हिन्दीमय हुआ शब्दाक्षर का काव्यमंच, शब्दाक्षर की बिहार इकाई द्वारा आयोजित काव्यगोष्ठी में कवियों ने हिन्दी भाषा को दी भावपूर्ण शब्दांजलि

हिन्दीमय हुआ शब्दाक्षर का काव्यमंच, शब्दाक्षर की बिहार इकाई द्वारा आयोजित काव्यगोष्ठी में कवियों ने हिन्दी भाषा को दी भावपूर्ण शब्दांजलि

अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । हिन्दी दिवस के सुअवसर पर साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ की बिहार इकाई द्वारा आयोजित एक राज्यस्तरीय काव्यगोष्ठी में विभिन्न जिलों से आमंत्रित कवियों ने ‘हिन्दी भाषा : हम सबकी अभिलाषा’ विषय पर मनमोहक काव्यपाठ कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। शब्दाक्षर के केन्द्रीय पेज से प्रसारित होने वाली हिन्दी दिवस को समर्पित इस अॉनलाइन काव्यगोष्ठी का शुभारंभ शब्दाक्षर की बिहार इकाई की प्रदेश साहित्य मंत्री सह काव्य समारोह की संचालनकर्त्ता डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी द्वारा प्रस्तुत कवि सूर्यकांत त्रिपाठी रचित प्रसिद्ध सरस्वती वंदना ‘वर दे वीणावादिनी वर दे’ की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। डॉ रश्मि ने हिन्दी भाषा के सम्मान में अपनी कविता ‘हिन्दी रानी’ से “लिपि है देवनागरी जिसकी, महिमामयी कहानी है, भाव जगाने वाली हिन्दी भाषाओं की रानी है। हमलोगों के हर रोम-रोम में हिन्दी ही है बसी हुई। हो भले लबों पर अंग्रेजी, उर में यह ही है धंसी हुई। जिस तरह मछलियों के हित सबसे प्यारा होता है पानी। वैसे ही प्रेम किया करते हिन्दी से हम हिन्दुस्तानी”, पंक्तियाँ पढ़कर मंचासीन अतिथि कवियों तथा सभी श्रोताओं की खूब वाहवाहियाँ अर्जित कीं। गयावासी वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामकृष्ण मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित इस काव्यगोष्ठी में शब्दाक्षर, बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र ‘पद्मनाभ’ ने मंचासीन सभी कवि-कवयित्रियों का स्वागत करते हुए हिन्दी भाषा को “हिन्दी बहन सरीखी मेरी, माता संस्कृत की अवदान है, कलकल निर्मल बहती निर्झर, गंगा सरस्वती सी भारत की पहचान है” पंक्तियाँ समर्पित कीं। शब्दाक्षर के संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रवि प्रताप सिंह ने बतौर प्रधान अतिथि शब्दाक्षर बिहार इकाई की इस प्रथम अॉनलाइन काव्यगोष्ठी पर हार्दिक प्रसन्नता जताते हुए “हिन्दी है भारत के माथे की बिन्दी, सकल विश्व इसको भारतभाषा माने, भारत भर में सबल करो अपनी हिन्दी” पंक्तियाँ पढ़ीं। शब्दाक्षर, उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष सह मुख्य अतिथि व बहुचर्चित कवि महावीर सिंह वीर ने अपनी कविता “आप थोड़ा सा संवारोगे, संवर जाएगी, प्यार से बोलोगे तो, इस दिल में उतर जाएगी, ये तो इस देश के कण-कण में बसी है यारो, तुम न सोचो कि ये हिन्दी कभी मर जाएगी” के सस्वर पाठ से श्रोताओं का हृदय जीत लिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग ले रहीं ‘शब्दाक्षर’ की दिल्ली इकाई की प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति ने अपने संबोधन के उपरांत “मैं हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ, भारत माता की बिन्दी हूँ” कविता प्रस्तुत की।
