रांची विश्वविद्यालय में पास को फेल करने का मामला, हाइकोर्ट के आदेश के बाद हुई कार्रवाई
राँची विश्वविद्यालय के कर्मचारी बीके देवधरिया फेल व पास का दो सर्टिफिकेट रखते थे. तैयार प्रोमोटेड की जगह फेल का सर्टिफिकेट नियोक्ता को भेजा. संजीव से पास सर्टिफिकेट देने के एवज में मांगी गयी मोटी रकम. वेरिफिकेशन में पास को फेल दिखाया. हाइकोर्ट के आदेश पर कुलपति ने की कार्रवाई. मामले में पूर्व नियंत्रक व कर्मचारी को नोटिस.
रांची विवि : रांची विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में सटिर्फिकेट वेरिफिकेशन के नाम पर पास को फेल करने का मामला हाइकोर्ट के आदेश के बाद उजागर हुआ है. कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा को जब इस मामले की जानकारी हुई, तो उन्होंने संबंधित कर्मचारी बीके देवधरिया व निलंबित परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा को कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. उनसे पूछा गया है कि कैसे आपने उत्तीर्ण (पास) विद्यार्थी के फेल सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर कर दिया. वहीं वीसी डॉ सिन्हा ने उक्त विद्यार्थी का उत्तीर्ण सर्टिफिकेट तैयार कर नियोक्ता के पास भेजा जहां उसकी नियुक्ति हुई.
रांची विश्वविद्यालय से वर्ष 1997 में बीए ऑनर्स उत्तीर्ण विद्यार्थी संजीव कुमार दुबे की नौकरी लगी. नियोक्ता ने परीक्षा विभाग को इस माह उनका सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए भेजा. संबंधित कर्मचारी बीके देवधरिया ने उत्तीर्ण विद्यार्थी का दो सर्टिफिकेट तैयार किया. एक में उसे उत्तीर्ण व एक में अनुत्तीर्ण दिखाया. कर्मचारी ने संजीव के नियोक्ता के पास अनुत्तीर्णवाली रिपोर्ट भेज दी. इसकी जानकारी जब चयनित विद्यार्थी संजीव को हुई, तो वह परीक्षा विभाग में रिपोर्ट सही कराने के लिए दौड़ने लगा. संजीव के अनुसार, उत्तीर्ण रिपोर्ट भेजने के एवज में उक्त कर्मचारी ने मोटी रकम मांगी. इसके बाद भी वह कई बार परीक्षा विभाग गया. लेकिन उसे निराशा हाथ लगी. उत्तीण सर्टिफिकेट नहीं मिलने पर वह न्याय की आस में हाइकोर्ट जा पहुंचा. हाइकोर्ट में पूरे मामले की सुनवाई हुई. इसके बाद हाइकोर्ट ने कुलपति को संजीव के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया. इसके बाद कुलपति को जब पूरे मामले की जानकारी हुई, तो उन्होंने उक्त कर्मचारी बीके देवधरिया को बुलाया जिनका कुछ माह पहले ही पीजी विभाग में स्थानांतरण हो गया था. उक्त कर्मचारी से जब कुलपति ने पूछताछ कि तो उसने संजीव की उत्तीर्णवाली रिपोर्ट कुलपति को दिखाते हुए कहा कि यही रिपोर्ट भेजी गयी है. जब कुलपति ने उससे टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) मांगा, तो पता चला कि उक्त कर्मचारी टीआर को अलमीरा में बंद कर रखा था. कुलपति ने जांच की, तो पाया कि विद्यार्थी 1996 में प्रोमोटेड हो गया था, पुन: 1997 में परीक्षा देकर उत्तीर्ण हुआ. लेकिन उक्त कर्मचारी की ओर से दो रिपोर्ट तैयार की गयी थी. वह नियोक्ता को प्रोमोटेड की जगह फेल का सर्टिफिकेट भेज देता था. समझा जाता है कि नोटिस के बाद विवि प्रशासन द्वारा प्रथम चरण में उक्त कर्मचारी के खिलाफ निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है.