बिस्तर पर पड़े रोगियों कि इच्छाओं से नियंत्रित होंगी मशीनें
रोगियों को इलेक्ट्रोएन्सेफालोग्राफी (ईईजी) डिवाइस के माध्यम से मस्तिष्क द्वारा अपने वायु चालित चिकित्सा बिस्तरों की स्थिति को नियंत्रित करने के मक़सद से इस प्रणाली को विकसित किया गया है।
IIT (ISM) धनबाद के छात्रों की टीम ने बिस्तर पर पड़े रोगियों के मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न EEG संकेतों के माध्यम से अस्पताल में चिकित्सा को नियंत्रित करने के लिए एक उपकरण विकसित किया है, जो अस्पताल में कर्मचारियों की आवश्यकता और खर्च को कम करने में सहायक होगा।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर जफर आलम के नेतृत्व में IIT (ISM) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (EEG) संकेतों के माध्यम से चिकित्सा बेड को नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली विकसित की है। इस का मुख्य उद्देश्य लकवाग्रस्त/गंभीर रूप से प्रभावित लोगों की मदद करना है।
इस अत्याधुनिक मशीन को विकसित करनेवाली रिसर्च टीम में बीटेक फाइनल ईयर के छात्र मनमोहन लाभ, यल्ला मार्क, विशाल और इनामपुडी साईं अमित के अलावा रिसर्च स्कॉलर आशीष सिद्धार्थ शामिल हैं। जिन्होंने अगस्त 2021 और मई 2022 के बीच लगभग 9 महीने में इस प्रोजेक्ट को पूरा किया तथा बाद में पेटेंट के लिए आवेदन भी दाखिल किया। उनके द्वारा विकसित प्रणाली स्वास्थ्य केंद्रों/अस्पतालों में रोगियों के लिए नर्सिंग खर्चे को कम करके कुशल चिकित्सा प्रशासन सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
इस किफ़ायती प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रेरणास्रोत बने, प्रोफेसर आलम ने रोगियों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताते हुए कहा, “दुनिया भर में दुर्घटनाओं और पक्षाघात के हमलों में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप अक्षमताएं बढ़ रही हैं, कई रोगी ऐसी स्थिति में बिस्तरों तक ही सीमित हैं, जहां रोगी के द्वारा स्वयं से बिस्तर को उठाना एक कठिन कार्य लगता है ”
आलम ने कहा, “इस प्रणाली को विकसित करने का मक़सद लकवाग्रस्त या अपाहिज व्यक्ति को बिना किसी शारीरिक प्रयास के अपने चिकित्सा बिस्तर को नियंत्रित करने या स्थानांतरित करने में सक्षम बनाना है।”
तकनीकी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रोफेसर आलम ने कहा, “मस्तिष्क शरीर के अन्य हिस्सों में धाराओं और स्पाइक्स के छोटे आवेगों के रूप में सिग्नल भेजता है, जिसे न्यूरॉन्स और तंत्रिका तंत्र के नेटवर्क के माध्यम से इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी सिग्नल के रूप में भी जाना जाता है”। एक व्यक्ति के विचारों का विश्लेषण करने के लिए इन संकेतों का एक अध्ययन किया गया, और फिर मशीन की सहायता से एक प्रशिक्षित मॉडल के द्वारा यह पहचान किया गया कि रोगी बिस्तर को ऊपर या नीचे उठाना चाहता है या नहीं।
आलम ने आगे कहा, ” इस प्रणाली में यह पाया गया कि विकसित मॉडल मरीज़ की आवश्यकता को समझते हुए मेडिकल बेड को भली भाँति नियंत्रित करता है”
प्रोफ़ेसर आलम ने इस सिस्टम को रोगियों के लिए फ़ायदेमंद बताते हुए कहा की ” गंभीर रूप से प्रभावित रोगियों के लिए जो अपने आप चल-फिर नहीं सकते हैं, उनकी स्थिति की निरंतर देखभाल की आवश्यकता होती है और अस्पताल में अलग से नर्सिंग सेवाओं के खर्च का बोझ बढ़ जाता है, उनके लिए यह काफ़ी मददगार और फ़ायदेमंद साबित होगा। वायु चालित सिलेंडर आधारित मेडिकल बेड का उपयोग करना न केवल सस्ता है, बल्कि हवा के दबाव और इसकी गति के दौरान आरामदायक प्रभाव प्रदान करने का अतिरिक्त लाभ भी देता है।