क्या इन चार मोहरों के ज़रिए मुख्य सरगना तक पहुँच पाएगी प्रशासन ?
किसके इशारे पर इतनी मात्रा में शराब और स्प्रिट गंतव्य स्थान पर ठिकाने लगाने की बात थी? इसका उपयोग कहां पर किया जाता? किसके द्वारा किया जाना था ? ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
अमरेन्द्र कुमार
गया
जिला उत्पाद विभाग की टीम दो दिन पहले ही अवैध शराब के मामले में चार लोगों को पकड़ने में कामयाब रही है। इन चार लोगों के चेहरे तो सामने आ गए। पर इन सबके पीछे छिपे उन चेहरों की पहचान होना जरूरी जान पड़ता है। जो मानव के जीवन में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। पकड़े गए लोग “डाक विभाग” की कथित वाहन का इस्तेमाल शराब की ढुलाई में करते हुए पाए गए। कुछ मिनी ट्रक में स्प्रिट ले जाते पकड़े गए। प्रथम दृष्टया में कानूनन आरोपी हैं। लेकिन इन वाहनों पर शराब व कच्चा स्प्रिट किसने लोड किया? किसके कहने पर भेजा जा रहा था? किसके इशारे पर इतनी मात्रा में शराब और स्प्रिट गंतव्य स्थान पर ठिकाने लगाने की बात थी? इसका उपयोग कहां पर किया जाता? किसके द्वारा किया जाना था ? ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। गिरफ्तार लोगों में रहे एक एक व्यक्ति से अलग अलग बात की जाए तो इस गिरोह में शामिल अन्य छिपे चेहरों की भी पहचान हो सकती है। कुछ न कुछ और अनजान चेहरे सामने आ सकते हैं। पुलिस की आंख में धूल झोंकने वाली बात कही जा सकती है । “डाक विभाग” के कथित वाहन का प्रयोग शराब माफिया इस हिसाब से किया है ताकि वाहन जांच अभियान में शामिल पुलिस या उत्पाद विभाग के लोग आसानी से जाने देंगे। इस तरह के बेरोकटोक वाले वाहनों से पहले भी शराब पकड़ी जा चुकी है। जहां तक याद है कि एम्बुलेंस का भी प्रयोग शराब की ढुलाई में किया जा चुका है, पर पकड़ में आ गई थी। बहरहाल, इस मामले में पकड़े गए चार आरोपियों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। आज वैज्ञानिक तरीके से कई आपराधिक मामले सुलझा लिए गए हैं। मोबाइल आज लगभग हर के हाथ में है। यदि इन चारों के पास से भी मोबाइल बरामद हुए होंगे तो इस शराब माफिया के गिरोह में शामिल रहे उन छिपे चेहरे सामने लाने में सहायक साबित हो सकता है।