भाजपा शासनकाल की बड़कागांव अत्याचार गाथा का पटाक्षेप हो : सुबोधकांत सहाय

भाजपा शासनकाल की बड़कागांव अत्याचार गाथा का पटाक्षेप हो : सुबोधकांत सहाय

रांची। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि भाजपा के शासनकाल में बड़कागांव के किसानों व मजदूरों पर किए गए अत्याचार की कहानी का पटाक्षेप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़कागांव के किसान अपने अधिकारों के लिए विगत कई वर्षों से संघर्षरत हैं। एनटीपीसी परियोजना और उसकी सहायक त्रिवेणी कंपनी की हठधर्मिता के विरोध में पिछले दस दिनों से स्थानीय किसानों, मजदूरों और बेरोजगारों का व्यापक अधिकार सत्याग्रह कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन एनटीपीसी और त्रिवेणी कंपनी प्रबंधन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। एनटीपीसी परियोजना के अधिकारियों की ओर से इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि बड़कागांव के किसानों की उर्वर जमीन, जिससे किसान एक साल में चार फसल निकालने में सफल होते हैं, वैसे जमीनों के मुआवजा के लिए अभी तक कंपनी की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है। श्री सहाय ने इस दिशा में झारखंड सरकार को भी सलाह देते हुए कहा है कि बड़कागांव के किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार कर इसका स्थाई समाधान जल्द से जल्द निकालें। उन्होंने कहा कि तत्कालीन रघुवर सरकार के शासनकाल में बड़कागांव के किसानों पर हुए अत्याचार, गोलीकांड के विरोध में पूरे विपक्ष को एकजुट किया गया था। इस आंदोलन की चिंगारी झारखंड के कोने-कोने में पहुंची थी। किसानों के हक के लिए शुरू किए गए इस आंदोलन से प्रेरित होकर गोला, खूंटी, गोड्डा में भी किसानों-विस्थापितों ने व्यापक आंदोलन किया था। लेकिन तत्कालीन रघुवर सरकार ने किसानों की एक नहीं सुनी और उनपर गोलियां चलवाई। भाजपा सरकार के शासनकाल में हुए अत्याचार के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन परिवर्तित होकर व्यापक जनांदोलन का रूप ले लिया, नतीजतन भाजपा को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। श्री सहाय ने कहा कि राज्य सरकार के पदाधिकारी सिर्फ निर्गुण बैठक न करें। समस्या का हल ढूंढने दिशा में सकारात्मक पहल करें। एनटीपीसी और उसकी सहयोगी कंपनी त्रिवेणी के साथ-साथ राज्य सरकार भी इस दिशा में किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए स्थाई निदान निकालें। किसानों, मजदूरों, विस्थापितों की मांगों के संदर्भ में अविलंब कार्रवाई कर आंदोलन समाप्त कराएं, ताकि पिछले तकरीबन एक दशक से भाजपा शासनकाल के द्वारा शुरू की गई अत्याचार की कहानी का अंत हो सके।