुद को ऊर्जावान और समग्र रूप से स्वस्थ महसूस करता है। इस प्रकार, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर होने वाले व्यक्तिगत और राष्ट्रीय व्यय की काफी हद तक बचत होती है।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह मकर संक्रांति, सूर्य और सूर्य नमस्कार जैसे ऊर्जा के प्राकृतिक संसाधनों को हमारा सबसे अच्छा और भरोसेमंद साथी बनाने के वैश्विक समुदाय के एक नए संकल्प की शुरुआत करेगी और इस दोस्ती को आगे आने वाले दिनों में भी जारी रखने का प्रयास करेगी। यह कदम हमारी धरती के लिए कई तरह से मददगार साबित होगा।  

*लेखक, केन्द्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री हैं