पृथ्वी पर पहली बार मानवता के लिए सुरक्षा और न्याय का हुआ मूल्यांकन
इकोसिस्टम और लोगों द्वारा किया जाने वाला योगदान एक स्टेबल प्लेनेट के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करता है।
हम अपनी सभ्यता के भविष्य और पृथ्वी पर रहने वाली हर चीज के साथ भारी जोखिम उठा रहे हैं। यह कहना है जर्नल नेचर में प्रकाशित एक नए अध्ययन का। दुनियाभर के 40 से अधिक रिसर्चर्स को शामिल करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय विज्ञान आयोग द्वारा विकसित की गई इस स्टडी में, वैज्ञानिक पृथ्वी प्रणाली की स्थिति को नियंत्रित करने वाली कई जैव भौतिक प्रक्रियाओं और प्रणालियों के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर सुरक्षित और न्यायपूर्ण अर्थ सिस्टम की सीमाओं का पहली बार उल्लेख किया जा रहा है । पृथ्वी पर पहली बार मानवता के लिए सुरक्षा और न्याय का ऐसा मूल्यांकन किया गया है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार यह बेहद चुनौतीपूर्ण रहा क्योंकि अर्थ कमीशन नाम के इस समूह का निष्कर्ष है कि पृथ्वी के लिए अब तक कई सुरक्षित सीमाएं पहले ही पार हो चुकी हैं।
ग्रह स्थिरता के लिए एक न्यायपूर्ण और समान दृष्टिकोण ज़रूरी है
प्रोफेसर जोहान रॉकस्ट्रॉम (अर्थ कमीशन के सह-अध्यक्ष, प्रमुख लेखक और पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक) के अनुसार, “हम एंथ्रोपोसिन में हैं। यह वो वक़्त है जब मानव गतिविधियों का हमारे ग्रह पर प्रभाव पड़ता है। हम पूरे ग्रह की स्थिरता और रेज़ीलिएंस को खतरे में डाल रहे हैं। यही कारण है कि, पहली बार, हम न केवल अर्थ सिस्टम स्टेबिलिटी और रेज़ीलिएंस बल्कि मानव कल्याण और समानता/न्याय के संदर्भ में भी हमारे ग्रहों के स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन करने के लिए मात्रात्मक संख्या और एक ठोस वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत कर रहे हैं।”
अर्थ कमीशन की सह-अध्यक्ष और एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी में एन्वॉयरमेंट एंड डेवलपमेंट इन द ग्लोबल साऊथ की प्रोफेसर, सह-लेखक प्रो. जोइता गुप्ता के अनुसार- “ग्रहों की सीमाओं में रहने के लिए न्यायपूर्ण मानवता ज़रूरी है। हैवी वेट इन्वायरमेंट असेसमेंट के दौरान यह निष्कर्ष वैज्ञानिक समुदाय के कई आकलनों में देखा गया है। यह कोई राजनीतिक चयन नहीं है। ठोस सबूत से पता चलता है कि ग्रह स्थिरता के लिए एक न्यायपूर्ण और समान दृष्टिकोण ज़रूरी है। न्याय के बगैर हम बायोफिज़िकली सेफ प्लेनेट नहीं पा सकते हैं।”
दुनिया पहले ही सुरक्षित और न्यायसंगत क्लाइमेट बाउंड्री पार कर चुकी है
अर्थ कमीशन ने क्लाइमेट, बायो डायवर्सिटी, फ्रेश वाटर और हवा, मिट्टी और पानी के विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के लिए सुरक्षित और न्यायपूर्ण सीमाओं को निर्धारित किया है। जिनमें अधिकतर का उल्लंघन हो चुका है। उदाहरण के लिए मानव की गतिविधियाँ वाटरफ्लो में बदलाव ला रही हैं, फर्टिलाइज़र के इस्तेमाल के चलते बड़ी मात्रा में पोषक तत्व वाटरफ़्लोज़ में छोड़े जाते हैं, जिसके प्रभाव से कम इलाक़ा ही बचा रह गया है। इकोसिस्टम और लोगों द्वारा किया जाने वाला योगदान एक स्टेबल प्लेनेट के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करता है। दुनिया पहले ही सुरक्षित और न्यायसंगत क्लाइमेट बाउंड्री पार कर चुकी है, जो प्री इंडस्ट्रियल टेम्परेचर स्तरों से 1 डिग्री सेल्सियस ऊपर निर्धारित है, जिससे लाखों लोग पहले से ही क्लाइमेट चेंज के मौजूदा स्तर से नुकसान उठा रहे हैं।
दुनिया को जलवायु से परे सुरक्षित भविष्य के लिए वैश्विक लक्ष्यों की जरूरत है। ग्लोबल टारगेट सेटिंग ने जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया है और पेरिस समझौते के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 1.5 डिग्री सेल्सियस पर फोकस किया है। साफ तौर पर विज्ञान भी यही कहता है कि धरती पर अन्य सभी ग्रह पर रहने की क्षमता निर्धारित करने वाली बायोफिज़िकल सिस्टम और प्रक्रियाओं का प्रबंधन करने की ज़रूरत है।
केवल न्यायपूर्ण सीमाएं ही मानव जोखिम वाले महत्वपूर्ण नुकसान को कम करती हैं। महत्वपूर्ण नुकसान को इस रूप में परिभाषित किया गया है: अर्थ सिस्टम परिवर्तन से देशों, समुदायों और व्यक्तियों पर व्यापक एवं गंभीर अस्तित्व सम्बन्धी या अपरिवर्तनीय नकारात्मक प्रभाव जैसे-जीवन का नुकसान, आजीविका या आय, विस्थापन, भोजन, पानी या पोषण सुरक्षा की हानि, पुरानी बीमारी, चोट या कुपोषण। सुरक्षित और न्यायसंगत अर्थ सिस्टम सीमा की पहचान करने के लिए सुरक्षित और न्यायोचित सीमाएँ निर्धारित मात्राओं के स्तरों की कड़ी होती है।