पितृपक्ष विशेषांक ‘गया गीतिका’ के चतुर्थ अंक का लोकार्पण
गया । गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के डॉ. मंजू करण सांस्कृतिक सभागार में पितृपक्ष विशेषांक “गया गीतिका” के चतुर्थ अंक का लोकार्पण मुख्य अतिथि जदयू के बिहार प्रदेश महासचिव चंदन कुमार सिंह, गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र, महामंत्री सुमंत, गया गीतिका के प्रधान संपादक डॉ.राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’ व संपादक डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, कार्यक्रम संयोजक-सह- गया गीतिका के प्रकाशक अश्विनी कुमार तथा कार्यक्रम के संचालक अरविंद कुमार द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। सम्मेलन के सभापति सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र तथा महामंत्री सुमंत ने संपादक मंडल को गया गीतिका के चौथे अंक के प्रकाशन पर शुभकामनाएँ दीं। मुख्य अतिथि चंदन कुमार सिंह ने कहा कि यह एक अच्छा संयोग है कि गया में पितृपक्ष मेला चल रहा है और इस समय पितृपक्ष विशेषांक गया गीतिका के चौथे अंक का लोकार्पण किया जा रहा है। उन्होंने संपादक मंडल के सभी सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि इस पत्रिका से गयाजी के यश में वृद्धि होगी। साथ ही, पितृपक्ष महासंगम में आये श्रद्धालुओं को गया जी के बारे में नयी जानकारियां मिल सकेंगी। गया गीतिका की संपादक डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने गया गीतिका के प्रकाशन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देने वाले सभी रचनाकारों एवं शुभेच्छुओं के प्रति कृतज्ञता जताते हुए कहा कि गया गीतिका के चौथे अंक में मोक्षभूमि गया की धार्मिक, सामाजिक, भौगौलिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक गरिमा को दर्शाते उत्तम आलेखों का संकलन है। डॉ रश्मि के अनुसार पत्रिका में शहर, संस्कार तथा संस्कृति नाम से तीन विभाग हैं, जिनमें नामानुरूप आलेखों का संकलन है। उन्होंने पत्रिका के प्रकाशन में अहम भूमिका निभाने हेतु डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि और अश्विनी कुमार को विशेष रूप से शुभकामनाएं दीं। प्रधान संपादक डॉ. राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’ ने गया गीतिका में प्रकाशित सभी आलेखों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि गया गीतिका के प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य पाठकों को गया की महिमा से परिचित करवाना है। पत्रिका लोकार्पण के उपरांत वरिष्ठ कवि प्रवीण परिमल, खालिद हुसैन परदेसी, डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, चन्द्रदेव केशरी, मिथिलेश मिश्र दर्द, गजेंद्र लाल अधीर, अजीत कुमार, मुद्रिका सिंह ने काव्य संध्या में अपनी रचनाएँ पढ़ीं, जिनपर श्रोता प्यारचन्द कुमार मोहन, उपेन्द्र सिंह, डॉ.राम परिखा सिंह, डॉ.मुरली मनोहर पांडे, सूरज कुमार, शंकर प्रसाद, उदय सिंह आदि ने खूब वाहवाहियां लगायीं। काव्य संध्या में अधिकतर रचनाएँ पितृपक्ष पर आधारित थीं। डॉ रश्मि ने पितृपक्ष की महत्ता दर्शाती हुईं “धन्य फल्गु की धार, धन्य है गयाधाम की धरा महान। धन्य विष्णुपद, धन्य पूर्वजों के प्रति श्रद्धामय सम्मान। धन्य महासंगम विराट, सत्कर्मों का यह शुचि मेला ।धन्य-धन्य, है धन्य-धन्य, यह पितृपक्ष की शुभ वेला..” पंक्तियों द्वारा पितृपक्ष के महत्व को उद्घाटित किया। लोकार्पित विशेषांक के प्रकाशक अश्विनी कुमार ने प्रकाशन में आर्थिक रूप से सहयोग देने हेतु श्री विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति, डॉ प्रेम कुमार (नगर विधायक), बच्चों का अस्पताल, डालमिया बाजार के प्रबंध निदेशक शिव कैलाश डालमिया, वैष्णवी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, प्रमोद लडडू भंडार, सेरेमोनिया बैंक्वेट हॉल की ओनर एवं रोटरी क्लब ऑफ़ गया की अध्यक्ष राखी भदानी के प्रति हार्दिक आभार जताया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने कहा कि गया गीतिका एक ऐसी कृति बन गई है, जिसकी उपयोगिता आने वाले समय में भी बनी रहेगी।