फंदे पर लटकाये गए निर्भया के गुनहगार
विनय फांसी से पहले बुरी तरह गिड़गिड़िया और कहा, ''मुझे माफ कर दो... मुझे नहीं मरना। जमीन में लेटने लगा।
नई दिल्ली : दिल्ली गैंगरेप मामले में निर्भया के चार दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। इस फांसी से पहले पिछले सात साल तक निर्भया की मां लगातार कोर्ट में लड़ाई लड़ती रही। दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी। सात साल के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले में चार दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकना ही पड़ा। फांसी पर लटकाए जाने से पहले दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया, लेकिन निर्भया को आखिरकार इंसाफ मिला। फिलहाल आज सुबह जब दोषियों से आखिरी इच्छा पूछी गयी कि कुछ चाहिए- पूजा करनी या कुछ और लेकिन चारों गुनहगारों ने कोई जवाब नहीं दिया।
बताते चले कि चारों दोषियों में विनय फांसी के पहले बहुत रोया और गिड़गिड़ाया। बाकी तीनों दोषी पवन, मुकेश और अक्षय शांत रहे। मुकेश ने मौत के बाद अपने अंगदान करने की इच्छा जाहिर की थी। वहीं, दोषी विनय ने कहा था कि जो मैंने पेंटिंग बनाई हैं वो मेरे घरवालों को दे देना। फांसी के एक दिन पहले की रात में मुकेश-विनय ने डिनर किया था, खिचड़ी खायी। वहीं पवन और अक्षय रातभर बेचैन रहे। ये लोग पूरी रात सो नहीं सके और रात भर जागकर पुलिसकर्मियों से पूछते रहे कि क्या कोर्ट से कोई नया ऑर्डर आया है। चारों दोषियों ने चाय पीने से सुबह मना कर दिया। विनय कह रहा था मैं मरना नहीं चाहता। वह फांसी से पहले बुरी तरह गिड़गिड़िया और कहा, ”मुझे माफ कर दो… मुझे नहीं मरना। जमीन में लेटने लगा।
फंदे पर लटकाने से पहले जब दोषियों को नहाने और कपड़े बदलने के लिए कहा गया, तो दोषी विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया। इसके अलावा उसने रोना शुरू कर दिया और माफी मांगने लगा। सुबह नए कपड़े पहनने को दिए जाते हैं। विनय ने नए कुर्ता-पैजामा पहनने से मन कर दिया।
बता दें कि दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने यह जानकारी दी। पूरे देश की आत्मा को झकझोर देने वाले इस मामले के चारों दोषियों… मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई।
चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और बृहस्पतिवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली। सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई। अंतत: आज सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।
मुकेश सिंह- मुकेश बस का क्लीनर था, जिस रात बस में गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह भी बस में सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।
विनय शर्मा- विनय पेशे से फिटनेस ट्रेनर था. जब इसके पांच अन्य साथी निर्भया के साथ गैंगरेप कर रहे थे तो यह बस चला रहा था।राम सिंह के खुदकुशी करने के बाद विनय ने भी जेल के भीतर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन वह बच गया था।
पवन गुप्ता- पवन गुप्ता दिल्ली में फल बेचने का काम करता था। 16 दिसंबर को गैंगरेप के समय यह भी अपने दोस्तों के साथ उस बस में मौजूद था।
अक्षय ठाकुर- बिहार का रहने वाला अक्षय ठाकुर अपनी पढ़ाई छोड़कर घर से भागकर दिल्ली आ गया था। यहां उसकी दोस्ती राम सिंह से हुई थी। राम सिंह के सहारे वह फल बेचने वाले पवन गुप्ता से भी घुल-मिल गया था।
गौरतलब है कि निर्भया गैंगरेप मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे। जिनमें राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। राम सिंह (32) जो पेशे से बस ड्राइवर था। जिस चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस बस को राम सिंह ही चला रहा था। राम सिंह इस वारदात का मुख्य आरोपी था। राम सिंह ने गैंगरेप करने के साथ ही निर्भया और उसके दोस्त को लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा था। घटना के महज कुछ घंटों बाद पुलिस ने राम सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। 11 मार्च, 2013 को राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी।
जबकि इस मामले में एक नाबालिग दोषी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ उसे सुधार केंद्र में भेजा था। दिसंबर, 2015 में सजा पूरी करने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था।