तत्पश्चात बिहार के विभिन्न जिलों से आमंत्रित कवियों में से सर्वप्रथम गया जिले के प्रसिद्ध कवि खालिक हुसैन ‘परदेसी’ जी ने हिन्दी भाषा के उत्थान हेतु “हम तो मानव हैं यहां, हिन्दू-मुसलमान नहीं। हर विषमता यहाँ, हर भेद मिटा कर देखो। तुमको आनंद की चाहत है अगर परदेसी, गिरनेवालों को कभी पथ से उठा कर देखो” पंक्तियाँ निवेदित कर खूब प्रशंसा बटोरीं। नवादा से जुड़े कवि मुकेश कुमार सिन्हा ने “दिल में बसाएँ हिन्दुस्तान, माँ भारती का श्रृंगार करें, छोड़ कर विलायती भाषा, हिन्दी से हम प्यार करें” पंक्तियों के माध्यम से हिन्दी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। नालंदा निवासी कवि ज्ञानेन्द्र मोहन ‘ज्ञान’ जी “हिन्दी है पहचान हिन्द की जन मन गण की भाषा है, परिभाषित सारा जग इससे यह जन-जन की भाषा है” का पाठ किया। अरवल जिला से जुड़े कवि समुंदर सिंह ने हिन्दी को जन्म लिया जिसके आंगन में, जिसके गोद में बड़ा हुआ, हिन्दी हो तुम माँ के जैसी, तुम्हारे सहारे खड़ा हुआ” पंक्तियाँ पढ़ीं।जहानाबाद से जुड़ कर कविता पाठ करनेवाली कवयित्री सावित्री सुमन ने कहा कि “हिन्दी मन की भाषा है, जीवन की परिभाषा है।” औरंगाबाद की रहनेवाली कवयित्री चौहान आरती सिंह ने अपनी पंक्तियों में हिन्दी की अभिलाषा को समाहित करते हुए कहा- “मेरे ईश्वर, मेरे मौला, यही अरदास है मेरी। संवारो ज़िंदगी मेरी, खड़ी हूँ, आस है तेरी।” भागलपुर से जुड़े कवि विकास सोलंकी ने हिन्दी को “माता तेरे चरण में मेरा नित नमन है , रात-दिन मैंने किया पूजा व हवन है” पंक्तियाँ समर्पित कीं। प्रदेश सचिव, शब्दाक्षर, बिहार इकाई के प्रदेश सचिव अमरेश कुमार पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अपनी “जाने-अनजाने में दो शब्द निकल जाते हैं। सागर लहरों के कर से, नदियों को अपनाते हैं” पंक्तियों के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रति अपनी भावना प्रकट की। ‘शब्दाक्षर’ बिहार इकाई के उपाध्यक्ष संजय कुमार मिश्र ‘अणु’ ने “मातृभूमि की मातृभाषा हो गयी है पराई, मम्मी डैडी बोल रहे सब अंग्रेजी में करके पढ़ाई” पंक्तियाँ पढ़ीं। इस काव्यगोष्ठी में गया से कन्हैया लाल मेहरवार जी, सुमंत कुमार, जयराम कुमार सत्यार्थी तथा सीतामढ़ी से श्री निशांत कुमार गुलशन की भी गौरवमय सहभागिता रही। ‘शब्दाक्षर’ की बिहार इकाई द्वारा आयोजित इस काव्यगोष्ठी की सफलता पर शब्दाक्षर की राष्ट्रीय कार्यसमिति के दया शंकर मिश्र, सत्येन्द्र मिश्र सत्येन्द्र, श्यामल मजूमदार, राजीव खरे, नीता अनामिका, सुबोध मिश्र, राम प्रकाश सिंह ‘सावन’ आदि ने प्रदेश अध्यक्ष मनोज मिश्र , प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ रश्मि प्रियदर्शनी सहित सभी अधिकारियों तथा सदस्यों को इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।