तेलुगू सिनेमा के 450 से अधिक दुर्लभ ग्लास स्लाइड मिले,होगा डिजिटलीकरण

NFAI ने 1930 के दशक के अंत से लेकर 1950 के दशक के मध्य तक के शुरूआती तेलुगू सिनेमा के 450 से अधिक ग्लास स्लाइड का दुर्लभ खजाना प्राप्त किया।वर्तमान में, NFAI के संग्रह में हिंदी, गुजराती और तेलुगू फिल्मों की 2000 से अधिक ऐसी ग्लास स्लाइड हैं।

दिल्ली:
एक बड़े अधिग्रहण के रूप में नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया ने अपने संग्रह में फिल्मों के 450 से अधिक ग्लास स्लाइड्स को जोड़ा है। ये ग्लास स्लाइड्स शुरूआती सिनेमा को देखने के अनुभव का एक अभिन्न हिस्सा हैं। कांच के दो पतले चौखटों के बीच फिल्म के एक पॉजिटिव को दबाकर बनाए गए इन स्लाइडों का उपयोग किसी फिल्म के शुरू होने से पहले या सिनेमाघरों में इंटरवल के दौरान आने वाली नई फिल्म के बारे में घोषणा करने के लिए किया गया था।

ये ग्लास स्लाइड भारतीय सिनेमाई विरासत के उत्कृष्ट रिकॉर्ड हैं: निदेशक, NFAI

NFAI के निदेशक श्री प्रकाश मगदुम ने कहा, “ये ग्लास स्लाइड भारतीय सिनेमाई विरासत के उत्कृष्ट रिकॉर्ड हैं और हमें इन्हें अपने अभिलेखीय संग्रह में संरक्षित करने की खुशी है। तकनीक में हो रहे तेज बदलावों के मद्देनजर इतनी बड़ी संख्या में इन ग्लास स्लाइडों का होना एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण खोज है। मैं सभी फिल्म प्रेमियों से आगे आकर फिल्मों की फुटेज, उनसे जुड़े फोटो, पोस्टर, लॉबी कार्ड और अन्य ऐसी सामग्रियां जमा कराने की अपील करता हूं ताकि उन्हें संरक्षित किया जा सके।”

तेलुगू सिनेमा के 450 से अधिक दुर्लभ ग्लास स्लाइड का खजाना मिला,होगा डिजिटलीकरण

ग्लास स्लाइड तैयार करने के लिए उपयोग की जाने वाली फिल्मों के पॉजिटिव दरअसल फिल्मों के पोस्टर या समाचार – पत्रों और पत्रिकाओं के लिए तैयार की जाने वाली प्रचार सामग्री के लघु रूप थे। ये ग्लास स्लाइड 1930 के दशक के उत्तरार्ध से लेकर 1950 के दशक के मध्य तक के शुरूआती तेलुगू सिनेमा के सचित्र इतिहास का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारतीय चलचित्र के शुरूआती दशकों के दौरान तेलुगू फिल्मों के गौरव का पता लगाने वाले खूबसूरत फ्रेम पेश करते हैं।

इस संग्रह के महत्व के बारे में टिप्पणी करते हुए एनएफएआई की प्रलेखन प्रभारी श्रीमती आरती कारखानिस ने कहा, “ये ग्लास स्लाइड तेलुगू सिनेमा उद्योग के शुरूआती वर्षों में प्रचार से जुड़े परिदृश्य का एक विहंगम दृश्य पेश करते हैं। संदर्भ के तौर पर इन स्लाइडों का फिल्मों से जुड़े शोधकर्ताओं के लिए बहुत बड़ा मूल्य है। हम जल्द ही इनका डिजिटलीकरण कर देंगे।”

इस अधिग्रहण में विधवा पुनर्विवाह के बारे में नया चलन शुरू करने वाला वी.वी. राव का सामाजिक नाटक ‘मल्ली पेली’ (1939), चित्तूर वी. नागैया अभिनीत बी.एन. रेड्डी की ‘वंदे मातरम’ (1939), लोकप्रिय हिट फिल्म ‘कीलू गुर्रम’ (1949), जिसमें अक्किनेनी नागेश्वर राव और अंजलि देवी ने अभिनय किया, एक और हिट फिल्म एन.टी. रामाराव अभिनीत फिल्म ‘दासी’ (1952), समीक्षकों द्वारा प्रशंसित शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की उत्कृष्ट कृति पर आधारितदेवदास वेदांतम राघवैया की ‘देवदासु’ (1953), जिसमें अक्किनेनी नागेश्वर राव, सावित्री और ललिता केंद्रीय भूमिकाओं में थे और इसी किस्म की कई और महत्वपूर्ण फिल्में हैं। ये सभी ग्लास स्लाइड 1939 से लेकर 1955 तक की 70 तेलुगू फिल्मों को शामिल करते हुए ब्लैक एंड व्हाइट में हैं।

पिछले साल भी NFAI ने करीब 400 ग्लास स्लाइड्स प्राप्त की थीं। वर्तमान में, NFAI के संग्रह में हिंदी, गुजराती और तेलुगू फिल्मों की 2000 से अधिक ऐसी ग्लास स्लाइड हैं।